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आज है साल की पहली काल भैरव अष्टमी, जानिए पूजा की सही विधि क्या है

कालाष्टमी हर महीने कृष्‍णपक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। 17 जनवरी शुक्रवार यानी आज माघ माह में कृष्‍ण पक्ष की कालाष्टमी मनाई जा रही है। ये पहली कालाष्टमी है इस साल की।

07:33 AM Jan 17, 2020 IST | Desk Team

कालाष्टमी हर महीने कृष्‍णपक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। 17 जनवरी शुक्रवार यानी आज माघ माह में कृष्‍ण पक्ष की कालाष्टमी मनाई जा रही है। ये पहली कालाष्टमी है इस साल की।

कालाष्टमी हर महीने कृष्‍णपक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। 17 जनवरी  शुक्रवार यानी आज माघ माह में कृष्‍ण पक्ष की कालाष्टमी मनाई जा रही है। ये पहली कालाष्टमी है इस साल की। भैरवाष्टमी के नाम से भी कृष्‍णपक्ष की अष्टमी भी कहते हैं। भगवान भैरव की पूजा इस दिन लोग करते हैं साथ में व्रत भी रखते हैं। भगवान काल भैरव की उपासना इस व्रत की करते हैं। बता दें कि शिव का पांचवा अवतार काल भैरव को कहते हैं। 
काल भैरव के भी दो रूप हैं बटुुक भैरव पहला है जो भक्तों को अभय देते हैं जबकि दूसरा उनका काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाला भयंकर दंडनायक अवतार है। जो गलत काम करने पर भक्तों को दंड देते हैं। जो लोग भगवान भैरव के भक्तों का बुरा करते हैं उन्हें तीनों लोकों में से किसी में शरण नहीं मिलती। मन से भय भगवान काल भैरव की पूजा करने से दूर होता है। भगवान काल भैरव से तो काल भी भय करता है। इसी वजह से उन्हें काल भैरव कहा जाता है। 
काल भैरव के हाथ में त्रिशुल, तलवार और डंडा होता है जिसकी वजह से उन्हें दंडपाणि भी कहते हैं। शास्‍त्रों में कहा गया है कि मन का भय काल भैरव की विधिवत रूप से पूजा करने से दूर होता है। साथ ही भक्तों की पूर्ण मनोकामना भी पूरी करते हैं। नकारात्मक  शक्तियां भी कालभैरव की पूजा करने से दूर रहती हैं। शनि और राहू जैसे ग्रह भी काल भैरव की पूजा करने से शांत रहते हैं। शत्रु बाधा और दुर्भाग्य काल भैरव की पूजा करने से दूर होता है और सौभाग्य जीवन में बना रहता है। 
ऐसे पूजा करें

भगवान भैरव के मंदिर में स्नान-ध्यान करने के बाद जाकर अबीर, गुलाल,चावल, फूल और सिंदूर अर्पित करें। भक्त नीले फूल भगवान भैरव को जरूर समर्पित करें इससे उनकी कृपा व्यक्ति पर बनी रहेगी। काल भैरव अपने भक्तों पर ऐसे करने से कृपा बनाए रखेंगे और मनोकामना पूर्ण करेंगे।
नींबू की माला अर्पित करें
मान्यता के अनुसार भगवान भरैव को काले उड़द, काले तिल और 11 रूपए काले कपड़े में रखकर समर्पित करें। ऐसा करने से शरीर की सारी नकारात्मकता दूर हो जाएंगी। मान्यताओं के अनुसार नींबू की माला भगवान भैरव को कालाष्टमी के दिन समर्पित करने से सारी मनचाही कामनाएं पूरी होती हैं। 
भैरव बाबा की इस तरह कालाष्टमी के दिन पूजा करने से भक्तों को अपार धन, यशा और सफलता जीवन में बने रहना का वरदान देते हैं। कालाष्टमी के दिन किसी भी मंदिर में जाकर काजल और कपूर दान करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और कालभैरव की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव के मंदिर में जाकर चमेली का तेल और सिंदूर समर्पित करने से जीवन में धन से जुड़ी सारी परेशानियां दूर होती हैं। 
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