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केरल की एक अदालत ने वर्ष 2019 में अलप्पुझा जिले के थोत्ताप्पल्ली तटीय इलाके से रेत की निकासी को मंजूरी देने के सरकारी आदेश के संबंध में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विभिन्न अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली शिकायत को खारिज कर दिया। कोट्टायम के जांच आयुक्त और विशेष न्यायाधीश एम मनोज ने यह कहते हुए शिकायत को खारिज कर दिया कि शिकायत में मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों पर लगाये गये आरोप प्रथम दृष्टया न तो भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के और न ही भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आते हैं।
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न्यायाधीश ने सात फरवरी के अपने आदेश में कहा, ''शिकायत में लगाये गये आरोप न तो भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के और न ही अन्य किसी कानून के अंतर्गत आते हैं। आदेश के मुताबिक, ''किसी भी कथित अपराध में प्रतिवादी की संलिप्तता प्रथम दृष्टया शिकायत में लगाए गए आरोपों के अनुसार सामने नहीं आई है।
करिमानल खनन विरुद्ध एकोपना समिति के अध्यक्ष द्वारा दायर शिकायत में आरोप लगाया गया था कि केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड (केएमएमएल) के नाम पर थोत्ताप्पल्ली तटीय क्षेत्र से निकाली गई परमाणु खनिज रेत की अवैध रूप से कथित आपूर्ति कोचीन मिनरल्स एंड रूटाइल लिमिटेड (सीएमआरएल) को की गई थी। शिकायत में सतर्कता जांच की मांग करते हुए यह भी दावा किया गया था कि कथित अवैध खनिज रेत खनन के कारण राज्य को 2,841 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।