कश्मीर : षड्यंत्र अभी जारी है
जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित नई सरकार बनने के बाद शांति और विकास की तरफ बढ़ने की उम्मीदों पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी पानी फेरने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित नई सरकार बनने के बाद शांति और विकास की तरफ बढ़ने की उम्मीदों पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी पानी फेरने का षड्यंत्र रच रहे हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आईएसआई और आतंकवादी गिरोहों ने जम्मू-कश्मीर को फिर से अस्थिर करने के लिए हिंसक घटनाओं को तेज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के जवान लगातार शहादतें दे रहे हैं। किश्तवाड़ की मुठभेड़ में सेना के जेसीओ राकेश कुमार शहीद हुए और तीन जवान घायल हुए। गैर कश्मीरी नागरिकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
स्पष्ट है कि इन हमलों का मकसद इस केंद्र शासित प्रदेश में गैर-स्थानीय कामगार आबादी के बीच डर की भावना पैदा करना और सुरक्षा बलों की ओर से असमानुपातिक प्रतिक्रिया को उकसाना था जो इस संघर्षग्रस्त प्रांत में आतंकवादियों द्वारा अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली चाल है। प्रशासन, जिसमें उप-राज्यपाल का कार्यालय और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित सरकार शामिल है, को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुरक्षा बल आतंकवादियों को निशाना बनाने के क्रम में स्थानीय समुदायों के खिलाफ “राज्य के दमन” को न्यौता देने की आतंकवादियों की इस चाल में न फंसें। अलगाववादी नेताओं समेत पूरी कश्मीरी राजनीति ने नागरिकों पर इन हमलों की निंदा की है और इससे आतंकवादियों को पनाह देने वाले लोगों तक संदेश पहुंचना चाहिए।
घाटी में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर भी निराशा और खिन्नता है लेकिन इसने अभी तक 1990 के दशक की अराजकता (जब हर तरफ उग्रवाद और आतंकवाद था) की पुनरावृत्ति का रूप नहीं लिया है। एक नयी सरकार गठित होने के साथ प्रशासन आतंकवादियों को अलग-थलग करने के लिए बेहतर स्थिति में है और इसके लिए हर कोशिश की जानी चाहिए। सुरक्षा ऑडिट के जरिए घाटी में गैर-स्थानीय कामगारों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना ऐसी ही एक उपयोगी कोशिश होगी। एक अन्य उपयोगी कोशिश यह होगी कि आतंकवादियों को अलग-थलग करने और उन्हें इंसाफ के कटघरे में लाने के लिए नागरिकों को मनाया जाए।
कुछ दिन पहले किश्तवाड़ जिले के ऊपरी इलाके में आतंकवादियों ने आईएसआई की तर्ज पर दो ग्राम रक्षा गार्डों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पहले इन दोनों गार्डों का अपहरण किया गया फिर इनकी आंखों पर पट्टी बांधकर इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने इन हत्याओं की जिम्मेदारी ली है। पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों में सुरक्षा बलों या अप्रवासी मजदूरों पर लक्षित हमलों के जरिए चुनौती दी जा रही है। खासकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद ऐसी घटनाओं में तेजी आई है। साफ है कि ऐसे लगातार हमलों के पीछे इससे ऊपजी हताशा काम कर रही है कि आतंकवाद की सियासत के बावजूद जम्मू-कश्मीर के लोगों की शांति की इच्छा और उसके लिए सक्रियता को कम नहीं किया जा सका है।
लगातार हमलों का मकसद राज्य में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को रोक कर विकास को बाधित करना है वहीं अन्य राज्यों से आए श्रमिकों की हत्या करके भारत के संघीय ढांचे पर भी चोट करना है ताकि अन्य राज्यों के मजदूर काम करने के लिए घाटी में न आएं। आतंकवादी संगठन पूरे देश में यह दुष्प्रचार फैलाना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हालात अच्छे नहीं हैं। सुरक्षा और खुफिया एजैंसियां भी आतंकवादी ताकतों को खत्म करने के लिए प्रभावी ढंग से काम कर रही हैं। सुरक्षा बल आतंकियों के सफाए के लिए अभियान चलाए हुए है। आतंकवादियों के नए और पुराने ओवर ग्राउंड वर्करों को भी चिन्हित किया जा रहा है। शीत ऋतु के अगले तीन माह आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक होने जा रहे हैं।
आतंकी रणनीति में लगातार बदलाव कश्मीरी समाज को साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत करने और अपने लिए नई भर्ती जुटाने की हताश कोशिश है लेकिन कश्मीर की जनता ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कट्टपंथी विचारों का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों और उनके विचारों को बढ़ावा देने वाली ताकतों को करारी हार दी है। आतंकवादी बार-बार जख्म दे रहे हैं और देशावासी भी सवाल कर रहे हैं कि आखिर देश कब तक जवानों की शहादत देता रहेगा। नवनिर्वाचित सरकार को 370 पर शोर-शराबा मचाने की बजाय केन्द्र सरकार और सुरक्षा बलों के साथ तालमेल बनाकर आतंकवाद की चुनौती का मुकाबला करना होगा और लोगों का भरोसा जीतना होगा।