गुरुद्वारों के ग्रंथियों को केजरीवाल का तोहफा
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने…
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में पुनः आप की सरकार बनने पर सभी गुरुद्वारों के ग्रंथियों, मन्दिर के पुजारियों को 18 हजार रुपये प्रतिमाह सरकार की ओर से देने की घोषणा की है। इससे पहले यह सुविधा मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अनुयायियों को दी जाती रही है। इस घोषणा के तुरन्त बाद जहां गुरुद्वारों के ग्रन्थी साहिबान प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं क्योंकि आज भी कई ऐसे गुरुद्वारा साहिब हैं जहां चढ़ावा कम आने के चलते ग्रन्थी सिंहों को तनख्वाह बहुत ही कम मिलती है। हालांकि अभी केजरीवाल सरकार के द्वारा इस पर विस्तारपूर्वक जानकारी नहीं दी गई है कि इस श्रेणी में कौन से ग्रन्थी सिंहों को शामिल किया जाएगा और उन्हें इस स्कीम का लाभ लेने हेतु कौन से दस्तावेज पेश करने होंगे। मगर इस घोषणा की आड़ में विपक्षी पार्टियों के लोगों ने केजरीवाल सरकार को घेरना शुरु कर दिया है।
गीता कॉलोनी से शिरोमणि अकाली दल दिल्ली स्टेट के नुमाइंदे गुरमीत सिंह बेदी का मानना है कि इसमें कोई शंका नहीं कि यह स्कीम ग्रन्थी सिंहों के लिए लाभार्थी साबित होगी मगर देखने वाली बात यह होगी कि कहीं यह केवल चुनावी जुमला बनकर ना रह जाए क्योंकि आम तौर पर देखा जाता है कि राजनीतिक पार्टियां तरह तरह के सपने दिखाकर वोट तो हासिल कर जाती हैं मगर बाद में उसे जुमला कहकर भुला दिया जाता है। उन्होंने कहा अरविंद केजरीवाल को यह भी देखना होगा कि इस बार उन्होंने आम जनता से नहीं बल्कि धार्मिक लोगों से वायदा किया है इसलिए वादाखिलाफी नहीं की जानी चाहिए।
मनमोहन सिंह के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह जिनका पूरा जीवन सादगी वाला रहा और उनकी काबलियत को देखते हुए ही कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री का पदभार सौंपा गया था। इससे पहले वह रिजर्व बैंक के गवर्नर और नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर सेवाएं देते रहेे। जब उन्हें मंत्रीपद सौंपा गया था तो उस समय पूरा संसार मंदी के दौर से गुजर रहा था मगर उन्होंने भारत के लोगों को उस समय मंदी का अहसास नहीं होने दिया क्योंकि अर्थशास्त्री के तौर पर वह बहुत ही सुलझे हुए इंसान थे। उन्हांेने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भी कभी राजनीतिक गतिविधियों का हिस्सा बनने की सोच नहीं रखी मगर अफसोस कि उनके निधन के बाद राजनीतिक पार्टियों के द्वारा अपनी राजनीतिक रोटियां उनके नाम पर सेकी जा रही हैं जिसका उनके परिवार को भी दुख है।
डॉक्टर मनमोहन सिंह जिनका इस देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग पूर्ण सम्मान करते हैं। वह ऐसे एकमात्र प्रधानमंत्री रहे जिनका अमरीकी संसद में रैड कारपेट पर स्वागत किया गया था। विदेशी यूनिवर्सिटी उनके नाम पर स्कालरशिप बच्चों को प्रदान करती है। ऐसे सूझवान और दूरअंदेशी सोच वाले व्यक्ति का इतिहास आने वाली पीढ़ियों को बताया जा सके इसके लिए देश के हर शहर में उनका एक यादगारी समारक बनाया जाना चाहिए। एक इंटरनेशनल स्तर की यूनिवर्सिटी उनके नाम से खोली जानी चाहिए। कुछ लोग डाक्टर साहिब को भारत रत्न देने की बात कहते भी दिख रहे हैं मगर सः परमजीत सिंह सरना के सुपुत्र हरपाल सिंह सरना का मानना है कि भारत रत्न उनके लिए बहुत छोटा होगा उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नोबेल शान्ति जैसा कोई अवार्ड मिलना चाहिए। हैरानी तो इस बात की है आज अकाली दल के लोग उनके नाम पर राजनीति करते हुए केन्द्र की सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं इन अकालियों को चाहिए था कि डाक्टर साहिब को पंजाब में अकाली दल की सरकार रहते राज्यसभा के लिए सदस्य मनोनीत कर देना चाहिए था।
