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जींद में लिखी जाएगी बदलाव की इबारत

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10:33 AM Sep 27, 2017 IST | Desk Team

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जींद: सूबे की राजनीति को करवट देने वाली जींद की धरा पर 1 अक्तूबर को सर्वजन पार्टी के मार्फत जब आम लोग हुंकार भरेंगे, उसके नतीजे आगामी 9 माह में देखने को मिलेंगे। जींद के सफीदों रोड़ पर एकलव्य स्टेडियम के नजदीक होने वाली यह रैली नया इतिहास रचेगी और जनता की अनदेखी करने वाली भाजपा सरकार की चूलें हिल जाएंगी। सीधी सी बात है, 1 अक्तूबर को जींद में बदलाव की इबारत लिखी जाएगी। ये वक्तव्य सर्वजन पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक रोशनलाल आर्य ने मंगलवार को जींद में रैली के संदर्भ में लोगों को न्यौता देने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहे। इस मौके पर उनके साथ एसपी राणा, बादल सिंह, चंद्रभान राणा, चंद्रशेखर, बंटी आदि दर्जनों कार्यकत्र्ता मौजूद थे।

आर्य ने कहा कि हरियाणा नवनिर्माण रैली को लेकर जिस तरह से लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा है, उससे साफ है कि मौजूदा व्यवस्था से जनता परेशान हो चुकी है और वह इसे बदलने के लिए अपने अंदर ऐसा लावा पाल रही है, जो कभी भी फूट सकता है। जनता के अंदर का यह लावा जिस दिन फूटेगा, उस दिन व्यवस्था बनाने में नाकाम कमजोर मुख्यमंत्री की कुर्सी हिल जाएगी। आर्य ने कहा कि प्रदेश में सुशासन लाने के लिए लोगों को एकजुट होकर हिम्मत दिखानी होगी। इस हिम्मत के साथ अगर लोग सर्वजन पार्टी के साथ खड़े होंगे, तो वे इस बात का दावा डंके की चोट पर कर सकते है कि आने वाला समय पूरी तरह से जनता का होगा और इसमें कोई व्यक्ति विशेष या जाति विशेष हावी नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, रामपाल करौंथा और आरक्षण आंदोलन के दौरान जिस तरह से जान-माल को नुकसान पहुंचाने का जलजला उठा तथा उसके आगे कानून व्यवस्था बुरी तरह से चरमराती हुई दिखाई दी, उसके लिहाज से साफ कहा जा सकता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डर के आगे नाच रहे हैं और पूरे सूबे को एक सर्कस बनाकर रख दिया है। मुख्यमंत्री अंडर ट्रायल पर है और सरकार का कार्यकाल तो खत्म होता हुआ दिखाई दे रहा है, किंतु उनका प्रशिक्षण काल खत्म नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिगड़ रही कानून व्यवस्था की पोल 1 अक्तूबर को जींद में होने वाली हरियाणा नवनिर्माण रैली में खोली जाएगी। आर्य ने कहा कि आज हरियाणा में सबसे बड़ी समस्या ला एंड ऑर्डर की है। सरकार इस व्यवस्था को बनाएं रखने में पूरी तरह से फेल हो चुकी है।

मुख्यमंत्री के आगे आरक्षण आंदोलन, रामपाल करौंथा और गुरमीत राम रहीम की जब चुनौतियां खड़ी हुई तो वे उनसे निपटने में पूरी तरह से फेल साबित हुए। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री के दरवाजे पर ही कुछ नहीं मिलता तो उनकी विंडो में क्या मिलेगा। पढ़ाई को देश के लिए जरूरी बताने वाली भाजपा सरकार ने हायर एजुकेशन के बजट में 10 हजार करोड़ की जिस तरह से कटौती की गई है, उससे साफ है कि सरकार को युवाओं के भविष्य से कोई खास सरोकार नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर दबाव के तहत काम करने के आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर मजबूत होने के बावजूद भी जाट समाज के लोग आरक्षण पाने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। जब जाट समाज के लोग निर्धारित नियमों पर खरा ही नहीं उतर रहे तो उनके लिए आरक्षण मांगना कतई भी उचित नहीं है। आर्य ने कहा कि पुलिस विभाग में 70 प्रतिशत इसी समाज के युवा भर्ती है।

– संजय शर्मा

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