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तेलंगाना में फिर गरजे केसीआर !

अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना के लिए सफल संघर्ष करने वाले नेता के चंद्रशेखर राव…

10:38 AM May 04, 2025 IST | Vineet Narain

अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना के लिए सफल संघर्ष करने वाले नेता के चंद्रशेखर राव…

तेलंगाना में फिर गरजे केसीआर

अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना के लिए सफल संघर्ष करने वाले नेता के चंद्रशेखर राव लगभग दो वर्ष के बाद एक बार फिर से अपने पुराने गरजने वाले तेवर में दिखाई दिए। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष केसीआर ने हाल ही में अपना दो वर्षीय एकांतवास तोड़ा। नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद केसीआर ने खुद को सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर कर लिया था। इसके चलते उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में भी दूरी बना ली थी। ज़मीन से जुड़े और संघर्षशील नेता का यूं अचानक ख़ुद को सार्वजनिक जीवन से अलग कर लेना किसी के भी गले नहीं उतरा।

केसीआर दो बार लगातार प्रभावशाली बहुमत से तेलंगाना के मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उन्होंने तेलंगाना का बहुत तेज़ी से विकास किया। उनकी इस मेधा को देखकर दुनिया की मशहूर और बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने तेलंगाना में भारी निवेश किया। केसीआर ने व्यवस्थित शहरीकरण और निरंतर बिजली और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित कर शहरी विकास को तीव्र गति प्रदान की, जिससे भवन निर्माण उद्योग को बहुत बढ़ावा मिला। आज हैदराबाद में ज़मीनों के भाव सबसे ज़्यादा हैं। किसानों, महिलाओं, युवाओं और दलितों के लिए उन्होंने अनेक लाभकारी योजनाएं चालू कीं। सिंचाई के क्षेत्र में कालेश्वरम जैसी अति महत्वाकांक्षी योजना के प्रति दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया। इस सब के दौरान उनके विपक्षियों और आलोचकों ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। जिनकी परवाह किए बिना केसीआर एक जुनूनी की तरह अपने अभियान में जुटे रहे। पर उनसे एक भारी चूक हो गई। उन पर ये आरोप लगे कि वे ख़ुद को जनता और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से दूर रखते थे। शायद इसलिए 2023 में उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिला और हार का सामना करना पड़ा।

रामानुजाचार्य सम्प्रदाय के संत श्री चिन्नाजियार स्वामी की सलाह पर मेरा केसीआर से 2022 में परिचय हुआ। पहले परिचय में ही उन्होंने मुझे बहुत स्नेह और सम्मान दिया और इसके बाद पूरे वर्ष मुझे बार-बार हैदराबाद बुला कर विकास के अनेक विषयों पर मुझसे और मेरे साथियों से गहरा संवाद किया। मैंने उनमें एक दूरदृष्टि वाला नेता देखा। जिस तरह उन्होंने हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर यदाद्रीगिरीगुट्टा के इलाके में भगवान लक्ष्मी-नृसिंह देव का, नक्काशीदार ग्रेनाइट पत्थर का, पहाड़ के ऊपर, एक अत्यंत भव्य मंदिर बनवाया है, वह अकल्पनीय है। गौरतलब है कि इस मंदिर का सारा निर्माण कार्य आगम, वास्तु और पंचरथ शास्त्रों के सिद्धांतों पर किया गया है। जिनकी दक्षिण भारत में खासी मान्यता है। केसीआर की सनातन धर्म में गहरी आस्था है। इस मंदिर के चारों ओर उन्होंने तिरुपति जैसा सुंदर वैदिक नगर रातों-रात स्थापित कर दिया। जहां उत्तर भारत के मंदिरों का तेज़ी से बाज़ारीकरण होता जा रहा है, वहीं केसीआर ने मंदिर के परिसर और उसके आस-पास फल-फूल, मिठाई, कलाकृतियों या ख़ान-पान की एक भी दुकान नहीं बनने दी। क्योंकि उससे मंदिर की पवित्रता भंग होती। ये सारी व्यावसायिक गतिविधियां पहाड़ी की तलहटी में चारों ओर बसे नवनिर्मित नगर में ही होती हैं।

