कटासराज : यक्ष प्रश्न वही है, कराची में हनुमान जी
यह महाभारत काल की बात है। यदि पौराणिक आख्यानों की बात मानें तो पाकिस्तान…
यह महाभारत काल की बात है। यदि पौराणिक आख्यानों की बात मानें तो पाकिस्तान के कटासराज, जिसे वहां के लोग ‘किला-कटास’ कहते हैं, में एक सरोवर के किनारे एक यक्ष खड़ा है। उसके सामने सबसे बड़ा पांडुपुत्र युधिष्ठिर खड़ा है। यक्ष की शर्त है कि वह उस सरोवर से युधिष्ठिर को जल तभी ले जाने देगा, जब वह उसके प्रश्नों का उत्तर देगा।
यक्ष आज भी वहीं खड़ा है। उसका सवाल भी वही है जो पांच हजार पहले था। वह पूछ रहा है, ‘संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?’ युधिष्ठिर उत्तर देता है, ‘इस नश्वर जगत में लोग प्रतिदिन जीवन-मृत्यु का खेल देखते हैं। उन्हें पता है कि स्वयं भी एक दिन अपना सब समेट कर चले जाना है। फिर भी कोई भी अपना अहम्, लोभ और लूट-खसूट छोड़ने को तैयार नहीं।’
यक्ष-युधिष्ठिर प्रश्न अब भी वही है, जहां इस बार भी सैकड़ों की संख्या में शिवरात्रि के अवसर पर ‘बम बम भोले‘ के नारे लगे।
वैसे पूरे पाकिस्तान में इस बार शिवरात्रि का महापर्व पहले से कुछ ज़्यादा उत्साह के साथ मनाया गया। मुख्य समारोह कटासराज में हुआ, जहां के बारे में पौराणिक मान्यता है कि अपनी जीवनसंगिनी के सती हो जाने पर भगवान शिव की आंखों से टपके आंसू से कटासराज में अमृत-कुंड सरोवर का निर्माण हुआ था। इस वर्ष भारत से भी सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री वहां पहुंचे हुए थे। वहां की सरकार ने भी इस बार यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा, यद्यपि सभी यात्रियों पर कड़ी नजर भी रखी गई।
कटासराज के अतिरिक्त सिंध प्रांत के उमरकोट में भी लगभग 1200 वर्ष पुराने शिव मंदिर में विशेष आयोजन हुआ। इस शिव मंदिर में पहली बार कुछ मुस्लिम नेताओं ने भी शिरकत की और तीर्थ यात्रियों के लिए लंगर आदि का आयोजन किया। कराची के शिव मंदिर में पूरे सिंध क्षेत्र से हजारों की संख्या में हिन्दू श्रद्धालु एकत्र हुए। कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी इस अवसर पर दूध का लंगर लगाया। अतीत में यह मंदिर तीन बार आतंकवादियों के निशाने पर आया लेकिन तात्कालिक हस्तक्षेप से इसे विशेष क्षति नहीं पहुंची। इस बार भी प्रशासन की ओर से विशेष सतर्कता बरती गई और पूरा पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जा सका। एक शिव मंदिर चित्ती गट्टी क्षेत्र में और एक शिव मंदिर जोही में है, वहां भारतीय व नेपाली मंदिरों की निर्माणशैली पर नए मंदिर भी बनाए गए हैं।
कटासराज के बारे में विशेष उल्लेखनीय पक्ष यह था कि वहां यात्रियों को उस नए ‘आवासीय कम्पलेक्स ‘ में ठहराया गया जिसका उद्घाटन कुछ माह पूर्व ही सम्पन्न हुआ था। इस परिसर में लगभग 6000 नए पौधे, जिनमें रूद्राक्ष भी है और धतूरा भी, लगाए गए हैं। इस नए परिसर में 36 कमरे हैं और इस पर वहां की सरकार ने 19 करोड़ पाकिस्तानी रुपए खर्च किए हैं। ‘किला कटास’ के नाम से चर्चित इस स्थल के सभी प्राचीन मंदिरों को ‘कॉरीडोर’ एवं ‘फुटपाथों’ के माध्यम से जोड़ा गया है ताकि वृद्ध एवं दिव्यांग यात्री भी ‘व्हीलचेयर से’ वहां तक पहुंच सकें। सिर्फ एक प्रतिबंध यह था कि यात्री वहां अपने ‘सैलफोन’ का प्रयोग नहीं कर पाए, मगर अपने-अपने परिवारों से, वहां स्थापित ‘एसटीडी बूथ’ के माध्यम से बात करवा दी जाती थी। इस बार सुरक्षा के प्रबंध पहले की अपेक्षा कुछ अधिक किए थे और तीर्थयात्री भारत के अलावा कुछ अन्य देशों से भी वहां आए हुए थे।
इन दिनों कराची के हनुमान जी भी चर्चा में हैं। यह चर्चा एक मूर्ति को लेकर है जो एक मंदिर में स्थित है। लेकिन फिलहाल आपको अभी इसके दर्शन यहीं इसी चित्र में करने पड़ेंगे। यह मंदिर 25000 वर्ग फीट इलाके में बना हुआ है और पाकिस्तान के कराची नगर में स्थित है। मंदिर कई सालों से बंद पड़ा था। इस पर वहां के कट्टरपंथी जेहादी तत्वों ने कब्जा कर लिया था। पूजा इत्यादि बंद करवा दी गई थी। मामला बीसियों साल से कोर्ट में चला। कोर्ट ने भी इसे वर्ष 2018 में उन आतंकी संगठनों से खाली कराया था। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं हुआ। कब्जा बरकरार रहा। फिर एक चमत्कार हुआ, अचानक 15-20 दिन पहले पाकिस्तानी सेना की कई गाड़ियां वहां पहुंची, पूरे इलाके को छावनी में बदल दिया। मंदिर पर कब्जा जमाए जेहादियों को गाड़ियों में डाला। जेलों में बंद किया। मंदिर की साफ-सफाई करवाई और उसे पुराने पुजारी जी के हवाले कर और सुरक्षा के लिए नए गार्ड तैनात किए गए। दोबारा पूर्जा-अर्चना चालू करवा दी गई।
आखिर यह हृदय परिवर्तन कैसे हुआ। दरअसल, इस मंदिर के पुजारी जी का परिवार भारत में कुम्भ स्नान करने आया था और यहां उन्होंने अधिकारियों से कब्ज़े की बात बताई। बात फिर आगे बढ़ी। और फिर सउदी के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का संदेश पाकिस्तान के जनरल आसिम मुनीर के पास पहुंचा और जनरल मुनीर ने तत्काल एक टुकड़ी भेज मंदिर को पुन: खुलवा दिया। अब पता चला है कि पाकिस्तानी फौज जल्द ही कुछ अन्य हिन्दू मंदिरों से अवैध कब्जे हटवाने की तैयारी कर रही है।