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JNU हिंसा : हमले की रात दर्ज 2 प्राथमिकियों पर विवाद, वीसी की अपील के बावजूद प्रदर्शन जारी

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भीड़ हमले के दो दिन बाद तक दिल्ली पुलिस की तरफ से कोई गिरफ्तारी नहीं किए जाने के बाद मंगलवार को उसे छात्र समूहों और विपक्षी पार्टियों की तरफ से और आक्रोश को झेलना पड़ा

07:51 PM Jan 07, 2020 IST | Shera Rajput

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भीड़ हमले के दो दिन बाद तक दिल्ली पुलिस की तरफ से कोई गिरफ्तारी नहीं किए जाने के बाद मंगलवार को उसे छात्र समूहों और विपक्षी पार्टियों की तरफ से और आक्रोश को झेलना पड़ा

jnu हिंसा   हमले की रात दर्ज 2 प्राथमिकियों पर विवाद  वीसी की अपील के बावजूद प्रदर्शन जारी
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भीड़ हमले के दो दिन बाद तक दिल्ली पुलिस की तरफ से कोई गिरफ्तारी नहीं किए जाने के बाद मंगलवार को उसे छात्र समूहों और विपक्षी पार्टियों की तरफ से और आक्रोश को झेलना पड़ा, जब यह सामने आया कि परिसर में हिंसा वाली रात दो प्राथमिकियां दर्ज कराई गईं थी।
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यह प्राथमिकियां पूर्व में हुई तोड़-फोड़ को लेकर विश्वविेद्यालय की शिकायत पर आधारित थीं। इन प्राथमिकियों में छात्र संघ की घायल अध्यक्ष आइशी घोष और अन्य को नामजद किया गया है।
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अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जवाहरलाल नेहरू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी और छात्रों से बीती बात भूलने की अपील की लेकिन पांच जनवरी को नकाबपोशों के हमले के दौरान अधिकारियों द्वारा देर से कदम उठाए जाने के आरोपों पर गोलमोल जवाब दिया।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “अगर कानून-व्यवस्था की कोई समस्या है तो हम तत्काल पुलिस के पास नहीं जाते हैं। हम देखते हैं कि हमारे सुरक्षा गार्ड इससे निपट सकते हैं या नहीं। रविवार को, जब हमने देखा कि छात्रों के बीच आक्रामक व्यवहार की संभावना है तो हमने पुलिस को सूचित किया।”
जेएनयू में हुए हमले के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहे, जहां छात्र संघ ने आरोप लगाया कि प्राथमिकियां दिखाती हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन आरएसएस समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ मिला हुआ है। हिंसा के लिए वाम संबद्ध संगठनों और एबीवीपी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है।
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की बैठक में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने हिंसा को लेकर केंद्र पर हमला बोला और आरोप लगाया कि सरकार संविधान को नष्ट करना चाहती है। शाम में, बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए विश्वविद्यालय पहुंची लेकिन छात्रों को संबोधित किए बिना ही वहां से चली गईं।
छात्रों एवं संकाय ने विश्वविद्यालय में मार्च निकाला था जिसमें एबीवीपी, कुलपति और केंद्र के खिलाफ नारे लगाए।
विपक्ष ने भी प्राथमिकियां दर्ज कराने पर सवाल उठाए और पुलिस पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा, “जेएनयू में हिंसक हमलों को 40 घंटे बीत चुके हैं और दिल्ली पुलिस स्पष्ट सबूत होने के बावजूद एक भी अपराधी को पकड़ने में विफल रही।”
पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से कहा, “अमित शाह के अंतर्गत क्या पुलिस इतनी अक्षम है? उलटे उन्होंने हमले की पीड़िता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। शर्मनाक।”
दिल्ली पुलिस ने पांच जनवरी को कुछ ही समय के अंतराल में दो प्राथमिकियां दर्ज की थीं लेकिन ये प्राथमिकियां पहले की घटनाओं को लेकर की गई शिकायतों पर आधारित थीं।
जेएनयू प्रशासन ने इससे दो दिन पहले कथित तोड़फोड़ के सिलसिले में छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत अन्य पदाधिकारियों के नाम शिकायत की थी जिस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कीं।
संयोग से यही वह वक्त था जब पुलिस को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय में बुलाया गया था और घोष समेत घायल छात्रों को अस्पताल ले जाया गया था।
पुलिस के रोजनामचे के अनुसार विश्वविद्यालय के सुरक्षा विभाग ने तीन और चार जनवरी को शिकायत दी थी। ये शिकायतें एक और चार जनवरी को कथिततौर पर तोड़फोड़ की घटनाओं से संबंधित थीं। इस पर रात 8.44 और 8.49 बजे प्राथमिकियां दर्ज की गईं।
प्राथमिकी में आरोपियों के कॉलम में घोष अथवा छात्र संघ के किसी पदाधिकारी का नाम नहीं है लेकिन शिकायत में इनके नाम थे।
जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने आरोप लगाया कि प्रशासन कुछ छात्रों को चुन-चुनकर निशाना बना रहा है। मून ने सर्वर कक्ष में तोड़फोड़ की घटना में संलिप्तता से इनकार किया।
घोष ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रस्तावित शुल्क वृद्धि के खिलाफ उनकी “लड़ाई” जारी रहेगी भले ही प्रदर्शन के हर दिन के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि यह सोच विचार कर दर्ज कराई गईं हैं।
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने घोष का नाम लिए बिना कहा कि जेएनयू में लड़की की ‘‘हत्या’’ का प्रयास करने वालों की बजाय ‘‘हिंसा में घायल लड़की’’ के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
कांग्रेस और वामपंथी दलों ने घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘चुप्पी” पर भी सवाल उठाए।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने जेएनयू हिंसा से जुड़ी तस्वीरें, फुटेज या कोई भी सूचना उपल्बध कराने की अपील की है जबकि फॉरेन्सिक की टीमें सबूत जुटा रही हैं।
दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त जन संपर्क अधिकारी अनिल मित्तल ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम मामले की जांच वैज्ञानिक एवं पेशेवर तरीके से कर रही है तथा साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।’’
अपराध शाखा की विशेष जांच टीम (एसआईटी) का नेतृत्व जॉय तिर्की कर रहे हैं।
घटना की जांच के लिए तथ्य जुटाने वाली समिति का नेतृत्व संयुक्त पुलिस आयुक्त (पश्चिमी क्षेत्र) शालिनी सिंह कर रही हैं। उन्होंने जेएनयू परिसर का दौरा किया और छात्रों एवं अध्यापकों से बात की।
शालिनी सभी स्थानों पर गईं और परिसर में छात्रों से बातचीत की।
हिंसा के बाद से परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। विश्वविद्यालय के विभिन्न द्वारों पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे।
इस हिंसा के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
हमले में शामिल लोगों की पहचान के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा वीडियो फुटेज खंगाल रही है और सीसीटीवी कैमरों में कैद चेहरों को पहचानने के लिए सॉफ्टवेयर की भी मदद ले रही है।
जेएनयू हिंसा को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुए। एबीवीपी के सदस्य और उसकी विरोधी नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के सदस्यों के बीच अहमदाबाद में झड़प हुई। इस घटना में 10 लोग घायल हो गए।
एक अधिकारी ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी बुधवार को इस हिंसा के मामले में और विश्वविद्यालय के सामान्य कामकाज को प्रभावित कर रहे मुद्दों को लेकर कुलपति से मुलाकात करेंगे।
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