ऋषि कश्यप का कश्मीर
जम्मू-कश्मीर लद्दाख पर लिखी पुस्तक “जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख : थ्रू द एजेस”…
जम्मू-कश्मीर लद्दाख पर लिखी पुस्तक “जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख : थ्रू द एजेस” का विमोचन करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने न केवल इतिहासकारों को सही इतिहास लिखने की चुनौती दी बल्कि यह भी कहा कि शासकों को खुश करने के लिए इतिहास लिखने का वक्त जा चुका है। उन्होंने इतिहासकारों से अपील भी की कि प्रमाणों के आधार पर इतिहास को लिखें और जनता के सामने सही चीजों को रखें। गृहमंत्री ने कश्मीर को कश्यप ऋषि से जोड़ते हुए कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर हो सकता है। यद्यपि उनके इस बयान के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं लेकिन उन्होंने जो भी कहा वह इस बात का संकेत है कि ऋषि कश्यप का संबंध कश्मीर से रहा है। वास्तव में कश्मीर शब्द संस्कृत का शब्द है और इसका अर्थ कश्यप ऋिष की भूमि है। पौराणिक मान्यता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का नाम रखा गया था। कश्यप ऋषि एक सारस्वत ब्राह्मण और सप्त ऋिषयों में से एक थे। कश्मीरी पंिडतों को उनका वंशज माना जाता है। पूरा देश जानता है कि ऋिष कश्यप की धरती कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद ने लगातार निर्दोषों का खून बहाया है। कश्मीरी पंडितों का क्रूर नरसंहार भी यहीं हुआ और 1990 के दशक में घाटी हिन्दुओं से खाली हो गई थी। एक समय था जब कश्मीर घाटी में सुबह की शुरूआत ओम के उच्चारण और मंदिरों में घंटियों की आवाज से होती थी। जो जगह कभी प्यार, शांति और आध्यामिकता का प्रतीक थी। उसे आतंक और खून-खराबे में बदल दिया गया था। कश्मीर में नरसंहार की शुरूआत तो मध्यकालीन भारत मंे हुई थी।
प्राचीन भारत जिसकी हिन्दू धर्म में गहरी जड़ें थीं। आधुनिक भारत में वह मुस्लिम राज्य कैसे बन गया इस बात की पीड़ा उन्हें है जिन्होंने आतंकवाद को झेला है। कश्मीर पर लिखी सबसे पुरानी किताबों में से एक नीलमत पुराण के अनुसार ऋिष कश्यप और कश्मीर के संबंध को लेकर विस्तृत उल्लेख है। ऋषि कश्यप के अलावा भरत मुनि, पतंजलि और पाणिनि भी कश्मीर से जुड़े थे। जिन्होंने अपने ज्ञान से कश्मीर को स्वर्ग बनाने में योगदान दिया। ऋिष कल्हण के ग्रंथ राजतरंगिणी में कश्मीर की ऐतिहासिकता का वर्णन है। कश्मीर का इतिहास बताता है कि कश्मीर में इस्लाम 600 साल पहले आया था। उससे पहले सब कश्मीरी पंडित थे, जो मुसलमान बनते गए। इस बात की चर्चा बहुत कम होती है। दुनियाभर के लोग सृष्टि में अमर होने का रहस्य जानना चाहते हैं लेकिन आज तक वह रहस्य नहीं जान पाए लेकिन कश्मीर ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां अमर होने के रहस्य से पर्दा उठा था। भगवान शिव की अमरनाथ गुफा इसकी प्रत्यक्ष प्रमाण है। राज्य में स्थित त्रिकुटा पर्वत पर स्थित माता वैष्णों देवी ऐसा शक्तिपीठ है जिसके बारे में कहा जाता है कि गुफा में तीनों महादेवियां, महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती एक साथ रहती हैं। ज्ञान और अध्यात्म का केन्द्र रहे कश्मीर में शारदा पीठ, शेषनाग और देवी खीर भवानी मंदिर आज भी गवाही देते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने यह कहकर एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है कि कश्मीर ने जो खोया है उसे हासिल करने का समय आ गया है। उनका इशारा पाक अधिकृत कश्मीर ही है जिसे भारत शुरू से ही अपना अभिन्न अंग मानता आया है। यह साहस गृहमंत्री अमित शाह का ही था जिन्होंने अपने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेेतृत्व में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-A को एक ही झटके में खत्म कर दिया और विरोध करने की किसी में हिम्मत नहीं बची। अनुच्छेद 370 के कलंकित अध्याय को खत्म कर जम्मू कश्मीर में विकास के नए रास्ते खोले। अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद के बीज बोए जो बाद में आतंकवाद में बदल गए। गृहमंत्री ने सवाल किया कि गुजरात और राजस्थान भी पाकिस्तान की सीमा के करीब हैं वहां आतंकवाद क्यों नहीं पनपा? कश्मीर में ही आतंकवाद क्यों पनपा? मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर कश्मीर में न केवल आतंकवाद को बल्कि आतंकवाद के ढांचे को भी खत्म किया है। कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 फीसदी कमी आई है। पत्थरबाज अब कहीं दिखाई नहीं देते। लाल चौक पर तिरंगे फहराए जाते हैं। हिन्दू अपने धार्मिक उत्सव फिर से मनाने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन नई ऊंचाइयां छू रहा है। 2004 से 2014 के कालखंड में देशवासी जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे। आज हजारों लोग हिमपात से ढके पर्यटन स्थलाें को गुलजार कर रहे हैं। कश्मीरी आवाम को रोजी-रोटी के साधन उपलब्ध हो रहे हैं। चीनार के पेड़ निराशा छोड़कर हरे-भरे दिखाई देते हैं और बाजारों में रौनक लौट आई है। जम्मू-कश्मीर में बहुत परिवर्तन आया है और इसका श्रेय मोदी सरकार को ही जाता है। केन्द्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है और जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस बात को लेकर गृहमंत्री पर भरोसा करना चाहिए। मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।