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कार्तिक पूर्णिमा से कैसे जुड़ी है महादेव के "त्रिपुरारी" अवतार की कहानी

04:04 PM Nov 04, 2025 IST | Khushi Srivastava
Kartik Purnima Ka Mahatva Aur Katha (AI Generated)

Kartik Purnima Ka Mahatva Aur Katha: हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और शिव जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन दीपदान और स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन देवता धरती पर आकर काशी के घाटों पर दिवाली मनाते हैं।

माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए किसी भी कार्य का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय करने से आर्थिक संकट दूर होता है। आइए जानते हैं इस साल कार्तिक पूर्णिमा कब है, इसका क्या महत्व है और इसकी व्रत कथा क्या है।

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Kartik Purnima 2025: कब है कार्तिक पूर्णिमा?

Kartik Purnima Ka Mahatva Aur Katha (Photo: AI Generated)
पंचांग के अनुसार,  कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को रात 10:36 बजे से होगी और समापन 5 नवंबर को शाम 6:48 बजे होगा। उदय तिथि के हिसाब से कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को मनाई जाएगी।

Kartik Purnima Vrat Katha: जब महादेव कहलाए थे -"त्रिपुरारी"

Kartik Purnima Ka Mahatva Aur Katha (Photo: AI Generated)
एक समय की बात है, तारकासुर नाम का एक असुर था जिसके तीन पुत्र थे — तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया, तो उसके तीनों पुत्र अत्यंत दुखी हो गए। उन्होंने अपने पिता की मृत्यु का बदला देवताओं से लेने का निश्चय किया और इसके लिए ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उनके सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा। तीनों ने अमरत्व का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्मा जी ने कहा कि यह संभव नहीं है और उन्हें कोई अन्य वरदान मांगने को कहा।
इसके बाद तीनों ने ब्रह्मा जी से यह वरदान मांगा कि वे तीन अलग-अलग नगरों का निर्माण करवाना चाहते हैं — ऐसे नगर जिनमें वे रहते हुए संपूर्ण पृथ्वी और आकाश में भ्रमण कर सकें। उन्होंने यह भी शर्त रखी कि एक हजार वर्ष बाद जब उनके तीनों नगर एक स्थान पर मिलें, तभी कोई देवता या शक्तिशाली अस्त्रधारी यदि एक ही बाण से उन नगरों को नष्ट कर सके, तो वही उनका संहार कर पाए।ब्रह्मा जी ने उनकी यह इच्छा पूर्ण कर दी और तीन नगर बनवाए — तारकाक्ष के लिए सोने का, कमलाक्ष के लिए चांदी का, और विद्युन्माली के लिए लोहे का। वरदान प्राप्त करने के बाद तीनों भाइयों ने चारों ओर आतंक फैलाना शुरू कर दिया और स्वर्ग पर अधिकार करने का प्रयास किया। इससे इंद्रदेव भयभीत हो गए और भगवान शिव से सहायता मांगी।

तब महादेव ने एक दिव्य रथ का निर्माण किया और एक ही बाण से तीनों नगरों का नाश कर त्रिपुरासुरों का वध कर दिया। तभी से भगवान शिव को “त्रिपुरारी” के नाम से जाना जाने लगा। देवताओं ने इस दिन जीत की खुशी में दीप जलाकर उत्सव मनाया, जिसे "देव दीपावली" भी कहा जाता है।

Kartik Purnima Significance: क्यों खास होता है कार्तिक पूर्णिमा का दिन?

Kartik Purnima Ka Mahatva Aur Katha (Photo: AI Generated)

हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी गंगा में स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पर्व फसल कटाई से भी जुड़ा हुआ है, यह दिन किसान अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद करने के लिए मनाते हैं। इस दिन किए गए कार्य भक्तों के जीवन में खुशियां और सुख-समृद्धि लाते हैं।

Kartik Purnima Ka Mahatva Aur Katha (Photo: AI Generated)
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Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha: बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है भगवान विष्णु, भगवान शिव की आराधना करने के लिए काशी आए। गंगा स्नान के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वे भगवान शिव को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प अर्पित करेंगे। पूजा के दौरान उन्होंने देखा कि एक फूल कम है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष्णुजी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक कमल छिपा लिया था। जब फूल कम पड़ा, तो भगवान विष्णु ने आगे पढ़ें...
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