Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

केवल एयर कंडीशनर का टेंपरेचर सैट करने से बात नहीं बनेगी

गर्मी में एसी उपयोग पर नए दिशानिर्देश…

05:30 AM Jun 17, 2025 IST | Rohit Maheshwari

गर्मी में एसी उपयोग पर नए दिशानिर्देश…

सरकार अब एयर कंडीशनर के तापमान सैट करने पर नियम लाने की तैयारी में है। एसी का टेंपरेचर 20 डिग्री से कम और 28 डिग्री से ज्यादा नहीं किया जा सकेगा। इसके बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया में भी छा गया। आलोचकों का कहना है कि विदेश की नकल में ऐसा किया जा रहा है, जबकि वहां इमारतों को कूल रखने के नियम हैं। हाल के दिनों में घरों, कार्यालयों, होटलों व मॉल तक में एसी का उपयोग बेतहाशा बढ़ा है। जिसके चलते गर्मियों के पीक सीजन में बिजली की खपत चरम पर पहुंच जाती है। केंद्र सरकार योजना बना रही है कि घरों, होटलों व कार्यालयों में बीस डिग्री से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच इस्तेमाल होने वाले इस उपकरण की कूलिंग रेंज को मानकीकृत किया जाए। नए दिशा-निर्देश लागू होने के बाद एसी निर्माताओं को बीस डिग्री से कम तापमान पर कूलिंग प्रदान करने वाले एसी बनाने से रोक दिया जाएगा।

फिलहाल देश में जो एयर कंडीशनर आ रहे हैं उनमें तापमान की सैटिंग को 16 डिग्री या 18 डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है। वहीं, इनमें अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। भारत में 40 डिग्री पर एसी की ठंडक भी कम हो जाती है। लोग एसी कितने पर रखें, यह उनकी मर्जी होनी चाहिए। वहीं, समर्थकों का कहना है कि इससे बिजली की बचत होगी। ये नियम घरों, ऑफिस, दुकानों और गाड़ियों में लगे एसी पर भी लागू होगा। ज्यादा एसी चलने और टेंपरेचर 16 डिग्री पर सैट करने से बिजली की खपत बढ़ रही है। यह बहस ऐसे समय में छिड़ी है, जब पूरा उत्तर भारत प्रचंड गर्मी से झुलस रहा है। जापान, इटली, स्पेन और साउथ कोरिया जैसे देशों में एसी के तापमान के सख्त नियम हैं।

जापान में डिफॉल्ट सैटिंग 26 डिग्री है। इटली और स्पेन में 23 और 27 डिग्री है। अमेरिका का ऊर्जा मंत्रालय घरों पर एसी का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक रखने की अनुशंसा करता है। हालांकि, इसका फैसला वहां रहने वाले लोगों के विवेक पर छोड़ा गया है। चीन में पर्यावरण मंत्रालय एसी को गर्मियों के दौरान 26 डिग्री सेल्सियस से कम न करने और सर्दियों में 20 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पर सैट न करने की अनुशंसा करता है। सिंगापुर में घरों से लेकर उद्यमों और दफ्तरों में भी 25 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्यादा तापमान रखने के दिशा-निर्देश हैं।

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर के अनुसार, बढ़ते तापमान से एसी की डिमांड तेजी से बढ़ी है। लोगों को सही में कूलिंग की जरूरत भी है लेकिन अक्सर एसी को बहुत कम तापमान पर चलाया जाता है। इससे बिजली की बर्बादी होती है। बिजली बिल ज्यादा आता है और स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम भी हो सकते हैं। 2020 में इस पर एक सर्वे काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर की टीम ने किया था । उसमें पता चला कि 60 फीसदी भारतीय एसी यूजर्स अपने एयर कंडिशनर को 23 डिग्री या उससे कम तापमान पर सैट करते हैं। अगर एसी के तापमान को 18 डिग्री से हल्का-सा बढ़ाकर 20 डिग्री सेल्सियस तक कर दिया जाए तो बिजली खपत को 12 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार की यह पहल बिजली बचाने और भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के प्रयासों का हिस्सा है। इस बात में दो राय नहीं कि गर्मियों की तपिश से बचने के लिये लोग अपने एसी को बहुत कम तापमान पर चलाते हैं। इस प्रवृत्ति का बिजली ग्रिड पर दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। निश्चित रूप से इसके चलते बिजली कटौती की संभावना भी बहुत अधिक बढ़ जाती है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, इस संकट का अकेला मुख्य समाधान एसी को बेहद कम तापमान पर चलाया जाना ही नहीं है। इसके अलावा अन्य कारक भी हैं। यह भी एक हकीकत है कि सरकारी व निजी कार्यालयों में एसी का उपयोग काफी लंबे समय तक अंधाधुंध ढंग से किया जाता है। यहां इसके उपयोग में किफायत बरतने की दिशा में भी कदम उठाने की जरूरत है।