सिख धर्म में कृपाण का महत्व
कृपा और आण के मेल से बने शब्द कृपाण का सिख धर्म में विशेष महत्व है। हालांकि पुरातन समय में राजा महाराजाओं के द्वारा इसे युद्ध में हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। सिख धर्म के छठे गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी ने एक साथ दो तलवार रखते हुए ‘‘मीरी और पीरी’’ की तलवार कहा था। उसके बाद गुरु गोबिन्द सिंह जी ने जब सिख धर्म की रचना की तो उनके द्वारा जो पांच ककार सिखों के लिए अनिवार्य किए गये उसमें भी कृपाण एक ककार है। तब से जो भी सिख अमृतपान कर ले उसके लिए कृपाण रखना अनिवार्य हो जाता है। देश के संविधान में भी केवल सिखों को ही कृपाण रखने की अनुमति दी गई है। सिख धर्म के लोग हवाई यात्रा के दौरान भी 6 ईंच तक की कृपाण अपने साथ लेकर जा सकते हैं। देशके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निवास पर जब सिखों का प्रतिनिधि मण्डल उनसे मुलाकात करने के लिए पहुंचा तो उनमें धार्मिक शख्सियतों को कृपाण के साथ मिलने की अनुमति दी गई। मगर हाल ही में हरियाणा की एक संस्था के द्वारा दिल्ली के संगम विहार में गैर सिखों को पैसे लेकर कृपाण बांटी जा रही थी इतना ही नहीं जो लोग ऐसा कर रहे थे उनमें जो महिला थी वह अपने शरीर पर सिखों की भांति कृपाण पहने हुई थी और जब सिख धर्म के लोगों ने वहां पहुंचकर उन्हें ऐसा करने से रोकना चाहा तो उसने महिला होने के नाते अपनी रक्षा के लिए कृपाण रखने की बात कही। मगर इससे साफ संकेत जाता है कि किसी गहरी साजिश के तहत हिन्दू सिख एकता में दरार डालने के लिए ऐसी घटना को अंजाम दिया गया है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के संगम विहार से सदस्य गुरप्रीत सिंह जस्सा सहित अन्य सिख संगठनों ने इसका सख्त विरोध दर्ज करवाते हुए पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई है मगर हैरानी की बात है कि किसी भी गैर सिख संगठन के द्वारा इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। अन्देशा इस बात का भी लगाया जा रहा है कि जल्द ही दिल्ली में विधान सभा चुनाव होने वाले हंै इसलिए हो सकता है कि इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि आपसी भाईचारा खराब किया जा सके। शिरोमिण अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना का मानना है पुलिस प्रशासन को चाहिए कि इसकी गंभीरता से तह तक जाकर जांच करे और जो भी इसके पीछे दोषी हो उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
हौसले बुलंद रखना
सिख जगत में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान रखने वाले बलदेव सिंह गुजराल पिछले लम्बे समय से संगत को धार्मिक स्थलों की जानकारी देने के साथ-साथ उन स्थानों की यात्रा भी करवाते हैं ताकि बच्चों को अपने गौरवमई इतिहास की जानकारी मिल सके।
अभी हाल ही में उन्होंने हौसले बुलंद रखना गीत निकाला है जिसमें उन्होंने युवा पीढ़ी को साहिबजादों और सिख योद्धाओं के जीवन से प्रेरणा लेते हुए हर संकट में अपने हौसले बुलंद रखने की बात समझाई है जिसकी प्रशंसा होती दिख रही है क्योंकि आज के दौर में ज्यादातर पंजाबी गीतकार शराब, पिस्टल, आदि शब्दों का प्रयोग अपने गीतों में करते हैं जिससे युवा पीढ़ी उन्हें ही अपने जीवन का आधार बना लेती है, ऐसे में निश्चित तौर पर प्रेरणा देने वाले गीत इतिहास की जानकारी भी देते हैं।