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जानिए कड़कनाथ चिकन के बारे में कुछ दिलचस्प बातें

एक बार फिर से कड़कनाथ चिकन खबरों में आ गया है। यह केवल अपने स्वाद की वजह से नहीं बल्कि किसी और वजह से यह सुर्खियों में आया है। इंदौर में होने वाले आईआईएफए अवार्ड्स के मेन्यू

09:36 AM Feb 28, 2020 IST | Desk Team

एक बार फिर से कड़कनाथ चिकन खबरों में आ गया है। यह केवल अपने स्वाद की वजह से नहीं बल्कि किसी और वजह से यह सुर्खियों में आया है। इंदौर में होने वाले आईआईएफए अवार्ड्स के मेन्यू

एक बार फिर से कड़कनाथ चिकन खबरों में आ गया है। यह केवल अपने स्वाद की वजह से नहीं बल्कि किसी और वजह से यह सुर्खियों में आया है। इंदौर में होने वाले आईआईएफए अवार्ड्स के मेन्यू में इसे रखने की मांग की गई है। खबरों के अनुसार, झाबुआ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्‍होंने दाल पानिये और कड़कनाथ चिकन या ब्लैक चिकन को शामिल करने का अनुरोध किया है। 29 मार्च को इंदौर में होने वाले 21वें आईआईएफए अवार्ड्स में इन दोनों को मेन्यू में रखने की मांग की है।
काली मासी के नाम से भी इसे जाना जाता है, कड़कनाथ एक अद्वितीय चिकन नस्ल है जो काले रंग का होता है। इसका मांस न केवल काला है बल्कि इसके अधिकांश अंगों के साथ-साथ हड्डियों का रंग भी काला है। यही तक ही इसका कालापन सीमित नहीं है इस मुर्गी के अंडे भी काले होते हैं। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में यह चिकन पाया जाता है और पिछले साल छत्तीसगढ़ के साथ कानूनी लड़ाई के बाद इसे जाआई टैग भी मिला। 
माना जाता है कि चिकन की इस किस्म में 25-27 प्रतिशत प्रोटीन और कम कोलेस्ट्रॉल 0.73-1.03 प्रतिशत सामग्री के साथ औषधीय गुण होते हैं। दूसरे चिकन की तुलना में, यह अत्याधिक पौष्टिक है। दूसरे चिकन की तुलना में इसका स्वाद काफी सूक्ष्म है और इसलिए इसे हर तरफ से बढ़ावा दिया जा रहा है। 
अपने उच्च पोषण के कारण इस किस्म के चिकन को इंटरनेशनल स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। केवीके जो कड़कनाथ अनुसंधान और उत्पादन परियोजना भी चलाता है द्वारा लिखे गए पंत्र में यह भी कहा गया है कि कड़कनाथ के उत्पादन के लिए काम करने वाले स्वयं सहायता समूह आईआईएफए कार्यक्रम के दौरान इस मुर्गे की आपूर्ति कर सकते हैं, जो अधिक रोजगार के अवसरों में मदद कर सकता है। 
कड़कनाथ चिकन नहीं बल्कि पत्र में दाल-पानिया को भी मेन्यू में शामिल करने की वजह बताई गई है। दाल-पानिया अलीराजपुर क्षेत्र का एक पारंपरिक भोजन है और इसे टोरा दाल, उड़द दाल, मूंग दाल और चना दाल के इस्तेेमाल से बनाया जाता है। कुछ घंटों के लिए इन दालों को भिगो दिया जाता है। 
जिस तरह से अप्पम को ज्यादा पसंद  किया जाता है वैसे ही इसे पसंद करते हैं। इसे मकई के आटे से बनाया जाता है। इसे खुली आग पर भुनते हैं। जब पनीया पक जाता है तो उसमें घी डाला जाता है। बाद में दाल, चावल, केरी, पुदीना की चटनी,हरी सलाद, सवा लड्डू और छाछ के साथ इसे परोसते हैं। 
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