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12 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, पटना में रिटायर्ड डॉक्टर दंपति से करोड़ों की ठगी

पटना में रिटायर्ड डॉक्टर दंपति से करोड़ों की ठगी

06:03 AM Jun 05, 2025 IST | Amit Kumar

पटना में रिटायर्ड डॉक्टर दंपति से करोड़ों की ठगी

डॉ. राधे मोहन प्रसाद के बेटे डॉ. सौरभ ने बताया कि 21 मई को उनके पिता को मुंबई से एक फोन कॉल आया. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और दावा किया कि कोलाबा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ है.

Digital Arrest Case: बिहार की राजधानी पटना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां साइबर अपराधियों ने एक रिटायर्ड डॉक्टर दंपति को डिजिटल अरेस्ट में रखकर करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया है. हनुमान नगर इलाके में रहने वाले पीएमसीएच के रिटायर्ड डॉक्टर राधे मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी छवि प्रसाद को 12 दिनों तक मानसिक रूप से बंधक बनाकर उनसे एक करोड़ 95 लाख रुपये की ठगी की गई. इस पूरे मामले की जांच साइबर थाना पुलिस द्वारा की जा रही है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. राधे मोहन प्रसाद के बेटे डॉ. सौरभ ने बताया कि 21 मई को उनके पिता को मुंबई से एक फोन कॉल आया. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और दावा किया कि कोलाबा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ है. पहले तो डॉक्टर दंपति ने इस पर विश्वास नहीं किया, लेकिन बाद में उन्हें कोलाबा थाने का एक नंबर दिया गया. जब उन्होंने उस नंबर पर संपर्क किया, तो वहां भी यही जानकारी दी गई कि उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है.

वीडियो कॉल के जरिए डराया

इस दौरान ठगों ने वीडियो कॉलिंग के माध्यम से डॉक्टर दंपति को पुलिस ड्रेस में कुछ लोगों को दिखाया, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि वे असली अधिकारी हैं. उन्हें धमकाया गया कि उनके मोबाइल नंबर से धोखाधड़ी की गई है और उन पर केस दर्ज है. इसके साथ ही उन्हें बताया गया कि वे मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित किए जा चुके हैं. इस डर के माहौल में डॉक्टर दंपति को गिरफ्तारी का डर दिखाकर छह बार में आरटीजीएस के माध्यम से कुल 1.95 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए.

डिजिटल अरेस्ट का असर

डॉक्टर दंपति को लगातार निगरानी में रखा गया. वे मानसिक रूप से इतने डरे हुए थे कि किसी से बात नहीं कर पाए. उन्हें बाहर निकलने या किसी से संपर्क करने से मना किया गया, जिससे वे 12 दिनों तक एक तरह से घर में ही कैद रहे. यह पूरी प्रक्रिया एक ‘डिजिटल अरेस्ट’ की तरह थी, जिसमें अपराधी तकनीक के माध्यम से लोगों को घर में ही मानसिक रूप से कैद कर लेते हैं.

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साइबर पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई

जब डॉक्टर दंपति को ठगी का एहसास हुआ, तो उन्होंने साइबर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई. इस पर कार्रवाई करते हुए साइबर थाना के डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि शिकायत के आधार पर तत्काल जांच शुरू की गई और पीड़ित के 53 लाख रुपये होल्ड करवा दिए गए हैं. एफआईआर दर्ज कर ली गई है और अपराधियों की पहचान करने की दिशा में तेजी से जांच की जा रही है.

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सावधानी ही सुरक्षा है

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि डिजिटल ठगी के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. किसी भी अनजान कॉल, वीडियो कॉल या अज्ञात नंबर से आए धमकी भरे संदेशों पर विश्वास करने से पहले पुलिस या संबंधित विभाग से पुष्टि करना जरूरी है. जागरूकता और सतर्कता ही ऐसी घटनाओं से बचने का सबसे बड़ा उपाय है.

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