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बीजेपी सरकार पर खड़गे का हमला, वक्फ विधेयक को बताया राजनीतिक हथियार

वक्फ विधेयक का विरोध, खड़गे बोले- राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा इस्तेमाल

08:19 AM Apr 03, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

वक्फ विधेयक का विरोध, खड़गे बोले- राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा इस्तेमाल

बीजेपी सरकार पर खड़गे का हमला  वक्फ विधेयक को बताया राजनीतिक हथियार

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को कहा कि वह पूर्ण विश्वास और स्पष्टता के साथ इस विधेयक का विरोध करते हैं। सदन में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने कहा कि यह वक्फ विधेयक कोई सामान्य कानून नहीं है। इस कानून को राजनीतिक फायदे के लिए हथियार बनाया जा रहा है। यह देश की विविधता को सुनियोजित तरीके से कमजोर करने के लिए मोदी सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। लोकसभा में देर रात यह विधेयक पारित हुआ तो इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि विभिन्न दलों के विरोध के बाद भी मनमानी से यह विधेयक लाया गया।

खड़गे ने कहा कि बीजेपी सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण की काफी बात कर रही है। सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं। लेकिन सच्चाई सरकार के पांच साल के अल्पसंख्यक विभाग के बजट आवंटन से साफ है। वित्त वर्ष 2019-20 में इस विभाग का बजट आवंटन 4,700 करोड़ रुपये था जो घटकर 2023-24 में 2,608 करोड़ रह गया। वित्त वर्ष 2022-23 में बजट आवंटन 2,612 करोड़ रुपये था, जिसमें से 1,775 करोड़ रुपये का खर्च मंत्रालय नहीं कर पाया। कुल मिलाकर पांच साल में बजट मिला 18,274 करोड़ रुपये, जिसमें से 3,574 करोड़ खर्च नहीं हो पाए। उन्होंने बताया कि 2020 से भारत सरकार ने मौलाना आजाद फेलोशिप, निःशुल्क कोचिंग, यूपीएससी और राज्य आयोगों में तैयारी के लिए अल्पसंख्यक छात्रों की सहायता की योजना बंद कर दी। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 1954 और 1995 में इसकी कानूनी पहल हुई।

साल 2013 में राज्य वक्फ बोर्डों की मजबूती के लिए अधिनियम में संशोधन हुआ। यूपीए के दौरान 2013 में केंद्रीय वक्फ में दो मुस्लिम महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान रखा गया था। खुद बीजेपी ने दोनों समय, 1995 और 2013 में इन बिलों का समर्थन किया था। साल 1995 में राज्यसभा में सिकंदर बख्त और लोकसभा में भी भाजपा नेताओं ने अपनी बात रखते हुए समर्थन किया था। उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा कि अगर सशक्तिकरण करना है, तो हिंदू समाज में भी कीजिए। दलित, आदिवासी, महिलाओं, और पिछड़ों को मंदिरों में प्रवेश दीजिए। उन्हें समान दर्जा दीजिए।

खड़गे ने कहा, “मुझे हैरानी है कि तमाम विरोध के बाद भी इसकी मूल संरचना से लेकर स्वरूप में आप बदलाव क्यों करना चाहते हैं। गैर-मुस्लिम को उनके वक्फ बोर्ड में क्यों शामिल होना चाहिए? विभिन्न समुदायों का विश्वास, पूजा पद्धति और रीति-रिवाज अलग हैं। हिंदू मंदिर प्रबंधन बोर्डों का स्वरूप अलग है, अन्य धर्मों के पूजा स्थलों और धर्म स्थलों का स्वरूप अलग है। ऐसा कोई काम नहीं होना चाहिए जो हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करे। उन्होंने कहा कि विधेयक में प्रावधान है कि वक्फ को संपत्ति वही दान कर सकता है जो पांच साल से मुस्लिम है। क्या किसी हिंदू को चर्च में दान देने से रोकने वाला भी कोई कानून है? एक हिंदू अगर किसी गुरुद्वारे में धन दान देता है, तो क्या उस पर प्रतिबंध है? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह विधेयक किसी सुधार के लिए नहीं, बल्कि नियंत्रण के लिए है। यह बाबा साहेब और संविधान निर्माताओं की सोच के विपरीत है।

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Rahul Kumar Rawat

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