Kushmanda Mata Vrat Katha: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की ये कथा सुनने से मिट जाएंगे सभी कष्ट, बरसेगी मां की कृपा
Kushmanda Mata Vrat Katha: नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में काफी खास और पवित्र होता है। नवरात्रि में पूरे नौं दिनों तक मां दुर्गा के नौं दिव्य रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में काफी बड़ा और पावन त्योहार माना जाता है। इस दिन सभी लोग विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न तरह के उपाय करते हैं।
इस दिन को खास बनाने के लिए लोग कई सप्ताह पहले से ही तैयारी करना शुरू कर देते हैं। नवरात्रि के समय हर जगह तरह-तरह के आय़ोजन किए जाते हैं जैसे की गरबा और रामलीला। इस साल नवरात्रि कि शुरुआत 22 सितंबर सोमवार के दिन से हो गई है। आज नवरात्रि का चौथा दिन है और यह दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। इस दिन भक्त मां कुष्मांडा की विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखकर मां को प्रसन्न करते हैं। इस दिन अगर आप मां की इस कथा का पाठ करते हैं तो आपको माता का आर्शीवाद मिलता है।
Kushmanda Mata Vrat Katha: नवरात्रि के दिन सुने मां कुष्मांडा की ये कथा

एक पौराणिक के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने सृष्टि की रचना का संकल्प लिया। उस समय पूरे ब्राह्मण घना अंधकार छाया हुआ था। पूरी सृष्टि में एकांत और शांती पसरी हुई थी। न कोई संगीत, न कोई ध्वनि, केवल एक गहरा सन्नाटा था। सृष्टि को ऐसा देखकर तीनों त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा से सहायता मांगी।
इसके बाद मां दुर्गा अपने चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा के रूप में अवतरित हुई और मां ने तुरंत ही ब्रह्मांड की रचना की। ऐसा कहा जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से सृष्टि का निर्माण किया। मां के चेहरे पर फैली मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशमय हो गया। इस प्रकार अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना करने के कारण जगत जननी आदिशक्ति को मां कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मां की महिमा अद्वितीय है।
मां का निवास स्थान सूर्य लोक है। शास्त्रों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि मां कुष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं। ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली मां कुष्मांडा के मुखमंडल पर जो तेज है, वही सूर्य को प्रकाशवान बनाता है। मां सूर्य लोक के भीतर और बाहर हर स्थान पर निवास करने की क्षमता रखती हैं।
Kushmanda Mata Mantra: नवरात्रि के दिन मां कुष्मांडा के इन मंत्रों का करें जाप

1. ऊं कुष्माण्डायै नम:
2. ऐं ह्री देव्यै नम:
3. या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
4. सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
5. वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
6. या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
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Kushmanda Vrat Katha or Mantra Ke Labh: मां कुष्मांडा की कथा और मंत्रों का जाप करने के लाभ

नवरात्रि मां दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा और विशेष समय होता है। इस समय यदि कोई भी भक्त माता की विधि-विधान से पूजा करता है और व्रत रखता है तो माता उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं। मां कुष्मांडा की कथा सुनने और उनके दिव्य मंत्रों का जाप करने से मां कुष्मांडा जल्दी प्रसन्न होती हैं। मां कुष्मांडा ने की कथा Kushmanda Mata Vrat Katha और मंत्रों का जाप करने से साधक को सुख, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही मां कुष्मांडा के मंत्र का जाप करने से भक्त को माता का आशीर्वाद, ज्ञान और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और जीवन के सभी दुख और कष्ट नष्ट हो जाते हैं। जीवन में खुशियों का आगमन होता है।