कौन हैं जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन? जिन्हें पद से हटाने के लिए इकट्ठा हुआ विपक्ष, जानें पूरा मामला
Justice Swaminathan News Today: मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के जज जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन को उनके पद से हटाने के लिए पूरा विपक्ष जमा हो गया है। दरअसल कांग्रेस, द्रमुक (DMK), समाजवादी पार्टी (SP) और कई अन्य विपक्षी दलों ने उनको उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक औपचारिक नोटिस सौंपा।
यह नोटिस मंगलवार, 9 दिसंबर 2025 को दिया गया। विपक्ष का आरोप है कि जस्टिस स्वामीनाथन के फैसले और व्यवहार ने न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। इस नोटिस पर कुल 107 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और द्रमुक के वरिष्ठ नेता टी.आर. बालू सहित कई नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर यह नोटिस सौंपा।
Justice Swaminathan News Today:जस्टिस स्वामीनाथन पर क्या आरोप लगाए गए?
विपक्ष द्वारा दिए गए नोटिस में कहा गया है कि जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कार्तिगई दीपम से जुड़े मामले में कार्यवाही ऐसे की, जिससे लगता है कि उन्होंने कुछ व्यक्तियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। आरोप यह भी है कि इस मामले में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता एम. श्रीचरण रंगनाथन को गलत तरीके से फायदा दिया गया और एक विशेष समुदाय के वकीलों के प्रति पक्षपात दिखाया गया। इसके साथ ही विपक्ष ने दावा किया कि जज के निर्णय ऐसे थे जो एक खास राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देते हुए भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ जाते हैं।
Madras High Court Judge Controversy: वामपंथी दलों ने क्या कहा?
वामपंथी दलों, माकपा, भाकपा, भाकपा (माले), आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक ने आरोप लगाया कि धार्मिक मुद्दों को उछाल कर तमिलनाडु में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मदुरै के सांसद सु. वेंकटेशन को इस मामले में निशाना बनाने की निंदा की और कहा कि यह कोशिश राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है। द्रमुक का आरोप है कि जज के फैसले के बाद भाजपा ने जानबूझकर धार्मिक विवाद खड़ा करने का प्रयास किया।
Justice Swaminathan on Hindu Rights: तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची
तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें दरगाह के पास स्थित एक मंदिर में कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसंबर को इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी थी। मामला तिरुपरमकुंद्रम में मौजूद एक पत्थर के दीप स्तंभ ‘दीपथून’ से जुड़ा है, जहाँ अरुलमिघु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर के भक्त हर साल परंपरागत कार्तिगई दीपम जलाते हैं।
हाई कोर्ट का आदेश और विवाद
4 दिसंबर को मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त की अपील को खारिज कर दिया और एकल न्यायाधीश के पुराने आदेश को बरकरार रखा। इस आदेश के अनुसार, भक्तों को दीपथून में दीप जलाने की अनुमति दी गई थी। जब प्रशासन ने आदेश का पालन नहीं किया, तो एकल न्यायाधीश ने 3 दिसंबर को फिर आदेश देते हुए श्रद्धालुओं को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दी और CISF को सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।