निस्संदेह, ऊर्जा मंत्रालय का ऊर्जा नियामक ब्यूरो, बिजली खपत कम करने वाले उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देता है लेकिन जब गर्मी रिकॉर्ड तोड़ती बढ़ रही है तो तापमान बढ़ने पर बिजली की खपत अनिवार्य रूप से बढ़ने लगती है लेकिन इसका एकमात्र कारण एसी का बढ़ता उपयोग ही नहीं है। हमें खुद से सवाल पूछने की जरूरत है कि हमारे शहर इतने गर्म क्यों हो रहे हैं? हम इस बढ़ते तापमान से नागरिकों को राहत क्यों नहीं दे पा रहे हैं। अंधाधुंध-अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे निर्माण कार्य भी इसमें कम दोषी नहीं हैं। हमने चारों तरफ कंक्रीट के जंगल तो बना दिए लेकिन शहरों में हरियाली का दायरा लगातार सिमटता जा रहा है जिससे हवा का प्राकृतिक प्रवाह भी बाधित हो रहा है। विकास के नाम पर जो सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ काटे जाते हैं, उसकी क्षतिपूर्ति नये पेड़ लगाकर नहीं की जाती है।

हमारी जीवनशैली बिजली की खपत को लगातार बढ़ा रही है। हम घरों को प्राकृतिक रूप से ठंडा बनाये रखने वाली भवन निर्माण तकनीक नहीं अपना रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, लोगों को कूलिंग चाहिए और यह अब लग्जरी नहीं जरूरत है। एसी के मानक तय करते हैं तो ​बिल्डिंग इस तरह की बननी चाहिए कि वह ठंडी रहे। जिन देशों में एसी के टेंपरेचर के मानक हैं, वहां बिल्डिंग को लेकर नियम बहुत सख्त हैं। दोनों तरफ ध्यान देकर मानक तय हो रहे हैं। इटली, जापान से गर्मी के मामले में भारत की तुलना नहीं हो सकती। यदि हमारे देश में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ावा दिया जाए तो सड़कों पर निजी वाहनों का उपयोग कम होने से वाहनों के गर्मी बढ़ाने वाले उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ाकर और पारंपरिक जल निकायों को पुनर्जीवित करके हम तापमान को कम करने का प्रयास भी कर सकते हैं।

कम तापमान पर एसी चलाने से घर के अंदर का माहौल इतना ठंडा हो जाता है कि लोगों को गर्म कपड़े पहनने पड़ते हैं। इससे ऊर्जा की बर्बादी और बढ़ जाती है। शोध में यह भी सामने आया है कि 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अधिकतर लोगों के लिए आरामदायक होता है, खासकर जब कमरे में हवा और नमी का संतुलन बना रहे। इस नियम को लेकर जानकारों का मानना है कि यह बहुत पहले आ जाना चाहिए था। इस नियम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बिजली की बचत होगी। एयर कंडीशनर एक्सपर्ट बताते हैं कि हर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ाने से बिजली की खपत लगभग 6 फीसदी तक कम हो जाती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले की एक स्टडी की मानें तो भारत में एसी के तापमान की रेंज सीमित स्तर पर तय करने से 2035 तक देश 60 गीगावॉट तक बिजली बचा सकती है। यानी भारत में इससे नए ऊर्जा संयंत्रों और ग्रिड सिस्टम के लिए संभावित 88 अरब डॉलर (करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये) के खर्च को बचाने में मदद मिलेगी। इससे पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि लोग इस बदलाव को कैसे अपनाते हैं। सरकार और समाज की साझा जिम्मेदारी एक बड़े बदलाव की वाहक बन सकती है।

Advertisement
Advertisement
Next Article