Karni Mata Temple Bikaner: जानिए क्या है बीकानेर के करणी माता मंदिर का सच, क्यों लगाते हैं चूहों को भोग
Karni Mata Temple Bikaner: राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए पूरी दुनिया भर में जाना जाता है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है जिन्हे मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। इस मंदिर में हजारों की संख्या में चूहे मौजूद हैं। इसकी यही खासियत है। भारत में हर मंदिर की अपनी-अपनी परंपरा है। जब आप मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं, तो आपको उस मंदिर के कई अनोखे रहस्य जानने को मिलते हैं।
जब लोग किसी भी मंदिर जाते हैं तो जो प्रसाद होता है वो भगवान को चढ़ाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे मंदिर भी होते हैं जहां प्रसाद भगवान को नहीं बल्कि जानवरों को चढ़ाया जाता है। कुछ मंदिरों के रहस्य जानने के लिए वहां जाना बहुत ज़रूरी है, तो आइए जानते हैं कि क्या है इस मंदिर का पूरा सच और क्यों चढ़ाते हैं यहां चूहों को प्रसाद।
भारत में जितने भी धार्मिक स्थल मौजूद हैं। सबकी अपनी-अपनी परंपरा और मान्यता है। हर मंदिर में जाने के बाद आपको वहां के चमत्कार के बारे में पता चलता है। ज्यादातर लोगों को ऐसे मंदिरों के बारे में जानने का ज्यादा शौक होता है। ऐसी ही एक कहानी राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता मंदिर की भी है। जिसे हर कोई जानना चाहता है।
History of Karni Mata Temple: करणी माता मंदिर को इतिहास
करणी माता 14वीं शताब्दी की एक संत मानी जाती हैं। उस मंदिर के पास रहने वाले लोग उन्हें देवी दुर्गा का अवतार मानते हैं। करणी माता चारण जाति से थीं और वो एक तपस्विनी जीवन जीते थी। उन्होंने बीकानेर और जोधपुर के किलों की नींव रखवाई थी। इस मंदिर में करणी माता अपने चमत्कारों और आशीर्वाद के लिए मशहूर थी। इस जगह पर आज भी बहुत से ऐसे लोग मौजूद हैं, जो इस मंदिर में पूरी भक्ति और भावना के साथ पूजा करते हैं।
लोग उन्हें अपनी मां मानते हैं लोग इसे चूहों का मंदिर कहते हैं। यहां करीब 25,000 चूहे रहते हैं इन चूहों को यहां की भाषा में काबा कहा जाता है। यह सारे चूहे मंदिर के आस-पास घूमते रहते हैं। इन चूहों को भी मां का रूप माना जाता है। यहां की सबसे खास बात यह है कि यहां चूहों को दिया गया प्रसाद काफी पवित्र माना जाता है। जब भी लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं, तो बड़ी श्रद्धा से दूध और मिठाई इन चूहों को खिलाते हैं।
Karni Mata Temple Bhog: करणी माता को लगाया जाता है ये भोग
इस मंदिर में सफ़ेद चूहों को ज्यादा पवित्र माना जाता है। क्योंकि उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार समझा जाता है। यदि किसी श्रद्धालु को सफेद चूहा दिखाई दे जाए तो माना जाता है कि वो व्यक्ति सौभाग्येशाली है यहां किसी भी चूहे को मारना बहुत पाप की बात होती है। अगर गलती से यह पाप हो जाए, तो उस व्यक्ति को सोने का चूहा चढ़ाना पड़ता है। मंदिर में रोज सुबह मंगल आरती और भोग की परंपरा निभाई जाती है। यहां साल में दो बार करणी माता मेला आयोजित किया जाता है। चैत्र और आश्विन नवरात्र के अवसर पर यहां मेला लगता है। मेलों में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
माना जाता है कि करणी माता के सौतेले पुत्र लक्ष्मण की डूबने से मृत्यु हो गई थी। मां ने यमराज से प्रार्थना की थी उनके पुत्र को जीवित करने के लिए इस बात को सुनने के बाद शुरुआत में यमराज ने इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में उन्होंने करणी माता को न केवल लक्ष्मण बल्कि उनके सभी वंशजों को चूहों के रूप में पुनर्जन्म देने का वरदान दिया। यही कारण है कि इस मंदिर में चूहों का खास महत्व है। यह मंदिर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है। बीकानेर राजस्थान के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क के रास्ते इस मंदिर में जाया जा सकता है।
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