Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

कैलाश मानसरोवर को भारत को सौंप दिया जाना चाहिए : महंत बालक दास

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी 20 सम्मेलन के इतर हुई बैठक में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर बातचीत की।

10:10 AM Nov 19, 2024 IST | Shera Rajput

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी 20 सम्मेलन के इतर हुई बैठक में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर बातचीत की।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी 20 सम्मेलन के इतर हुई बैठक में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर बातचीत की। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों देशों के बीच होने वाली यह यात्रा जल्दी ही शुरू हो सकती है। इस पर देश के संतों ने खुशी जताई है।

कैलाश मानसरोवर को भारत को सौंप दिया जाना चाहिए – महंत बालक दास

महंत बालक दास ने इस मामले पर खुशी जताते हुए कहा, “मुझे लगता है कि यह हमारी धरोहर है, खासकर हमारे विश्वनाथ जी जो वहां विराजमान हैं और कैलाश मानसरोवर की जो पवित्रता है, उसे लेकर हमें एक ठोस कदम उठाना चाहिए। मेरी राय में, कैलाश मानसरोवर को भारत को सौंप दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर है। भारत के श्रद्धालु ही वहां जाते हैं। इस मुद्दे पर दोनों देशों को मिलकर समझौता करना चाहिए कि कैलाश मानसरोवर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसके लिए भारतीय श्रद्धालु ही वहां यात्रा करें। अगर चीन इस पर विचार करके, और इस तरह की वार्ता के बाद कैलाश मानसरोवर को भारत को सौंप देता है, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। जैसा कि बांग्लादेश में ढाकेश्वरी देवी का मंदिर है, या पाकिस्तान में कुछ शक्तिपीठों के मंदिर हैं, वैसे ही कैलाश मानसरोवर भी भारत का पवित्र स्थल है।”

चीन का आभार व्यक्त किया जाना चाहिए – श्रद्धालु

उन्होंने आगे कहा, “दूसरी बात यह है कि श्रद्धालुओं को वहां जाने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आतंकवाद और अन्य चुनौतियों के कारण उन्हें काफी परेशानियां होती हैं। वहीं, कैलाश मानसरोवर की जो स्थिति है, वहां का ठंडा मौसम और चीनी अधिकारियों का रवैया भी श्रद्धालुओं के लिए अनुकूल नहीं रहता है। अगर चीन इस पर सहमति जताता है और भारत को यह स्थान सौंप देता है, तो मुझे लगता है कि यह दोनों देशों के लिए एक सकारात्मक कदम होगा और इसके लिए चीन का आभार व्यक्त किया जाना चाहिए।”

सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के लिए कैलाश मानसरोवर एक न केवल धार्मिक यात्रा – स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के लिए कैलाश मानसरोवर एक न केवल धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक अत्यंत कठिन यात्रा भी है। चीन में स्थित होने के कारण यह यात्रा कई बार रुक चुकी है और कभी शुरू होती है। 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से यह यात्रा बंद हो गई थी। अगर अब चीन यह समझता है कि भारत के साथ शत्रुता और संघर्ष जारी रखकर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता, और दोनों देशों के विदेश मंत्री एक बार फिर बैठकर वार्ता करते हैं, और इस यात्रा को पुनः प्रारंभ करने की दिशा में कदम उठाते हैं, तो इसे हम सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक सुखद परिणाम मानेंगे।”

भारत सरकार को इस यात्रा की सफलता के लिए हमारी शुभकामनाएं

उन्होंने आगे कहा, “भारत सरकार को इस यात्रा की सफलता के लिए हमारी शुभकामनाएं। कैलाश मानसरोवर हिंदू धर्म के लिए, विशेषकर भगवान शिव के निवास के रूप में, अत्यधिक पवित्र स्थल है। यह एक समय भारत का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन आज यह चीन के नियंत्रण में है। स्वाभाविक है कि कोई भी सनातन धर्मावलंबी इसके महत्व को समझेगा, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज भवानी, जो 51 शक्तिपीठों में से एक हैं, हमारे लिए धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी तरह, कैलाश मानसरोवर, बांग्लादेश में ढाकेश्वरी मंदिर या हिंगलाज भवानी की यात्रा भी हमारे धर्म और मोक्ष से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण यात्रा है। यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि एक शुद्ध धार्मिक विषय है। जैसा कि मक्का की हज यात्रा इस्लाम के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है, वैसे ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू

बड़ा उदासीन निर्वाणी अखाड़े के महंत दुर्गादास ने कहा, “हम इसका हार्दिक स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि इस प्रकार के कदम हमारे विश्व बंधुत्व को और अधिक प्रगाढ़ बनाएंगे। जैसा कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू हो रही है, हम चाहते हैं कि इसी तरह के संबंध बनें, जो हमारे आपसी संबंधों में सहजता और समझदारी का प्रतीक हों। पहले भी यह यात्रा होती थी और दोनों देशों के बीच सीधा आवागमन होता था, जो कि अब फिर से संभव हो रहा है। यह एक बहुत ही शुभ और मंगलकारी कदम है, और हम इस प्रक्रिया की सफलता के लिए शुभकामनाएं देते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारा विश्वास है कि इस प्रकार के समन्वय और भाईचारे से आपसी तनाव में कमी आएगी और एक दूसरे से बेहतर संबंध स्थापित होंगे। यही नहीं, इससे न केवल भारतवासियों को सुख-शांति मिलेगी, बल्कि पूरे विश्व को भी इसका लाभ मिलेगा। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को साकार करते हुए, हम भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि सभी को सद्बुद्धि मिले और दुनिया में शांति और सहयोग का वातावरण बना रहे।”

Advertisement
Advertisement
Next Article