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हेमंत सोरेन के सरकार में रहते कानून-व्यवस्था में नहीं हो सकता सुधार : बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल मरांडी ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

06:45 AM Mar 07, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

बाबूलाल मरांडी ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में कानून का शासन कायम नहीं है और अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए मरांडी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि जब तक यह सरकार सत्ता में है, तब तक राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार हो सकता है। उन्होंने पुलिस महकमे पर भी वसूली का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस महकमा वसूली में लगा हुआ है और राज्य में अवैध गतिविधियां बढ़ रही हैं।

बाबूलाल मरांडी ने कानून-व्यवस्था पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा कि धनबाद और बोकारो जैसे कोयला क्षेत्रों से अवैध रूप से कोयला निकाला जाता है, जिससे मिलने वाला पैसा सरकार की तिजोरी में नहीं जाता, बल्कि सत्ता में बैठे कुछ लोगों के पास पहुंचता है। मरांडी ने कहा कि अपराधों के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे राज्य की सुरक्षा और शांति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य सरकार की नीतियों के कारण झारखंड में कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर होती जा रही है।

बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर आदिवासियों के कल्याण को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए जो लक्ष्य निर्धारित करती है, वह कभी पूरा नहीं होता। मरांडी ने राज्य सरकार पर आदिवासियों के हितों के प्रति गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार केवल नाटक करती है और वास्तव में आदिवासियों के कल्याण के लिए कुछ नहीं करती।

राज्य सरकार के काम पर उठाए सवाल

बाबूलाल मरांडी ने कहा, मेरा सवाल यह है कि सरकार आदिवासियों के कल्याण के बारे में कितनी चिंतित है, क्योंकि राज्य पिछले पांच वर्षों से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में है। अगर सरकार वास्तव में आदिवासियों के विकास के लिए चिंतित होती, तो उस दिशा में काम करती। इनका इरादा आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का नहीं है। यह सरकार केवल नाटक करने में लगी हुई है। राज्य सरकार की आदिवासी समाज के लिए योजनाएं केवल कागजी स्तर तक ही सीमित हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं किया जा रहा है।

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