Lalbaugcha Raja Ganpati 2025: आखिर क्यों है लालबागचा राजा की इतनी मान्यता, जाने इसका इतिहास
Lalbaugcha Raja Ganpati 2025: हर साल लोगों को गणेश चतुर्थी का इंतजार बड़ी ही बेसब्री से होता है। जब भी गणेश चतुर्थी आती है तो उसके पहले से ही लोग तैयारियां करना शुरू कर देते हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, गणपति जी के लिए लोग उनके आसन को सजाते हैं। लोग जगह-जगह म्यूजिक बजाकर इस दिन का जश्न मनाते हैं।
इस त्योहार को दस दिनों तक मनाया जाता है। देशभर में इस पर्व की खास धूमधाम देखने को मिलती है। खासकर महाराष्ट्र में इसकी अलग ही रौनक देखने को मिलती है। यहां पर कई सारे गणेश पंडाल लगाए जाते हैं, लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा खास लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja) माने जाते हैं।
Kon Hain Lalbaugcha Raja

मुंबई में इस गणपति पंडाल को बहुत ही मान्यता दी जाती है। इस पंडाल में दूर-दूर से लोग गणेश जी के दर्शन करने आते हैं, ये पूरे देश का सबसे बड़ा पंडाल माना जाता है। इसकी मान्यता किसी मंदिर से कम नहीं है। इस साल लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja) ने सभी भक्तों का मन मोह लिया है। बैंगनी रंग की धोती, सिर पर सुंदर राजसी मुकुट और हाथों में च्रक लिए बप्पा सच में राजा की तरह नजर आए। वहीं, बात करें थीम की, तो इस साल गणेश भगवान के मंडप को तिरूपति बालाजी के मुकुट थीम पर तैयार किया गया है। पंडाल को सुन्दर से महल की तरह सजाया गया है, यह मूर्ति 14 फुट ऊंची है।
Lalbaugcha Raja Ka Itihaas

लालबागचा राजा की शुरुआत करीबन 1934 में हुई थी। कोली समुदाय के मछुआरों ने इस परंपरा शुरुआत की थी। तब से लेकर आज तक ये पंडाल लगातार हर साल गणेशोत्सव के समय स्थापित किया जाता है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस पंडाल की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। अब ये सिर्फ एक पंडाल नहीं रहा, बल्कि मुंबई की आस्था और पहचान का प्रतीक बन चुका है।
महारष्ट्र के लोग इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इसमें सबसे खास बात तो ये है कि इसमें किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं होता है। सब लोग मिलकर गणपति जी के दर्शन करते हैं, यहां पर सभी लोग एक साथ मिलकर इसे बड़े ही जश्न की तरह मनाते हैं। इस पंडाल में बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा आदमी सामान होता है। बाप्पा के दर्शन करने इस पंडाल में आता है, बड़े-बड़े उद्योगपति या सितारें भी गणपति जी के दर्शन करने दूर-दूर से आते आते हैं।
गणेश उत्सव को हर जगह बड़े ही प्रेम भाव के साथ मनाया जाता है। लोग अपने अपने घरों में भी गणपति जी की मूर्ति रखकर पूरे घर को सजाते हैं। हर जगह 10 दिनों तक धूमधाम होती है, लोग तरह-तरह की लाइट्स फूल आदि लगाकर पंडाल को सजाते हैं। 10 दिनों तक बाप्पा की सेवा करते हैं इसके साथ ही अपने सुखमय जीवन की कामना करते हैं, ताकि उनका और उनके परिवार का जीवन सुखी हो 10 दिनों तक हर किसी के घर और मोहल्ले में रौनक होती है।
साथ ही गणपति जी का विसर्जन भी बड़े ही धूमधाम से किया जाता है। लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja) की पूजा में तो हजारों की तादात में लोग शामिल होते ही हैं। साथ ही इनके विसर्जन भी काफी भीड़ होती है, इस विसर्जन में महाराष्ट्र के अधिकतर लोग शमिल होते हैं। कई बार तो विसर्जन में बारिश भी होने लगती है, जिससे गणेश विसर्जन का माहौल और भी मनमोहक हो जाता है।
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