स्थापना दिवस से पहले जगमगा उठा कैंची धाम, जानें क्या है इस दिन का महत्व?
स्थापना दिवस से पहले जगमगा उठा कैंची धाम
नीम करौली बाबा 20वीं सदी में उत्तराखंड आए थे और 1942 में पहली बार कैंची गांव का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि वे 20 साल बाद फिर लौटेंगे. 1962 में उन्होंने पुनः इस क्षेत्र की यात्रा की और शिप्रा नदी के पास मंदिर स्थल पर अपने चरण रखे. यहीं से कैंची धाम की स्थापना की नींव रखी गई. 1965 में हनुमान मंदिर निर्माण पूर्ण हुआ और उसी साल 15 जून को पहली बार भंडारा हुआ.
Kainchi Dham Foundation Day: हर साल की तरह इस साल भी उत्तराखंड स्थित प्रसिद्ध कैंची धाम में 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस और भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा. इस दिन लाखों श्रद्धालु बाबा नीम करौली के दर्शन करने और प्रसाद ग्रहण करने कैंची धाम पहुंचते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इस दिवस के महत्व के बारे में विस्तार से. दरअसल, नीम करौली बाबा 20वीं सदी में उत्तराखंड आए थे और 1942 में पहली बार कैंची गांव का दौरा किया था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान उन्होंने कहा था कि वे 20 साल बाद फिर लौटेंगे. 1962 में उन्होंने पुनः इस क्षेत्र की यात्रा की और शिप्रा नदी के पास मंदिर स्थल पर अपने चरण रखे. यहीं से कैंची धाम की स्थापना की नींव रखी गई. 1965 में हनुमान मंदिर निर्माण पूर्ण हुआ और उसी साल 15 जून को पहली बार भंडारा हुआ.
बाबा की मूर्ति स्थापना और प्रतिष्ठा दिवस
बाबा नीम करौली ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली. इसके बाद उनके भक्तों ने कैंची धाम में मंदिर निर्माण कार्य 1974 में शुरू किया. 15 जून 1976 को बाबा की प्रतिमा की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा की गई. तब से यह दिन प्रतिष्ठा दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है.
भंडारे की विशेष मान्यता
कहा जाता है कि इस दिन प्रसाद की कोई कमी नहीं होती. एक बार घी की कमी पड़ने पर बाबा के निर्देश पर शिप्रा नदी से लाया गया जल प्रसाद बनाने पर घी में परिवर्तित हो गया. इसके बाद जब असली घी पहुंचा, तो बाबा ने कहा, ‘अब नदी को उसका घी लौटा दो.’ इस दिव्य घटना ने श्रद्धालुओं की आस्था को और गहरा किया.
बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या और प्रबंध
पिछले साल, जहां लगभग 24 लाख श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचे, वहीं इस साल 15 जून 2025 को अनुमानित 2.5 से 3 लाख लोग प्रतिष्ठा दिवस पर पहुंच सकते हैं. धाम की सीमित क्षमता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने विशेष तैयारी की है.
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सुरक्षा व्यवस्था और यातायात प्रबंधन
इस बार मेले में पहली बार एटीएस (ATS) और एसएसबी (SSB) को तैनात किया गया है. पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी, ड्रोन व पीए सिस्टम से निगरानी की जाएगी. तीन जिलों के पुलिस अधीक्षक व्यवस्था संभालेंगे.
धाम तक सीधी यात्रा के लिए हल्द्वानी, भवाली, नैनीताल, गरमपानी से विशेष शटल सेवाएं चलाई जाएंगी. दोपहिया वाहनों और निजी वाहनों का प्रवेश भवाली से आगे पूरी तरह से बंद रहेगा. बुजुर्गों, दिव्यांग और बीमार श्रद्धालुओं के लिए अलग शटल सेवा की व्यवस्था की गई है.