Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

कर्नाटक को गैरजिम्मेदाराना बयान देना बंद करना चाहिए, नहीं तो जलापूर्ति पर फिर से विचार करना होगा : शंभूराज देसाई

कर्नाटक के साथ सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने बुधवार को कहा कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई गैर-जिम्मेदाराना बयान देना बंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र को अपने बांधों से पड़ोसी राज्य को पानी मुहैया कराने के बारे में फिर से विचार करना होगा।

04:17 PM Dec 21, 2022 IST | Desk Team

कर्नाटक के साथ सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने बुधवार को कहा कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई गैर-जिम्मेदाराना बयान देना बंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र को अपने बांधों से पड़ोसी राज्य को पानी मुहैया कराने के बारे में फिर से विचार करना होगा।

कर्नाटक के साथ सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने बुधवार को कहा कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई गैर-जिम्मेदाराना बयान देना बंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र को अपने बांधों से पड़ोसी राज्य को पानी मुहैया कराने के बारे में फिर से विचार करना होगा। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद पर अदालत में लंबित एक मामले के लिए कानूनी टीम के साथ समन्वय के लिए कैबिनेट सदस्यों चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई को नोडल मंत्री नियुक्त किया था।
Advertisement
 दोनों सदनों में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित
देसाई ने नागपुर में विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कर्नाटक सरकार के महाराष्ट्र को एक इंच भी जमीन नहीं देने के रुख पर सवाल उठाए। कर्नाटक विधानमंडल ने राज्य के रुख को दोहराते हुए कहा था कि सीमा का मुद्दा सुलझा हुआ है और पड़ोसी राज्य को एक इंच भी जमीन नहीं दी जाएगी। कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को सीमा विवाद पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री बोम्मई ने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का सुझाव दिया, जिसमें अपने रुख को दोहराया जाए।
पानी की आपूर्ति निर्भर
देसाई ने कहा कि वह ऐसी टिप्पणियों की निंदा करते हैं और संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसे बयान देना बोम्मई को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो एक मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की ‘‘उकसाने वाली भाषा’’ का इस्तेमाल करना सही नहीं है और उन्हें इसे रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र धैर्य बनाए हुए है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री को ध्यान में रखना चाहिए कि दक्षिणी राज्य मार्च तथा अप्रैल महीने के शुष्क मौसम के दौरान कोयना और कृष्णा बांधों (महाराष्ट्र में) से पानी की आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर रहता है।
1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी
देसाई ने कहा, ‘‘ अगर कर्नाटक नहीं रुकता है, तो महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य को पानी की आपूर्ति को लेकर पुनर्विचार करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता जयंत पाटिल ने भी मंगलवार को कहा था कि महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य पर ‘‘लगाम कसने’’ के लिए बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए। दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है।
भाषाई आधार पर किया गया सीमांकन अंतिम
महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा वहां रहता है। वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। वहीं, कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर किया गया सीमांकन अंतिम है।
Advertisement
Next Article