भारत के टॉप 7 शहरों में Office Space Leasing में शानदार बढ़ोतरी, जानें कितनी हुई वृद्धि?
Office Space Leasing: कोलियर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही (Q2 CY25) में भारत के प्रमुख सात महानगरों में ग्रेड ए ऑफिस स्पेस की लीजिंग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 11% अधिक होकर 17.8 मिलियन वर्ग फीट (एमएसएफ) तक पहुंच गया है.
रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत में ऑफिस स्पेस की मांग में वृद्धि दर्ज की गई है. यह वृद्धि मुख्य रूप से कंपनियों के मजबूत विश्वास से प्रेरित रही है. विशेष रूप से फ्लेक्स स्पेस प्रोवाइडर, आईटी सेक्टर, बैंकिंग और फाइनेंस (BFSI), इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों से डिमांड में तेजी आई है.
बेंगलुरु ने किया नेतृत्व, मुंबई में गिरावट
देश के सात बड़े ऑफिस बाजारों में से पांच में ग्रेड ए ऑफिस स्पेस की खपत में इजाफा देखा गया. बेंगलुरु, 4.8 एमएसएफ लीजिंग के साथ 27% हिस्सेदारी लेकर पहले स्थान पर रहा. हालाँकि, बेंगलुरु में वृद्धि स्थिर रही. दूसरी ओर, हैदराबाद, मुंबई और चेन्नई ने प्रत्येक ने 2.5 एमएसएफ से अधिक लीजिंग दर्ज की. मुंबई में लीजिंग में सालाना 20% की गिरावट दर्ज की गई, जो एक चिंता का विषय रहा.
H1 CY25 में कुल मांग में 13% की बढ़ोतरी
कोलियर्स इंडिया के कार्यालय सेवाओं के प्रबंध निदेशक अर्पित मेहरोत्रा ने बताया कि वर्ष की पहली छमाही में कुल मांग 33.7 एमएसएफ तक पहुंची, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 13% अधिक है. उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन बाजार की स्थिरता, विविध प्रकार के किरायेदारों और निवेशकों की सकारात्मक रुचि का संकेत है.
नई आपूर्ति में भी 11% की बढ़ोतरी
मेहरोत्रा के अनुसार, वर्ष के अंत तक कुल ग्रेड ए ऑफिस स्पेस की मांग 65 से 70 एमएसएफ तक पहुंच सकती है. उनका मानना है कि विविध किरायेदार आधार, स्थिर आपूर्ति और निवेश में रुचि वाणिज्यिक रियल एस्टेट को 2025 में और मजबूती देगी. 2025 की दूसरी तिमाही में कुल नई आपूर्ति 14.9 एमएसएफ रही, जो सालाना आधार पर 11% अधिक है. हालांकि दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद जैसे शहरों में नई आपूर्ति में गिरावट देखने को मिली.
फ्लेक्स स्पेस की बढ़ती हिस्सेदारी
Q2 CY25 के दौरान कुल 17.8 एमएसएफ लीजिंग में से फ्लेक्स स्पेस ऑपरेटरों ने 4.3 एमएसएफ की हिस्सेदारी निभाई, जबकि पारंपरिक लीजिंग 13.5 एमएसएफ रही. इसमें तकनीकी कंपनियों का योगदान 6.4 एमएसएफ रहा, जो कि साल-दर-साल 42% अधिक है. यह वृद्धि विशेष रूप से ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) के विस्तार से प्रेरित रही. जहां एक ओर अधिकांश शहरों में रिक्ति दर लगभग स्थिर रही और 16.2% पर रही, वहीं पुणे और हैदराबाद में यह दर अपेक्षाकृत अधिक रही, क्योंकि वहाँ तिमाही में काफी नई परियोजनाएँ पूरी हुईं.
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