Karnataka: हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या बढ़ी, कोविड वैक्सीन पर उठे सवाल, जानें पूरा सच
Karnataka: कर्नाटक के हासन जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, यहां पिछले एक महीने के अंदर 20 से ज्यादा लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो चुकी है. हैरानी की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर पीड़ित युवा थे. इतनी ज्यादा संख्या में अचानक हार्ट अटैक से मौतें होना लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है. स्थानीय प्रशासन भी यह समझ नहीं पा रहा कि अचानक इतनी मौतें क्यों हो रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इस पूरे मामले पर बयान देते हुए कोविड वैक्सीन को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि हो सकता है इन मौतों के पीछे कोविड वैक्सीन का कोई संबंध हो, जिससे इस बयान पर विवाद शुरू हो गया.
क्या कहती है ICMR की स्टडी ?
कोविड वैक्सीन को लेकर फैल रही आशंकाओं पर ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) और AIIMS जैसी संस्थाओं ने रिसर्च की है. ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, हार्ट अटैक और कोविड वैक्सीन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है. रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इससे किसी प्रकार का गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता.
कोविड वैक्सीन नहीं, जीवनशैली है जिम्मेदार
ICMR और NCDC (नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल) की ओर से की गई दूसरी स्टडी में बताया गया है कि हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों के पीछे खराब जीवनशैली, गलत खानपान, तनाव और नींद की कमी जैसे कारण ज्यादा जिम्मेदार हैं. कोविड वैक्सीन को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत जैन के अनुसार, कोविड वायरस से संक्रमित लोगों में साइलेंट मायोकार्डाइटिस (दिल की मांसपेशियों में सूजन) की समस्या देखी जा रही है. यह सूजन समय के साथ गंभीर हो सकती है और इसका पता भी जल्दी नहीं चलता.
ब्लड क्लॉट और हार्ट अटैक
कोविड वायरस के चलते कुछ लोगों के दिल में खून के थक्के बनने लगते हैं, जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है. ये थक्के किसी भी उम्र के व्यक्ति में बन सकते हैं, भले ही वह बाहर से पूरी तरह फिट नजर आए.
हार्ट अटैक बढ़ने के अन्य कारण
डॉ. जैन के मुताबिक हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि का एक बड़ा कारण हमारी बदलती जीवनशैली है. अधिक मानसिक तनाव, नींद की कमी, फास्ट फूड का बढ़ता सेवन, धूम्रपान और शारीरिक गतिविधि की कमी से भी हृदय रोगों का खतरा बढ़ गया है.