कोचिंग से सुसाइड हब बनता जा रहा कोटा, 7 सालों में अब तक इतने छात्रों ने की आत्महत्या
कोटा में बढ़ता आत्महत्या का खतरा, 7 सालों में कई छात्रों ने गंवाई जान
कोटा, जो कभी कोचिंग के लिए जाना जाता था, अब सुसाइड हब बनता जा रहा है। पिछले 7 वर्षों में 100 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की है। हाल ही में एक छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी। प्रशासन की कोशिशों के बावजूद आत्महत्या की घटनाएं नहीं थम रही हैं, और कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई है।
Kota Suicide News: देश के प्रमुख कोचिंग सेंटर के रूप में पहचाने जाने वाला कोटा अब सुसाइड हब बनता जा रहा है. प्रशासन और सरकार की कोशिशों के बावजूद यहां छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इस बीच कोटा में नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मृतक छात्रा जम्मू-कश्मीर की रहने वाली थी और महज एक महीने पहले ही कोटा पढ़ाई के लिए आई थी. बताया जा रहा है कि रविवार, 25 मई की शाम को उसने एक रिश्तेदार से बात करने के बाद अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी. हालांकि, उसकी आत्महत्या के पीछे की असल वजह अभी सामने नहीं आ पाई है.
कमरे में नहीं थे सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम
बता दें कि जिस हॉस्टल में छात्रा रह रही थी, वहां एंटी-हैंगिंग डिवाइस नहीं लगी थी, जबकि प्रशासन ने इसे सभी हॉस्टल्स और कोचिंग सेंटर्स में अनिवार्य कर दिया है. कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बावजूद ऐसी लापरवाहियां सामने आना चिंता का विषय बन गई है.
नीति विफल, कोर्ट की भी नाराजगी
राजस्थान सरकार अभी तक छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बना सकी है. इस मुद्दे पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है और यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में कोटा की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है.
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7 सालों में 100 से अधिक छात्रों ने गंवाई जान
कोटा में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. बीते 7 वर्षों में लगभग 100 छात्रों ने जान दी है, ये आंकड़े केवल वही हैं जो पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हैं. वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. इनमें से लगभग दो-तिहाई छात्र एक ही कोचिंग संस्थान से जुड़े थे.
प्रशासन की पहल
छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए कोटा पुलिस ने कुछ नियम बनाए हैं. इनमें प्रमुख रूप से:
1-हर कमरे में एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य किया गया.
2-हर थाना क्षेत्र में कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों में छात्र सहायता केंद्र (स्टूडेंट हेल्प डेस्क ) की स्थापना की गई.
कोचिंग क्षेत्रों में अस्थायी पुलिस चौकियों की शुरुआत की गई.
हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए.
लेकिन इन उपायों के बावजूद आत्महत्या की घटनाओं में कोई खास कमी नहीं आई है.