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इस शहर का नाम मां काली के नाम पर पड़ा,जानें यहां के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में...

विश्व भर में देवी भगवती के अलग-अलग रूपों की विधि-विधान पूजा-अर्चना करी जाती है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पर मुख्य रूप से मां काली की पूजा करी जाती है।

04:13 PM Mar 20, 2020 IST | Desk Team

विश्व भर में देवी भगवती के अलग-अलग रूपों की विधि-विधान पूजा-अर्चना करी जाती है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पर मुख्य रूप से मां काली की पूजा करी जाती है।

विश्व भर में देवी भगवती के अलग-अलग रूपों की विधि-विधान पूजा-अर्चना करी जाती है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पर मुख्य रूप से मां काली की पूजा करी जाती है। कहा जाता है कि कोलकाता का नाम मां काली के नाम पर ही रखा गया है। इसके अलावा कोलकाता को मां काली के निवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर मां काली के 2 प्रसिद्घ मंदिर है। तो आइए जानते हैं मां काली के निवास स्थान कोलकाता के इन्हीं मंदिरों के बारे में…
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
दक्षिणेश्वर काली मंदिर हुगली नदी के तट पर है। खास बात यह है कि यह मंदिर मां काली के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता यह भी है कि जब विष्णु भगवान ने मां सती के शव के टुकडे कर दिए थे तब इस जगह पर माता की दाएं पांव की चार उंगलियां गिर गई थी। इस मंदिर को मां काली का दिव्य धाम भी कहा जाता है। श्रद्घालुओं के लिए यह जगह किसी सिद्घ स्थन से कम नहीं है। 
दक्षिणेश्वर काली मंदिर की गणना भारत के महानतम देवी तीर्थों में की जाती है। यह मंदिर करीब दो मंजिला है और नौ गुंबदों से बना हुआ है। इन गुंबदों पर खड़े करीब सौ फीट ऊंचे मंदिर के गर्भगृह में मां काली की सुंदर मूर्ति भी है याहं पर काली मां की मूर्ति लेटे हुए भगवान शिव की छाती पर खड़ी है। 
कालीघाट मंदिर
कालीघाट मंदिर कोलकाता में यह दूसरा सिद्घ मंदिर है। यहां पर काली प्रतिमा मुख काले पत्थरों से निर्मित है। यहां पर जीभ,हाथ और दांत सोने से मढ़े हुए हैं। बता दें कि ये जगह काली मां के भक्तों के लिए सबसे बड़ा मंदिर है। 
खास बात यह है कि कोलकाता के इन दोनों मंदिर तांत्रिकों के लिए बहुत जरूरी तीर्थ है और उनका यहां पर सालभर में जल्दी-जल्दी आते रहते हैं। इतना ही नहीं इन मंदिरों में सैकड़ों तांत्रिक पूरे भारत से आ कर काली मां की अराधना करते हैं। 
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