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जरा आंख में भर लो पानी...

कोरोना वायरस ने कई योद्धाओं की जान ले ली है। कोरोना वायरस से जंग में डाक्टर्स, नर्सें, मैडिकल स्टाफ और अन्य स्टाफ सब योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं।

12:04 AM May 26, 2020 IST | Aditya Chopra

कोरोना वायरस ने कई योद्धाओं की जान ले ली है। कोरोना वायरस से जंग में डाक्टर्स, नर्सें, मैडिकल स्टाफ और अन्य स्टाफ सब योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं।

जरा आंख में भर लो पानी
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कोरोना वायरस ने कई योद्धाओं की जान ले ली है। कोरोना वायरस से जंग में डाक्टर्स, नर्सें, मैडिकल स्टाफ और अन्य स्टाफ सब योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं। अपने रवैये और व्यवहार के लिए चर्चित पुलिस अफसर और जवान भी ऐसी ही भूमिका निभा रहे हैं, जो पहले कभी नहीं देखी गई। सभी ने देशवासियों का दिल जीत लिया है लेकिन दुःख इस बात का है कि कोरोना वारियर्स स्वयं संक्रमित होकर जिन्दगी की जंग हार रहे हैं।
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दिल्ली के एक अस्पताल में काम करने वाली नर्स और एम्स के मैडिकल अधिकारी और मैस कर्मचारी की मौत का दुःख सभी को है लेकिन सवाल उठ रहा है कि अगर इन योद्धाओं का ही जीवन सुरक्षित नहीं है तो फिर संक्रमित मरीजों का उपचार कौन करेगा। पहले इन पर हमले हुए, पत्थरों से इनको घायल ​​किया गया।
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हमले कोई एक जगह नहीं हुए, हमलावरों ने ऐसी मानसिकता का परिचय दिया कि देश शर्मसार हो उठा। केन्द्र सरकार ने हमलावरों का कानूनी इलाज करने के लिए कड़े कदम उठाये तो डाक्टरों पर हमले की घटनायें बंद हुई। लोगों ने कोरोना वारियर्स को किराये के घर खाली करने को कहा। किसी ने नहीं सोचा कि दूसरों को जीवन देने वालों से कैसा व्यवहार ​किया जाना चाहिए।
कोरोना संक्रमण से पुलिस अफसरों और जवान की मौत हुई है। यद्यपि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जान गंवाने वाले कोरोना वारियर्स के परिजनों को एक-एक करोड़ की सम्मान राशि देने का ऐलान किया हुआ है लेकिन धन भी उनके परिवारों, बच्चों का गम कम नहीं कर सकता। तमाम उम्र उनकी आंखों में आंसू रहेंगे। दूसरों की जान बचाने में जुटे योद्धाओं के परिवार भी डरे हुए हैं।
कोरोना से किसी की मौत होने पर उनके शवों को स्वीकार नहीं किया जाना। डाक्टरों की मौत होने पर उनके अंतिम संस्कार में बाधायें खड़ी की गई। अंतिम संस्कार के लिए करीबी रिश्तेदार भी नहीं पहुंचे। बेटे-बेटियों ने भी दूर से ही अंतिम दर्शन कर शव को अलविदा कह दिया। कोरोना से इस जंग में लड़ने वाले योद्धाओं का संकल्प बहुत दृढ़ है कि उन्हें यह जंग जीतनी है।
उन्हें हर रोज अपने डर पर जीत कायम करनी पड़ती है। शहरों की तरह अब अस्पताल भी कई जोनों में बंट चुके हैं। रेड जोन जहां पर कोराना संक्रमित मरीजों का ईलाज चल रहा है, वहां पर जाना किसी युद्ध से कम नहीं। जब डाक्टर इस जोन में घुसने से पहले पीपीई किट पहनते हैं उसी समय उनके मन में आये विचारों को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। पीपीई किट्स पहनने के बाद सांस लेना भी दूभर हो जाता है।
अब तापमान भी 45 डिग्री पहुंच चुका है। रेड जोन में एयर कंडीशंड नहीं चलाये जा सकते क्योकि इससे संक्रमण फैलने का खतरा है। पसीने से तरबतर, 8 से 12 घण्टे तक चलने वाली शिफ्ट के दौरान वे न खाना खा सकते हैं और न ही वाशरूम जा सकते हैं।
रेजिडेंट डाक्टरों की कमी के चलते रात के वक्त ड्यूटी 14 घण्टे तक भी खिंच जाती है। महामारी के शुरुआती दिनों में तो डाक्टर, नर्सों और मैडिकल स्टाफ को पीपीई किट्स भी उपलब्ध नहीं थी। अब जाकर इनकी व्यवस्था हुई है। डाक्टर और अन्य स्टाफ होटलों में रुका हुआ है, वे इन  दिनों न तो​ घर जा सकते हैं न परिवार से मिल सकते हैं, सभी योद्धा सब कुछ भूलकर डयूटी कर रहे हैं। महामारी एक आपदा है, जब युद्ध होता है तो फिर कोई घर कैसे जा सकता है।
कोरोना से जंग जीतनी है तो हमें इन योद्धाओं को पूर्ण सम्मान देना ही होगा। उनके प्रति अपने व्यवहार को सहज बनाना ही होगा। इन डाक्टरों, नर्सों की परेशानियों को समझना होगा। जितनी डयूटी डाक्टरों की मुश्किल भरी है, उतनी ही सख्त डयूटी पुलिस कर्मियों की है। सोशल डिस्टैंसिंग की धज्जियां उड़ाते लोगों के बीच डयूटी करना आसान नहीं है। इस जंग में पुलिस के जवानों  ने भी अपनी शहादतें दी हैं।
पाषण युग में तो स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में महामारियों से लोग मरते रहते थे। महामारी के संबंध में दी गई चे​तावनियों और सुरक्षा के उपायों को लोग अनसुना कर रहे हैं। कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से फैला। चीन के वुहान सैन्ट्रल अस्पताल के नेत्र चिकित्सक डा. ली वेन लियांग ने 30 दिसम्बर 2019 को डाक्टरों के चैट ग्रुप में भेजे गए अपने संदेश में इस वायरस से संभावित खतरों के बारे में आगाह किया था कि इससे बचने के लिए खास तरह के हिफाजती कपड़े पहने और संक्रमण से बचने के लिए जरूरी सावधानियां बरतें।
तब चीन ने उन पर गलत सूचना देने के आरोप के साथ उनके द्वारा समाज में भय फैलाने की बात कही थी। काश! चीन ने उनकी चेतावनी को अनसुना नहीं किया होता तो दुनिया सुरक्षित रहती। डाक्टर वेन लियांग की मृत्यु 7 फरवरी को कोरोना से संक्रमित होने के कारण हुई।
भारत के लोगों को चेतावनियों को गंभीरता से लेना होगा और स्वयं को बचाने के लिए सभी उपायों को अपनाना होगा। इस जंग में अपनी शहादत देने वालों के परिवारों के प्रति संवेदनशील बनना होगा। सीमाओं की रक्षा करने वाले भी योद्धा हैं और दूसरों की जान बचाने वाले भी योद्धा हैं।

ए मेरे वतन के लोगो… जरा आंख में भर लो पानी…
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी।
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Aditya Chopra

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