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जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

06:32 PM Feb 21, 2024 IST | Yogita Tyagi

आज के दिन 21 फरवरी को पुरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य भाषा और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है या आज ही के दिन इस अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) को क्यों सेलिब्रेट किया जाता है, इसके साथ ही इस बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की क्या थीम राखी गई है। यदि आप इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आपको आगे जरूर इसके बारे में पढ़ना चाहिए।

Highlights 

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत की कहानी

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Mother Language Day मनाने के पीछे बांग्लादेश के संघर्ष की एक लम्बी कहानी है। दरअसल इस दिन बांग्लादेश ने अपनी मातृभाषा की रक्षा की थी जिसकी याद में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। दरअसल साल 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपनी परवाह न करते हुए बांग्ला मातृभाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए धरना-प्रदर्शन देना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे धरना-प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि इसने एक भयानक रूप धारण कर लिया। धरना-प्रदर्शन को रोकने के लिए पाकिस्तान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के ऊपर अत्याचार करना शुरू कर दिया उन्होंने पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं जिससे न जानें कितने ही स्टूडेंट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गवां दी। इसके बाद बांग्लादेश सरकार बनी और बांग्लादेश सरकार ने UNESCO के सामने एक प्रोप्सल रखा। प्रस्ताव में आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित करने के लिए कहा गया। UNESCO ने प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए साल 17 नवम्बर 1999 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस सेलिब्रेट करने का ऐलान किया। भले ही इसकी घोषणा साल 1999 में की गई हो लेकिन पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस साल 2000 में मनाया गया।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की क्या है थीम

Mother Language Day  2024 की थीम “बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है“ रखी गई है। यदि हम इस थीम के मतलब के बारे में बात करें तो इसका मतलब पीढ़ीगत शिक्षा को बढ़ाने में बहुभाषी शिक्षा को बढ़ाने की तरफ अग्रसर है।
इसके अलावा यदि हम इसके बाद उस भाषा की बात करें जो भारत में सबसे ज्यादा बोली जाती है तो वह हिंदी है। वैसे तो भारत में लगभग 20 हजार मातृभाषा हैं, लेकिन हिंदी का अपना एक अलग ही रुतबा है, साल 2011 में देश में इस बात के ऊपर जनगणना हुई थी जिसमें यह देखा गया कि भारत में सबसे ज्यादा कौन सी भाषा बोली जाती है, रिपोर्ट में सामने आया कि, भारत में 43.63 फीसदी लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में स्वीकारते हैं। पहले नंबर पर हिंदी के बाद दूसरे नंबर पर बांग्ला और तीसरे नंबर पर मराठी भाषा आती है। इसके अलावा यदि हम गैर सूचीबद्ध भाषाओं के बारे में जानें तो राजस्थानी भाषा भीली सबसे पहले स्थान पर आती है इसके अलावा गोंडी भाषा ने दूसरा स्थान हासिल किया है।

दुनियाभर में कितनी हैं भाषाएँ

यदि हम दुनियाभर की भाषाओं के बारे में बात करें तो इनकी कितना संख्या है यह गिनना मुश्किल है लेकिन UNESCO के मुताबिक सम्पूर्ण विश्व में लगभग सात हजार भाषाएं बोलीं जाती हैं। और यदि अकेले भारत की बात करें तो यहां 19,500 से भी ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। इन सभी भाषाओं को मातृभाषा के रूप में यहां जाना जाता है। UNESCO के अनुसार, दुनियाभर में बोली जाने वाली सभी 7,000 भाषाओं में से 90 प्रतिशत ऐसी भाषाएँ हैं जिनका इस्तेमाल पूरे एक लाख लोग भी नहीं करते हैं। दुनियाभर में लगभग 11 लाख लोग ऐसे हैं जो कुल 150-200 भाषाओं को जानते हैं और उन्हीं में बात भी करते हैं। इसके अलावा हमारे देश भारत में कुल 121 वे बोलियां हैं जिन्हें कुल 12 या 13 हज़ार लोग ही बोलते हैं। UNESCO के द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 40 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो जिस भाषा में बात करते हैं उस भाषा में वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं करते हैं और न ही उसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं। पुरे एशिया में दुनिया भर की 2,200 भाषाएँ बोली जाती हैं जबकि अकेले यूरोप में दुनियाभर की 260 भाषाएं बोली जाती हैं।

न बनाएं अपनी भाषा से दुरी

आज के युग में हर कोई दूसरी भाषा को पढ़ने व समझने में लगा है लेकिन इसके साथ-साथ जरुरी है कि, लोगों में अपनी मात्र भाषा के प्रति जागरूकता रहे और अपनी भाषा को न छोड़ें। विदेश भाषा हर किसी को सिखाना पसंद होता है और लोग फैशन में बोलने के चक्कर में अपनी भाषा से दूर होते जा रहे हैं। आपकी कोई भी भाषा हो हिंदी, बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल, गुजराती, उर्दू, कन्नड़, ओड़िया, मलयालम, इंग्लिश, पंजाबी, भोजपुरी, मैथिली, अंगिका, संताली, नागपुरी, मगही, बंगाली उसको बोलना बिल्कुल भी न छोड़ें। यदि आपको अपनी मातृभाषा के बारे में जानकारी नहीं है तो अपने घर के बड़े लोगों से जरूर पूछें। इसके साथ ही किसी भी भाषा का उपहास न उड़ाएं न ही अपनी भाषा को बोलने में ज़रा भी शर्माएं। यदि आपसे कोई आपकी मातृभाषा के बारे में जानना चाहता है तो आपको उसके बारे में पूरी इनफार्मेशन होनी चाहिए। भाषाओं के बारे में एक चौंकाने वाला मुद्दा यह है कि, UNESCO ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि, प्रत्येक दो हफ्ते में एक भाषा कहीं छिप जाती है। जिस कारण वस मानव सभ्यता अपनी सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत को भूल रही है यह एक बड़े खतरे का संकेत है। अपनी भाषा भूलने के पीछे की एक वजह लोगों का अपनी भाषा छोड़ दूसरी विदेशी भाषा सीखने पर जोर देना है। UNESCO की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी भाषा, इंग्लिश, स्पेनिश, हिन्दी, अरबी, बंगाली, रूसी, पुर्तगाली, जापानी, जर्मन, फ्रैंच सबसे ज्यादा बोलीं जाती हैं।

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