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लाला जी का बलिदान दिवस

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब अमर शहीद लाला जगत नारायण जी का सपना है जो उन्होंने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपने आर्टिकल ‘जीवन की संध्या से सबके सामने रखा था।

06:04 AM Sep 13, 2023 IST | Kiran Chopra

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब अमर शहीद लाला जगत नारायण जी का सपना है जो उन्होंने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपने आर्टिकल ‘जीवन की संध्या से सबके सामने रखा था।

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब अमर शहीद लाला जगत नारायण जी का सपना है जो उन्होंने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपने आर्टिकल ‘जीवन की संध्या से सबके सामने रखा था। उनके अनुसार जीवन के इस मोड़ पर जब तुम्हारा साथी छूट गया तब तुम चाहे जितने भी भरे पूरे परिवार में रहते हों बच्चे, बेटे, बहुएं तुम्हारी सेवा करते हैं तब भी तुम कहीं न कहीं अकेलापन महसूस करते हो। यही नहीं वह अक्सर लोगों से मिलते थे तो इस उम्र के लोगों की भावनाओं को समझते और लिखते थे। क्योंकि मैं उनकी उस समय एकमात्र पौत्र वधू थी तो मुझे उनसे बहुत प्यार और मान मिला। उनकी सेवा करके मुझे बहुत आनंद आता था, चाहे सारा परिवार उनकी सेवा करता था परन्तु उन्हें पौत्र वधू से सेवा कराके बहुत लाड़ आता था। यह एक ऐसी अनुभूति होती है जो कोई-कोई ही समझ सकता है। पिछले 20 सालों से उनके सपने को लिए और उनके मार्गदर्शन और अमर शहीद रमेश चन्द्र जी की याद में वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब चल रहा है। जहां अच्छे घरों के लोग अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, खुशियां बांटते हैं। अपने छुपे टैलेंट को उभारते हैं और जहां जरूरतमंद बुजुर्ग  जिनके बच्चे आते हैं और कहते हैं महंगाई का समय है हम अपने माता-पिता को नहीं रख सकते, हमें वृद्ध आश्रम बता दीजिए। तो हम उन्हें कहते हैं कि वृद्ध आश्रम छत, रोटी तो दे सकते हैं परन्तु अपनापन नहीं जो उन्हें अपने बच्चों और पोते-पोतियों के बीच रहकर सुकून मिलेगा वो वहां नहीं, तो हम सम्पन्न लोगों से उन्हें एडोप्ट करवाते हैं, एडोप्शन यानी उन्हें घर नहीं लेकर जाना। इस समय उन्हें दवाई और खाने की जरूरत है तो उन्हें आर्थिक सहायता दो ताकि वह अपने घर में अपने बच्चों के साथ रह सकें और लाला जी तथा अमर शहीद रमेश चन्द्र जी के शहीदी दिवस पर उनके लिए विशेष कार्यक्रम रखा जाता है। जैसे लाला जी के शहीदी दिवस पर आर्थिक सहायता दी गई, साथ में उनका मनपसंद खाना खिलाया गया और उनके पसंद की ठंडी कुल्फी खिलाई गई। कुल्फी खाकर सबको इतना आनंद आ रहा था कि एक सरदार जी 5 कुल्फियां खा गए। आखिर मुझे उन्हें मना करना पड़ा कि शुगर हो जाएगी। अगली बार सबकी जलेबी की फरमाइश है। महीने की 6 तारीख को बुजुर्गों की आर्थिक सहायता होती है। उन्हें उनकी जरूरत का सामान बांटा जाता है, उन्हें उनकी मनपसंद का खाना खिलाया जाता है। यह लाला जगत नारायण जी को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। बहुत से बुजुर्ग अपने घरों में अपने बच्चों के साथ रह रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब सम्पन्न और जरूरतमंद बुजुर्गों का एक ऐसा संगठन है जहां दुआएं हैं, आशीर्वाद है, सच्ची सेवा है। क्योंकि इस उम्र में हर बुजुर्ग को तकलीफ है। एक तो बढ़ती उम्र में कोई न कोई बीमारी लगना, शारीरिक तकलीफ और फिर कइयों की जिन्दगी में समाज और बच्चों की नजर में फर्क आना, अपनों का दूर जाना, जिनके पास धन-दौलत है उनके लिए भी मुश्किल, उनके या तो बच्चे धन-दौलत, जमीन-जायदाद के लिए लड़ पड़ते हैं या अकेले रह रहे हो तो नौकर ही मार जाते हैं और  जिनके पास नहीं है वो इस उम्र में खाने को, दवाइयों को, इलाज को तरसते हैं, यानी बुढ़ापा अभिशाप है परन्तु वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब का उद्देश्य है बुढ़ापे को सार्थक बनाना क्योंकि बुढ़ापा जीवन की कड़वी सच्चाई है जो सबके जीवन में आना है, तो क्यों न इसे खुशी से सकारात्मक रवैया रखकर जीया जाए, क्योंकि हम सब जानते हैं कि जिन्दगी एक सफर है सुहाना, कल क्या हो किसने जाना। सो जितना भी जीना है हर पल को एंज्वाय करके और आत्मविश्वास से जीया जाए कि हम किसी से कम नहीं। हम हर काम मर्यादा में रहकर कर सकते हैं। हमने सारी उम्र बच्चों और समाज के लिए कुछ न कुछ किया। अब इस उम्र में बारी है अपने लिए जीने की। यह रिटायरमेंट की उम्र नहीं जिन्दगी को रीट्राई करने की उम्र है जो आपके सपने अधूरे रह गए हैं उन्हें पूरा कीजिए। गाना, गीत, संगीत, शेरो-शायरी, कविता, एक्टिंग, डांस जो आपको करना है कीजिए। अपनी जिन्दगी के अनुभव बांटिये। यही जिन्दगी है इसे मर्यादा में रहकर जियें। मुझे पूरा विश्वास है कि स्वर्ग में बैठे लाला जी अपने सपनों को सार्थक होते देखते हुए हम सबको आशीर्वाद दे रहे होंगे।
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