तेलंगाना राज्य को बनवाने के बाद केसीआर नये राज्य के मुख्यमंत्री बन कर ही चुप नहीं बैठे। उन्होंने किसानी के अपने अनुभव और दूरदृष्टि से सीईओ की तरह दिन-रात एक करके, हर मोर्चे पर ऐसी अद्भुत कामयाबी हासिल की है कि इतने कम समय में तेलंगाना भारत का सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला प्रदेश बन गया है। मैंने खुद तेलंगाना के विभिन्न अंचलों में जा कर तेलंगाना के कृषि, सिंचाई, कुटीर व बड़े उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के क्षेत्र में जो प्रगति देखी वो आश्चर्यचकित करने वाली है। मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ कि दिल्ली में चार दशक से राजनैतिक पत्रकारिता करने के बावजूद न तो मुझे केसीआर की इन उपलब्धियों का कोई अंदाज़ा था और न ही केसीआर के बारे में सामान्य से ज़्यादा कुछ भी पता था।

बीते सप्ताह केसीआर ने अपनी पार्टी की रजत जयंती के उपलक्ष्य में वारंगल जिले के एलकथुर्थी गांव में एक विशाल रैली का आयोजन किया। इस रैली में अपार जनसमूह के आने से यह बात सामने आई कि जिन वोटरों ने दो वर्ष पहले केसीआर को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में नकार दिया था वे अब फिर लौट कर केसीआर के झंडे तले खड़े हो गए हैं। हैदराबाद और शेष तेलंगाना में अपने संपर्कों से तहक़ीक़ात करने पर पता चला कि तेलंगाना की मौजूदा कांग्रेस सरकार दो वर्षों में ही अपनी लोकप्रियता खो चुकी है। इसका मुख्य कारण ये बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने जो दर्जनों वादे तेलंगाना की जनता से किए थे उनमें से ज़्यादातर को वो पूरा नहीं कर पाई। जबकि पड़ोसी राज्य कर्नाटक में कांग्रेस ने अपने काफ़ी वादे पूरे किए हैं। इस रैली में केसीआर कांग्रेस पर जमकर बरसे। केसीआर ने रैली में जनता से पूछा कि क्या अपने वादों के मुताबिक़ कांग्रेस सरकार ने आपको डबल पेंशन दी? क्या छात्रों को मुफ्त स्कूटी दिए? किसानों के कर्ज माफ किए? इस पर जनता का ज़ोर-शोर से जवाब था ‘नहीं’। वहीं केसीआर ने अपने कार्यकाल में शुरू की गई रायथु बंधु जैसी कल्याणकारी पहलों और सिंचाई की बड़ी परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना का कृषि उत्पादन केसीआर के शासन काल में दुगना हो गया। इस विशाल रैली ने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि केसीआर और उनकी पार्टी अब दोबारा से तेलंगाना की जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।

इस जनसभा में केसीआर ने कांग्रेस को ‘तेलंगाना का नंबर एक खलनायक’ करार दिया। हालांकि वे स्वयं दशकों तक कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे पर इस रैली में उन्होंने आरोप लगाया कि 1956 में कांग्रेस ने तेलंगाना को आंध्र प्रदेश के साथ जबरन मिला दिया था, जिसके खिलाफ तेलंगाना की जनता ने लंबा संघर्ष किया। उन्होंने न केवल कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की, बल्कि वर्तमान मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 420 से अधिक वादे किए, लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिति का आकलन किए बिना किए गए ये वादे खोखले साबित हुए। इसके अलावा, उन्होंने बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे का जवाब देते हुए भगवान राम का उल्लेख किया और कहा कि उनकी प्रेरणा ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ थी, जिसने उन्हें तेलंगाना आंदोलन शुरू करने के लिए प्रेरित किया। यह उनके हिंदू वोट बैंक को जोड़ने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। रैली में केसीआर ने नक्सलियों और आदिवासी युवाओं का भी जिक्र किया, जो तेलंगाना के उत्तरी जिलों में महत्वपूर्ण मतदाता वर्ग हैं। उन्होंने बीजेपी पर आदिवासियों के प्रति ‘लोकतांत्रिक’ रवैया न अपनाने का आरोप लगाया। यह रणनीति बीआरएस के ग्रामीण क्षेत्रों में खिसकते जनाधार को फिर से मजबूत करने की कोशिश थी।

सोशल मीडिया पर भी इस रैली की व्यापक चर्चा हुई। एक यूजर ने लिखा, “केसीआर तेलंगाना के आइकन हैं, उनकी लोकप्रियता अभी भी बरकरार है।” 2023 की हार के बाद उनकी यह वापसी बीआरएस को फिर से संगठित करने और आगामी चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी को चुनौती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

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Vineet Narain

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