Karan Johar: AI ने बदला Raanjhanaa का अंत, Karan Johar बोले: "क्या ही उखाड़ दिया कहानी से!"
Karan Johar: फिल्म इंडस्ट्री में तकनीक का इस्तेमाल दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। हाल ही में, 2013 की लोकप्रिय फिल्म Raanjhanaa का एक नया वर्जन सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें फिल्म का अंत पूरी तरह बदल दिया गया था। यह नया क्लाइमैक्स Artificial Intelligence (AI) की मदद से बनाया गया था। इस बदलाव ने न केवल दर्शकों को हैरान किया, बल्कि बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म निर्माता Karan Johar ने भी इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
Raanjhanaa… फिल्म ने 2013 में लोगों के दिलों को छू लिया था। अधूरी मोहब्बत, जज़्बात और बलिदान की कहानी जिसने बॉलीवुड में अपनी अलग जगह बनाई। लेकिन अब, एक नया वर्जन सामने आया है, AI ने फिल्म का क्लाइमैक्स पूरी तरह बदल डाला है। सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ये AI-जनरेटेड एडिट कुछ ऐसा था कि जिसमें कुंदन (Dhanush) ज़िंदा बच जाता है और ज़ोया (Sonam Kapoor) के साथ एक सुखद अंत पाता है। यानी वो दुखभरा अंत गया, और खुशियों भरा नया आखिरी सीन आ गया। लेकिन इस बदलाव को हर किसी ने खुशी से नहीं लिया। खासकर करण जौहर जैसे बड़े फिल्म निर्माता ने इसे रचनात्मकता का अपमान बताया।
Karan Johar का कड़क रुख
Karan Johar ने साफ कहा,"फिल्म का क्लाइमैक्स उसकी रूह होता है। इसे बिना अनुमति बदला जाना, कहानी की हत्या के बराबर है। अगर आपको फिल्म का अंत पसंद नहीं, तो खुद नई कहानी लिखो।"
Karan ने AI द्वारा की गई इस छेड़छाड़ को गैर-जिम्मेदाराना बताया। उनका मानना है कि फिल्मों में जो दर्द, जज़्बात और सच्चाई होती है, वह मशीनें कभी समझ नहीं सकतीं। करण जौहर का कहना है "AI सिर्फ एक टूल है, जो काम आसान करता है, लेकिन दिल और भावना की जगह नहीं ले सकता।"
फैंस का प्यार या कलाकारों का सम्मान?
आज के जमाने में फैंस भी क्रिएटिव हो गए हैं। वे फिल्मों के एडिटिंग, कट, और यहां तक कि नए अंत भी बना डालते हैं। लेकिन Karan Johar का कहना है कि ये फैंस का प्यार सही दिशा में होना चाहिए। "जब तक कलाकारों की अनुमति न हो, तब तक उनकी मेहनत और रचनात्मकता के साथ छेड़छाड़ करना गलत है।" यह बात सिनेमा की असली आत्मा से जुड़ी है, क्योंकि फिल्में केवल कहानी नहीं, बल्कि कलाकारों के जज़्बात और कड़ी मेहनत का नतीजा होती हैं।
AI का जमाना है, कोई शक नहीं। फिल्म इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल वीएफएक्स, एडिटिंग, गानों और यहां तक कि स्क्रिप्ट के कुछ हिस्सों में होने लगा है। लेकिन क्या AI फिल्मों की आत्मा को छू सकता है? Karan Johar का मानना है, "तकनीक का इस्तेमाल जरूर होना चाहिए, पर कहानी और जज़्बात इंसानी होने चाहिए।
AI जब कहानी के अंत को बदल देता है, तो वह सिर्फ दिखावे की चीज़ बन जाती है।" इसलिए, AI को एक मददगार उपकरण समझा जाना चाहिए, फिल्म के रचनात्मक पक्ष को बदलने वाला हथियार नहीं।
बॉलीवुड की परंपरा और भावनाएं
बॉलीवुड फिल्मों की खासियत होती है उनका जज़्बा, भावनाओं की गहराई, और किरदारों की सच्चाई। Raanjhanaa की कहानी में कुंदन और ज़ोया के रिश्ते का दर्द ही उसे यादगार बनाता है। अगर हम उस दर्द को खत्म कर दें और खुशियों का फ़िल्टर लगा दें, तो क्या वो फिल्म वही होगी? Karan Johar इस सवाल का जवाब साफ़ देते हैं की अगर फिल्म में इमोशंस को हटा कर अलग ही फ़िल्टर लगा देंगे तो फिल्म की अरिजनैलिटी ही ख़त्म हो जाएगी करण का साफ़ कहना है "फिल्में तब तक जिंदा रहती हैं, जब तक उनमें दिल होता है। मशीन की बनाई चीज़ में वो जज़्बा नहीं होता।"
भविष्य की फिल्में: AI के साथ या बिना?
जैसे-जैसे AI तकनीक बढ़ेगी, सवाल ये होगा कि क्या कलाकार अपनी रचनात्मक आज़ादी बचा पाएंगे? क्या दर्शक असली जज़्बात महसूस कर पाएंगे, या सिर्फ तकनीक की चमक देखेंगे? Karan Johar इस दिशा में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं करण जौहर ने इस पर कहा "तकनीक का सही इस्तेमाल हो, लेकिन कहानी और कलाकारों की रचनात्मकता को नुकसान न पहुंचे।" यह विवाद सिर्फ Raanjhanaa का नहीं, बल्कि पूरे बॉलीवुड की एक बड़ी बहस है।