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जेएनयू छात्र यूनियन के प्रधान कन्हैया कुमार का दावा : "सरकार विरोधी हूं, देश विरोधी नहीं"

खाया पीया लाहे दा, बचे सो अहमद शाहे दा। ’ प्राचीन मुहावरे का जिक्र करते हुए दिल्ली से आए जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के प्रधान कन्हैया कुमार ने लुधियाना

02:50 PM Aug 04, 2018 IST | Desk Team

खाया पीया लाहे दा, बचे सो अहमद शाहे दा। ’ प्राचीन मुहावरे का जिक्र करते हुए दिल्ली से आए जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के प्रधान कन्हैया कुमार ने लुधियाना

लुधियाना : ‘ खाया पीया लाहे दा, बचे सो अहमद शाहे दा। ’ प्राचीन मुहावरे का जिक्र करते हुए दिल्ली से आए जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के प्रधान कन्हैया कुमार ने लुधियाना स्थित गुरूनानक भवन में आयोजित दो दिवसीय यूथ कनकलेव स्पीकिंग माइंडस के पहले दिन विचार-विमर्श के दौरान संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि भले ही इस बात का आम लोगों को कोई फर्क न पड़े। वो समय चला गया।

किंतु आज वर्तमान का क्या करें, कि खाया पीया लाहे दा, बचे सो अहमद शाहे दा। इसका तो कुछ उपाय करना पड़ेगा न। कन्हैया ने यह भी कहा कि जब वो बोलते हैं तो अकसर लोग कहते हैं कि आप सरकार विरोधी काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विरोधी होने में भी कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार विरोधी कहते कहते, देश विरोधी कहना शुरू कर देते हैं। जिससे कंफ्यूजन शुरू होता है कि अमित शाह कब से देश हो गया । मोदी कब से देश हो गए। कन्हैया ने कहा कि देश के अंदर सरकार और सिस्टम के खिलाफ बोलने वाले लोगों को देश विरोधी कहकर उनपर देश द्रोही होने की मोहर लगाने का रूझान चल रहा है।

कन्हैया ने सवाल खड़ा करते हुए पूछा, भाजपा को किस ने राष्ट्रवादी होने का ठेका दे दिया। यह सवाल मैं उनसे पूछना चाहता हूं। एक सीधा सा सवाल है, मैं बिलकुल सहमत हूं, जो बाबा साहब ने कहा, राष्ट्रवाद एक जज्बात है। हम अपने देश से प्रेम करते हैं। हम अपनी मां से प्रेम करते हैं। मगर राह चलते कोई हम से कहे कि करके दिखाओ तो यह कहने की बात है क्या? बेटे के जन्म दिन पर भी क्या हम भारत माता की जय बोलें? हम कब बोलेंगे, यह निर्धारित करने वाले आप कौन होते हैं। 21वीं सदी में राष्ट्रवाद को प्रभाशित करने की हमें जरूरत नहीं है।

छात्रों को राइट टू एजूकेशन का अधिकार मिलना जरूरी – गुरमेहर
सरकार का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारा महिलाओं में असुरक्षा की भावना दर्शाता है। समाज में ऐसे माहौल की जरूरत जिसमें महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें। यह बात छात्रा, लेखिका व एक्टिविस्ट गुरमेहर कौर गौर ने कही। यहां पत्रकारों से बात करते हुए गुरमेहर ने कहा कि शिक्षा सब का अधिकार है। मगर महंगी शिक्षा अब गरीब छात्रों के हाथ से फिसलती जा रही है। देश में राइट टू एजूकेशन का अधिकार होना चाहिए। सरकार को यूनिवर्सिटी के लिए अलग से फंडिंग करनी चाहिए।

इस कार्यक्रम में तीन पैनल रखे गए। जिसमें स्किल डवलेपमेंट को लेकर उपस्थित छात्रों के सवालों के जवाव दिए गए। इस दौरान क्रिएटिव इंडस्ट्री से संबंधित पैनल में एक्ट्रेस श्रेया मेहता, टीवीएफ एक्टर जसमीत सिंह भाटिया, शिवांकित परिहार, यूथ लीडरशिप व नेशन बिल्डिंग से संबंधित पैनल में इंडियन नेशनल कांग्रेस के कोआर्डिनेटर गौतम सेठ, गुरमेहर गौर, एनडीटीवी के कार्यक्रम जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी तथा अंत में नेशनलिस्म व फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन संबंधित पैनल में जीएनयू छात्रा शेहला राशीद, जीएनयू के पूर्व नेता कन्हैया लाल, भारतीय जनता युवा मोर्चा के स्टेट स्पोकसमैन विक्रम बावा तथा एनडीटीवी के कार्यक्रम जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी ने छात्रों के सवालों के जवाब दिए ।

– सुनीलराय कामरेड

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