Kashi Manikarnika Ghat: काशी का वो घाट जहां 24 घंटे जलती है चिता, सच जानकर रह जाएंगे हैरान
Kashi Manikarnika Ghat: काशी करोड़ों हिंदुओं की आस्था और भक्ति का केंद्र है। यहां हर दिन अनगिनत लोग दर्शन करने और घूमने के लिए आते हैं। यहां कुल 84 घाट मौजूद हैं। जिसमें से एक घाट ऐसा भी है, जहां 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं। इस घाट का कुछ ऐसा रहस्य और बातें हैं, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। जब भी लोग काशी घूमने आते हैं, तो इन घाटों पर ज़रूर घूमते हैं। माना जाता है कि अगर आप इन घाटों पर बैठकर थोड़ा समय बिताते हैं, तो आपको मृत्यु का मतलब समझ आता है। काशी एक बहुत ही खूबसूरत और न जाने कितनी साल पुरानी नगरी है।
Manikarnika Ghat Mystery: मणिकर्णिका घाट का इतिहास

वाराणसी का मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट और गंगा आरती देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। काशी एक ऐसी जगह है, जहां गर्मी, सर्दी या बरसात हर समय लोगों का तांता लगा रहता है। काशी को शिव की नगरी कहा जाता है। यह जगह बहुत ही अद्भुत है, यहां पर हर कोने के पीछे एक कहानी है।
काशी के मणिकर्णिका घाट को मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि जिन लोगों की मृत्यु हो जाती है, अगर उनकी चिता इस घाट पर जलाई जाती है, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसे रहस्य मानते हैं। आइए जानते हैं, इसकी पूरी कहानी क्या है और इस घाट पर रात-दिन क्यों जलती है चिता।
मणिकर्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार किया जाता है। इस घाट पर हर समय चारों तरफ चिताएं जलती रहती है। माना जाता है कि यहां शव को जलाने से पहले उससे पूछा जाता है कि क्या उसने शिव जी के कान का कुंडल देखा है। यह बात शव के कान में पूछी जाती है, उसके बाद उसका दाह संस्कार किया जाता है। ऐसा करने के पीछे भी एक बहुत बड़ा रहस्य है।
Manikarnika Ghat Significance: क्या है इस घाट का महत्त्व

मणिकर्णिका घाट के बारे में एक कहानी काफी ज्यादा प्रचलित है। बताया जाता है कि इस जगह को माता पार्वती का श्राप लगा है, इसी कारण से यहां हमेशा चिताएं जलती रहती है। इसके पीछे की कहानी ये है कि माता पार्वती की कान की बाली यहां गिरी और उसे ढूंढने के बाद भी वो नहीं मिली। इसके बाद माता पार्वती ने क्रोध में आकर इस जगह को श्राप दे दिया कि अगर मेरे कान की बाली यहां नहीं मिली, तो यह जगह हमेशा जलती रहेगी। तब से लेकर आज तक इस जगह पर 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं। यहां की आग कभी नहीं बुझती है।
भगवान विष्णु ने यहां शिवजी की तपस्या करने के बाद एक कुंड का निर्माण किया था। मां मणिकर्णिका की मूर्ति इसी कुंड से निकली थी, जो कि सिर्फ साल में एक बार अक्षय तृतीया के दिन निकाली जाती है। माता की मूर्ति को पूजन दर्शन के लिए कुंड में स्थित 10 फीट ऊंचे पीतल के आसन पर विराजमान करते हैं।माना जाता है कि इस कुंड में जो भी व्यक्ति स्नान करता है, उसे मुक्ति की प्राप्ति होती है। इस घाट को मोक्षदायिनी घाट भी कहा जाता है।

- इस घाट पर स्नान करने से पहले गंगा माता का ध्यान ज़रूर करना चाहिए और ये प्रण लेना चाहिए कि आप अपने पापों से मुक्त होकर पवित्र जीवन जीने का प्रयास करेंगे।
- जब भी आप घाट पर गंगा में डुबकी लगाएं, तो उस समय भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान ज़रूर करें।
- 3 स्नान के बाद मणिकर्णिका घाट पर स्थित शिवलिंग की पूजा करें, जिसमें जल, पुष्प, दूध और बेलपत्र अर्पित करें।
- स्नान के बाद अनाज, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है, ऐसा करने से आपको जीवन में सुख समृद्धि और पुण्य प्राप्त होता है।
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