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JNU कुलपति का छात्रों को सुझाव: पढाई को ताक पे रखकर न करे राजनीती

02:00 PM Jan 13, 2024 IST | Prakash Sha
jnu कुलपति का छात्रों को सुझाव  पढाई को ताक पे रखकर न करे राजनीती

Jawaharlal Nehru University (JNU) के कुलपति शांतिश्री धूलिपुरी पंडित ने परिसर में विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सख्त कदम उठाने के विवाद के बीच छात्रों को सलाह दी है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए अपने पढ़ाई से समझौता न करें ।

Highlights:

  • भविष्य में नौकरी हासिल करने की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड सकता है
  • छात्र अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करें
  • परिसर में शराब पीना, गाड़ी तेज चलना जैसे गतिविधियों पर मिलेगा दंड
  • विश्वविद्यालय प्रशासन ने जुर्माना बढ़ाया नहीं है

पंडित ने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई छात्रों की भविष्य में नौकरी हासिल करने की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘कोई यह नहीं कह रहा कि प्रदर्शन मत कीजिए लेकिन यह भी ध्यान रखिए कि आपकी पढ़ाई से समझौता नहीं होना चाहिए। राजनीति में शामिल इनमें से कई छात्र बाद में मेरे पास आकर ‘एक्सटेंशन’ की मांग करते हैं और यह नौकरी के लिए आवेदन करते समय उनकी प्रोफाइल में भी नजर आएगा।’’ कुलपति ने परिसर में आलोचनात्मक सोच की संस्कृति को दर्शाने के लिए इजराइल-हमास संघर्ष पर जेएनयू में खुली बहस एवं व्याख्यानों के आयोजन का जिक्र किया और कहा कि इसे लेकर कोई प्रदर्शन नहीं हुआ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में 2022 में कार्यभार संभालने वाली पंडित ने कहा कि उन्होंने फीस वृद्धि के विरोध में 2019 में किए गए प्रदर्शन के संबंध में छात्रों के खिलाफ जारी सभी जांच बंद कर दी हैं ताकि उनके करियर पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े। कुलपति ने कहा कि छात्रों को अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) नियमावली में आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया है कि अधिकारियों को उनके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने , शराब पीने या परिसर में तेज गति से वाहन चलाने जैसी गतिविधियां करने वाले छात्रों को दंडित किया जाएगा।

जेएनयू ने पिछले साल नवंबर में अपनी संशोधित सीपीओ नियमावली जारी की थी जिसके तहत परिसर में निषिद्ध क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने पर 20,000 रुपये और राष्ट्र विरोधी नारे लगाने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जुर्माना बढ़ाया नहीं है, बल्कि उसने मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) नियमावली को केवल आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया है, ताकि परिसर में हर प्रकार के नियम के उल्लंघन को रोकने के लिए उच्च न्यायालय की सिफारिशों के आधार पर इसे कानूनी रूप से मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने दावा किया कि कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल में पिछले दो साल में गैरकानूनी गतिविधियों में काफी कमी आई है। पंडित ने यह भी कहा कि कई जांच रोकी नहीं जा सकतीं क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है। उन्होंने कहा था कि छात्र अदालत चले गए थे और अदालत की अवमानना से जुड़े कई अन्य मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

 

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Prakash Sha

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