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जानिए कैसे सांस से पता चलती है शराब की मात्रा, कब होता है ड्रिंक एंड ड्राइव केस ?

06:59 AM May 29, 2024 IST | Shivam Kumar Jha
जानिए कैसे सांस से पता चलती है शराब की मात्रा  कब होता है ड्रिंक एंड ड्राइव केस

आज कल देश में लगातार एक्सीडेंट हो रहें हैं। आए दिन हमे ख़बरें सुनने को मिलती है कि कहीं ना कहीं ड्रिंक एंड ड्राइव या हिट एंड रन जैसी घटना हुई है ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर ब्लड में कितना अल्कोहल मिलने पर ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है और कितनी सजा होती है? पुलिस कैसे सांस से पता लगाती है कि आपने कितनी शराब पी है?

दरसल, जब हम शराब पीते हैं तो वो पचता नहीं है और शराब मुंह, गला, पेट और आंतों के जरिए खून में मिल जाता है। जैसे ही ये खून फेफड़ों से गुजरता है, वैसे ही अल्कोहल सांसों के जरिए हवा में भी आने लगता है। जिसे ब्रीथ एनालाइजर के जरिए मापा जाता है। कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चला रहा है या नहीं? इसे चेक करने के लिए पुलिस ब्रीथ एनालाइजर का इस्तेमाल करती है। दरसल, ब्रीथ एनालइजर टेस्ट से खून में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाया जाता है। जानकारी के मुताबिक अगर 100 एमएल खून में 30 एमजी अल्कोहल पाया जाता है तो ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है।

कब बनता है ड्रिंक एंड ड्राइव केस ?
अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, जब 100 एमएल ब्लड में अल्कोहल की मात्रा 50 एमजी हो जाती है, तो व्यक्ति पूरी तरह से होश में नहीं रहता। इसलिए 100 एमएल ब्लड में 30 एमजी अल्कोहल पाए जाने पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस बनता है।

कैसे पता चलता है की किसी ने ड्रिंक की है या नहीं ?
जब हम शराब पीते हैं तो 20% अल्कोहल में पेट में और 80% आंतों में घुल-मिल जाता है। खून में मिलने की वजह से अल्कोहल पूरे शरीर में पहुंच जाता है। जिसके बाद अल्कोहल शरीर के हर टिशू में चला जाता है और अपना असर दिखाना शुरू करता है। ब्लड में घुल-मिल जाने के बाद अल्कोहल तीन तरीकों से शरीर के बाहर निकलता है। 5% टॉयलेट और 5% सांस के जरिए बाहर आ जाता है। बाकी का अल्कोहल एसिटिक एसिड में बदल जाता है। जो 5% अल्कोहल सांस के जरिए बाहर निकलता है, वही ब्रीथ एनालाइजर में डिटेक्ट होता है।

जब हम ब्रीथ एनालाइजर में सांस छोड़ते हैं तब ये डिवाइस खून में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाती है। अल्कोहल की मात्रा का पता लगाने के लिए 2100:1 का रेश्यो होता है। इसे ऐसे समझिए कि 2,100 एमएल हवा में जितना अल्कोहल होता है, उतना ही अल्कोहल 1 एमएल ब्लड में भी मिलता है। जो अल्कोहल की मात्रा ब्रीथ एनालाइजर में मापी जाती है उसे कानूनी भाषा में ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन (BAC) कहा जाता है। जितनी ज्यादा शराब पीते हैं, BAC उतना ज्यादा होता है।

कितनी होती है सजा?
भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाना गैर-कानूनी है। मोटर व्हीकल कानून की धारा 185 के तहत, शराब पीकर या नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पहली बार पकड़े जाने पर 6 महीने जेल या 2 हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है। और अगर तीन साल के भीतर दूसरी बार नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़े गए तो 2 साल तक की जेल या 3 हजार रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

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Shivam Kumar Jha

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