'Bihar Chunav में RJD की हार नहीं पचा पाईं लालू यादव की बेटी' राजनीति से सन्यास लेने की कर दी घोषणा!
Lalu Yadav Daughter News: बिहार चुनाव 2025 के परिणाम आने के तुरंत बाद राज्य की राजनीति में नई उथल-पुथल दिखाई देने लगी है। कई दलों के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। इसी बीच, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार में मतभेद होने की खबर सामने आई है। दरअसल लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने चुनाव परिणाम के अगले ही दिन राजनीति से अचानक संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। यह घोषणा उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया।
Lalu Yadav Daughter News: रोहिणी आचार्य का सनसनीखेज बयान
अपनी पोस्ट में रोहिणी ने लिखा कि वह न केवल राजनीति छोड़ रही हैं, बल्कि कुछ समय के लिए अपने परिवार से भी दूर रहना चाहती हैं। उन्होंने दावा किया कि यह निर्णय उन्होंने संजय यादव और रमीज़ के दबाव में लिया है, हालांकि सार्वजनिक रूप से उन्होंने पूरा दोष खुद पर ही लिया। उनका यह भावनात्मक बयान आरजेडी के भीतर पहले से चल रही खींचतान को और उजागर करता है।

Rohini Acharya Statement: RJD की प्रतिक्रिया, 'यह परिवार का निजी मामला'
रोहिणी के इस कदम पर आरजेडी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई। पार्टी ने इसे परिवार का आंतरिक मसला बताते हुए किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी से दूरी बनाई। दूसरी तरफ, भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने रोहिणी के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का “परिवार बनाम परिवार” वाला बयान अब सच साबित हो रहा है और आरजेडी का अंदरूनी संकट अब सबके सामने आ गया है।
I’m quitting politics and I’m disowning my family …
This is what Sanjay Yadav and Rameez had asked me to do …nd I’m taking all the blame’s— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) November 15, 2025

Bihar News Today: परिवारिक तनाव ने बढ़ाई पार्टी की मुश्किलें
रोहिणी के आरोपों ने साफ कर दिया कि लालू परिवार के भीतर लंबे समय से तनाव मौजूद है। चुनाव में पहले ही कमजोर प्रदर्शन कर रही आरजेडी के लिए यह स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई। इस चुनाव में पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई, जिसे केवल चुनावी हार नहीं बल्कि नेतृत्व की कमी, संगठनात्मक कमजोरियां और परिवार के भीतर की खींचतान का परिणाम माना जा रहा है।
कैंपेन के दौरान तेजस्वी यादव मुख्य चेहरा थे, लेकिन नतीजों से यह साफ हो गया कि उनकी पकड़ सीमित है। ऊपर से टिकट बंटवारे और रणनीति को लेकर परिवार में विवाद ने पार्टी की एकजुटता को कमजोर कर दिया। रोहिणी का कड़ा बयान इसी अंतर्कलह की पुष्टि करता है।

कार्यकर्ताओं का बढ़ता असंतोष
आरजेडी पर लंबे समय से परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। इस बार यही मॉडल पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया। कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता गया क्योंकि महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी राय शामिल नहीं की गई। निर्णय लगातार कुछ चुनिंदा लोगों तक सिमटे रहे। जमीनी मुद्दों पर पार्टी प्रभावी तरीके से चुनावी माहौल नहीं बना पाई। सरकार विरोधी लहर का लाभ उठाने में भी आरजेडी पीछे रह गई। इसके उलट एनडीए ने अपनी एकजुटता, विकास से जुड़े दावों और सामाजिक समीकरणों के नए प्रयोग से मजबूत बढ़त हासिल की।
रोहिणी आचार्य के राजनीतिक संन्यास वाले बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि आरजेडी केवल चुनावी चुनौतियों से ही नहीं, बल्कि गंभीर पारिवारिक मतभेदों से भी जूझ रही है। आने वाले समय में पार्टी इन आंतरिक समस्याओं को कैसे सुलझाती है, यह उसके भविष्य को काफी हद तक तय करेगा।
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