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Kaifi Azmi Poetry: “क्या ग़म है…” कैफ़ी आज़मी की कलम से 8 खूबसूरत शेर

शायरी की दुनिया में कैफ़ी आज़मी की अनमोल धरोहर

03:20 AM Apr 28, 2025 IST | Khushi Srivastava

शायरी की दुनिया में कैफ़ी आज़मी की अनमोल धरोहर

kaifi azmi poetry  “क्या ग़म है…” कैफ़ी आज़मी की कलम से 8 खूबसूरत शेर

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा

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कोई कहता था समुंदर हूँ मैं
और मिरी जेब में क़तरा भी नहीं 

बहार आए तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने

की है कोई हसीन ख़ता हर ख़ता के साथ
थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ

अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ
वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

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Khushi Srivastava

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