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केरल कांग्रेस चीफ का दावा- RSS शाखाओं की सुरक्षा के लिए भेजे थे अपने लोग, जानें पूरा मामला

केरल कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन बुधवार को यह कहकर विवादों में आ गए कि दशकों पहले जब वह कांग्रेस (संगठन) का हिस्सा थे, तब उन्होंने अपने लोगों को राष्ट्रीय स्यंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भेजा था

07:33 PM Nov 09, 2022 IST | Desk Team

केरल कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन बुधवार को यह कहकर विवादों में आ गए कि दशकों पहले जब वह कांग्रेस (संगठन) का हिस्सा थे, तब उन्होंने अपने लोगों को राष्ट्रीय स्यंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भेजा था

केरल कांग्रेस चीफ का दावा  rss शाखाओं की सुरक्षा के लिए भेजे थे अपने लोग  जानें पूरा मामला
केरल कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन बुधवार को यह कहकर विवादों में आ गए कि दशकों पहले जब वह कांग्रेस (संगठन) का हिस्सा थे, तब उन्होंने अपने लोगों को राष्ट्रीय स्यंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भेजा था और दक्षिणपंथी संगठन को भी लोकतांत्रिक देश में काम करने का पूरा अधिकार है।
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माकपा ने की शाखाओं को नष्ट करने की कोशिश 
सुधाकरन ने कन्नूर जिले में एक समारोह में कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने यहां एडक्कड़, थोत्तादा और किज्हुन्ना जैसी जगहों पर शाखाओं को नष्ट करने की कोशिश की थी और उन्होंने वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें नष्ट होने से बचाने के लिए लोगों को भेजा था।उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं कांग्रेस (संगठन) का हिस्सा था, एक समय था जब माकपा ने एडक्कड़, थोत्तादा और किज्हुन्ना जैसी जगहों पर शुरू की गई आरएसएस की शाखाओं को नष्ट करने की कोशिश की थी। उन जगहों पर एक ऐसी स्थिति बन गई थी जिसमें शाखाएं नहीं चलायी जा सकती थीं। मैं वह व्यक्ति था जिसने इन जगहों पर शाखाओं को सुरक्षा देने के लिए लोगों को भेजा था।’’
कांग्रेस पार्टी के 1969 में विभाजन के बाद कांग्रेस (संगठन) अस्तित्व में आयी थी। बाद में कांग्रेस (संगठन) का जनता पार्टी में विलय हो गया था।हालांकि, सुधाकरन ने यह स्पष्ट भी किया कि उन्होंने ऐसा दक्षिणपंथी संगठन और उसकी शाखाओं के प्रति किसी संबद्धता के कारण नहीं किया था, बल्कि यह भावना के साथ किया था कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखने वाले व्यक्ति के लिए तब चुप रहना उचित नहीं है जब ऐसी जगह लोकतांत्रिक अधिकारों को नष्ट किया जा रहा हो जहां मौलिक अधिकार कायम थे।
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सभी दलों को देश में कार्य करने का अधिकार
केरल कांग्रेस प्रमुख सुधाकरन कन्नूर में मार्क्सवादी पार्टी के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए जाने जाते हैं, जिसे माकपा का गढ़ कहा जाता है। सुधाकरन ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।जब बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया, तो सुधाकरन ने बाद में यह कहते हुए स्पष्टीकरण दिया कि उनका कदम लोकतंत्र की रक्षा के लिए था और सभी दलों को देश में कार्य करने का अधिकार है।उन्होंने कहा, ‘‘क्या आरएसएस को काम करने का अधिकार नहीं है? क्या यह एक प्रतिबंधित संगठन है? मेरे बयान में क्या गलत है? मैं उस समय कांग्रेस पार्टी से दूर था और कांग्रेस (संगठन) का हिस्सा था। नीतिगत तौर पर वह पार्टी उस समय भारतीय राजनीति में भाजपा के करीब थी।’’
भाजपा में हो जाना चाहिए शामिल
सुधाकरन ने यह भी कहा कि उनका कृत्य मार्क्सवादी पार्टी के अलोकतांत्रिक कार्यों का मुकाबला करने का एक प्रयास था।इस बीच, सत्तारूढ़ माकपा ने कहा कि सुधाकरन का बयान आश्चर्यजनक नहीं है और कांग्रेस और आरएसएस 1969 से राजनीतिक रूप से अस्थिर जिले में मिलकर काम कर रहे हैं।विवाद पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर पार्टी के प्रदेश सचिव एम. वी. गोविंदन ने सुधाकरन के रुख पर कहा कि को यदि लगता है कि यह उनका लोकतांत्रित अधिकार है तो उन्हें भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि इस बयान को कांग्रेस को गंभीरता से लेना चाहिए और लोग इन सब चीजों को देख रहे हैं। गोविंदन ने कांग्रेस पर नरम हिंदुत्व का रुख अपनाने का आरोप भी लगाया।
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