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कश्मीर : जय महाकाल बोलो रे

मशहूर कैमिस्ट माखन लाल बिन्दू से लेकर बैंक मैनेजर विजय कुमार तथा बिहारी मजदूरों की हत्याओं से कश्मीर की सियासत में उबाल आना स्वाभाविक है।

12:47 AM Jun 05, 2022 IST | Aditya Chopra

मशहूर कैमिस्ट माखन लाल बिन्दू से लेकर बैंक मैनेजर विजय कुमार तथा बिहारी मजदूरों की हत्याओं से कश्मीर की सियासत में उबाल आना स्वाभाविक है।

मशहूर कैमिस्ट माखन लाल बिन्दू से लेकर बैंक मैनेजर विजय कुमार तथा बिहारी मजदूरों की हत्याओं से कश्मीर की सियासत में उबाल आना स्वाभाविक है। पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों ने लगातार कश्मीरी हिन्दुओं और गैर कश्मीरियों को निशाना बनाकर अपने नापाक इरादे साफ कर दिए हैं। घाटी में हिन्दू कश्मीरी खौफ में हैं, और वे मांग कर रहे हैं तो उनका तबादला घाटी से बाहर कर दिया जाए। अभी तो छिटपुट पलायन शुरू हुआ है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जिस तरह से जम्मू-कश्मीर की स्थितियां बदल रही हैं, अलगाववादी ताकतें और आतंकी संगठन इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे इसलिए आतंकवादी कश्मीरी पंडितों को लगातार निशाना बनाकर ऐसा दहशत का माहौल कायम करना चाहते हैं, जिससे घाटी में तीन दशक पहले यहां से खदेड़ दिए गए कश्मीरी पंडितों की वापिसी की जो आशाएं बंधी थीं, उसे पूरी तरह तीक्ष किया जा सके। यदि ऐसा होता है तो इससे आतंकवादियों के मंसूबे ही पूरे होंगे और घाटी में 1990 जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। आज टारगेटेड किलिंग्स की बात की जा रही है, लेकिन देखा जाए तो आतंकवादियों के निशाने पर केवल कश्मीरी हिन्दू ही नहीं बल्कि वह कश्मीरी भी हैं जिनकी लोकतंत्र में आस्था है और वे राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होकर जीवन ​बिता रहे हैं। आतंकियों ने पिछले ही माह पुलिस कर्मी रियाज अहमद, सैफुल्ला कादरी और टीवी अदाकारा अमरीन भट्ट की भी निर्मम हत्याएं की हैं। लक्षित हिंसा पहले भी होती रही है। कभी कश्मीरी मुस्लिम युवा की नमाज पढ़ कर लौटते वक्त हत्या की गई, कभी छुट्टी पर लौटे जवान की हत्या की गई। यह सवाल भी बार-बार उठाया जाता है कि ये कैसी जिहाद है, जिसमें मुसलमान मुसलमान को मार रहा है। आतंकवादियों ने परिवारों के कई पेड़ गिराए हैं, जिनके साये में परिवार पल रहा था। आतंकी उन सबकी दुनिया उजाड़ रहे हैं जो उनके नापाक इरादों में बाधा बन रहे हैं।
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कश्मीर की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले ​दो दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और खुफिया एजैंसियों के प्रमुखों के साथ बैठक कर सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा की और टारगेट किलिंग को रोकने के लिए नई रणनीति पर चर्चा की। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार करने की भी योजना तैयार कर ली है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह साफ किया है कि सरकारी कर्मचारी हिन्दू कश्मीरियों का जम्मू में तबादला नहीं होगा बल्कि उन्हें घाटी में ही सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाएगा। कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा व्यवस्था को भी अभेद्य बनाया जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने जिस साहस और संकल्प के साथ एक ही झटके में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म किया था और इस पर कोई हिंसा भी नहीं हुई थी तब से देशवासियों का भरोसा गृहमंत्री अमित शाह पर है और वह महसूस करते हैं कि देश का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के हाथों में सुरक्षित है। अब जबकि कश्मीर का एक तरफा साम्प्रदायिक चरित्र फिर से गढ़ना शुरू हो गया है। इसके बावजूद गृहमंत्री कश्मीर की स्थिति सामान्य बनाने के ​लिए दृढ़संकल्प है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की रणनीति के तहत ही जम्मू-कश्मीर में कश्मी​री हिन्दुओं के लिए 6000 सरकारी नौकरियों के पद सृ​जत किए गए।  इनमें से 5900 पद भरे भी जा चुके हैं। प्रधानमंत्री की योजना के तहत प्रवासी श्रमिकों को जम्मू-कश्मीर में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 1990 के बाद यह पहला अवसर है कि विस्थापित गैर मुस्लिमों की सम्पत्तियों से अवैध कब्जे हटाने की मुहिम चलाई गई और विस्थापितों की जायदाद अवैध कब्जे हटाकर वास्तविक भूमि मालिकों को सौंपी जा रही है। यह सब कट्टरपंथी ताकतों और आतंकी संगठनों को सहन नहीं हो रहा। राज्य के राजनीतिक दलों के नेता भी जहर उगल रहे हैं। फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती लगातार बयानबाजी कर लोगों का मनोबल कमजोर कर रहे हैं। 
इतिहास गवाह है कि जब-जब कश्मीर हिंसा से जला तब-तब फारूख अब्दुल्ला कश्मीर को जलता छोड़ लंदन भाग जाते रहे हैं। ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ जबरदस्त सफलता मिल रही है। और टॉप आतंकवादियों को मार गिराया जा रहा है। गृहमंत्रालय लगातार कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने के लिए काम कर रहा है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आतंकवादियों के इरादों को पराजित करने के लिए कश्मीरी हिन्दुओं समेत पूरे आवाम को अपना मनोबल और इच्छा शक्ति बनाए रखनी होगी। पंजाब के लोगों ने भी आतंकवाद को अपने मनोबल और इच्छाशक्ति से ही पराजित किया था। आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सुरक्षा बलों को कश्मीरी हिन्दुओं के आत्मबल की भी जरूरत है।
मोदी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर में निर्णायक जंग के लिए तैयार हैं। लेकिन राष्ट्रहित में कश्मीरी हिन्दुओं और देशवासियों से यही पुकार रहा है।
‘‘मांगो-मांगो वरदान धाम चारों से,
मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों, गुरुद्वारों से,
जब मिले काल जय महाकाल बोलो रे,
सतश्री अकाल, सतश्री अकाल बोलो रे।’’
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