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लालू यादव जीवन के अंतिम दौर में, उनके बयान का कोई महत्व नहीं : दिलीप जायसवाल

परिवारवाद लालू यादव की सबसे बड़ी कमजोरी: दिलीप जायसवाल

11:30 AM Feb 13, 2025 IST | IANS

परिवारवाद लालू यादव की सबसे बड़ी कमजोरी: दिलीप जायसवाल

बीजेपी की बिहार इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने गुरुवार को आईएएनएस से बात करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बयान को गंभीरता से न लेने की सलाह दी। उन्होंने इसकी वजह उनकी ढलती उम्र को बताया।

दिलीप जायसवाल ने कहा कि लालू यादव अब अपने जीवन के अंतिम दौर में हैं और उनका क्या कहना है, इसका कोई महत्व नहीं है। उनके दिमाग में सिर्फ एक चीज चल रही है और वह है परिवारवाद। कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति जब अपने जीवन के इस मुकाम पर पहुंचता है, तो वह चाहता है कि अपने परिवार के सभी सदस्यों को रोजगार दे और यही लालू यादव भी कर रहे हैं। लालू यादव का परिवारवाद उनके राजनीतिक दृष्टिकोण की सबसे बड़ी कमजोरी बन गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि लालू यादव ने सामाजिक न्याय की परिभाषा को पूरी तरह से तोड़ा है। सामाजिक न्याय का मतलब होता है समाज के हर वर्ग को न्याय देना, लेकिन लालू यादव अपने परिवार को ही न्याय दे रहे हैं। लालू यादव का राजनीतिक प्रभाव अब खत्म हो चुका है, उनके बयान का कोई अर्थ नहीं रह गया है।

वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा पर विपक्ष की ओर से खड़े किए गए सवाल पर दिलीप जायसवाल ने विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने कहा कि विपक्ष को क्यों मिर्ची लग रही है अगर निशांत राजनीति में आते हैं? निशांत इतने समय से राजनीति से दूर रहे, यह नीतीश कुमार की सबसे बड़ी कुर्बानी रही है। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि अगर उन्हें राजनीति में किसी के आने पर आपत्ति है, तो यह उनका तंग नजरिया है।

दिलीप जायसवाल ने आगे कहा कि विपक्ष को तो यह कहना चाहिए था कि यह आश्चर्यजनक है कि नीतीश कुमार ने इतने समय तक अपने बेटे को राजनीति में नहीं लाने का फैसला किया। अब, जब निशांत के राजनीति में आने की संभावना बन रही है, तो विपक्ष को क्यों दिक्कत हो रही है? निशांत कुमार को राजनीति में आना चाहिए और यह उनके लिए एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने कभी यह नहीं कहा कि उनका बेटा राजनीति में आएगा, लेकिन अब समय आ गया है कि निशांत को राजनीति में आना चाहिए। क्यों नहीं आएंगे? उन्हें राजनीति में कदम रखना चाहिए। यह लोकतंत्र का हिस्सा है और राजनीति में हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपनी भूमिका निभाए।

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