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कारों से घिसटता कानून

05:55 AM Jul 11, 2024 IST | Shivam Kumar Jha

देश में पिछले एक दशक में हिट एंड रन के मामले काफी चर्चित रहे। ऐसे हादसों के बाद सड़क पर चलने वाला आम आदमी खौफ में है। दिल्ली में 12 किलोमीटर तक कार के पहियों के तले एक लड़की को घसीटा जाता रहा और बाद में उसकी क्षत-विक्षत लाश ही मिली। पुणे में एक अमीर परिवार के बेटे ने पोर्श कार से इंजीनियर दम्पति को कुचल दिया था और अब मुम्बई में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार के लड़के मिहिर शाह ने अपनी बीएमडब्ल्यू कार की बोनट पर एक महिला को दो किलोमीटर घसीट कर मार डाला।

यद्यपि पुलिस ने 72 घंटे के बाद मिहिर शाह को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन जिस तरह से हर ऐसे मामलों में रईसजादों को बचाने की कोशिश की गई उससे साफ है कि देश में कानून बोनट पर ही घिसटता रहा है। जो दिल्ली में हुआ, जो पुणे में हुआ, जो चेन्नई में हुआ और अब जो मुम्बई में हुआ उन्हें देखकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस देश में आम आदमी की जान इतनी सस्ती हो गई है कि रईसजादों को बचाने के लिए परिवार, राजनीतिज्ञ और पुलिस प्रशासन सब जुट जाते हैं। पुणे हिट एंड रन केस पर सवाल तब उठ खड़े हुए थे जब लोअर कोर्ट ने नशे में धुत्त अमीर कारोबारी के नाबालिग बेटे को निबंध लिखने की शर्त पर जमानत दे दी थी।

हैरानी होती है कि बस और ट्रक ड्राइवर तथा प्राइवेट टैक्सी ड्राइवर अगर गलती से किसी को मार देते हैं तो उन्हें 10 साल की सजा होती है लेकिन अगर अमीर घर का बेटा 2 लोगों को मार देता है तो उसे तुरन्त जमानत मिल जाती है। मीडिया मामला न उछालता तो शायद नाबालिग आरोपी पर दोबारा कार्रवाई नहीं होती। आरोपी लड़के की मां ने पैसे के बल पर रक्त केे नमूने बदल दिए। सजा भुगतने के लिए अपने ड्राइवर को भी तैयार कर लिया था। क्योंकि आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसे ज्यादा सजा भी नहीं होगी। मुम्बई मामले के आरोपी मिहिर शाह का पिता महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बहुत करीबी माना जाता है और कहा जाता है कि पार्टी की फंडिंग में भी उनका बड़ा हाथ रहता है। गुनहगार बेटे को बचाने के लिए तमाम प्रयास किए गए लेकिन जगह-जगह मिले कैमरे ने ड्राइविंग सीट पर बैठे मिहिर की पोल खोल दी। लिहाजा सच्चाई छुपाने, सबूतों से खिलवाड़ करने, झूठ बोलने और पुलिस को गुमराह करने के आरोप में पुलिस ने मिहिर के पिता और ड्राइवर को गिरफ्तार किया। मिहिर शाह की गिरफ्तारी में देरी हो जाने से अब मेडिकल जांच में भी उसके शराब पीने का कोई सबूत नहीं मिल पाएगा। एक जुलाई को देश काे सड़क हादसों के लिए नया कानून मिला है। भारतीय न्याय संहिता के नए कानून में कहा गया है कि यदि किसी गाड़ी से कोई दुर्घटना हो जाती है और दुर्घटना के फौरन बाद गाड़ी का ड्राइवर पुलिस या अथॉरिटी को दुर्घटना की जानकारी दे देता है तो कानून उसके साथ नरम रवैया अपनाएगा।

कौन नहीं जानता कि जब इसी वर्ष जनवरी में हिट एंड रन मामलों से निपटने के लिए एक कानून को और सख्त किया गया था तो देशभर में ट्रक, टैक्सी और बस ड्राइवर हड़ताल पर चले गए थे। संसद से पारित और कानून बनी भारतीय न्याय संहिता में हिट एंड रन मामलों में लापरवाही से हुई मौत में विशेष प्रावधान शामिल किए गए थे। अगर ड्राइवर तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाता है तो उसे 10 साल की जेल और 7 लाख रुपए जुर्माना होगा। विदेशों में ऐसे हादसों पर बहुत सख्त सजाएं दी जाती हैं। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में काफी कड़े कानून हैं। हड़ताल के बाद केन्द्र सरकार को सख्त कानून लागू करने का इरादा छोड़ना पड़ा था। एक्सिडेंट के बाद ड्राइवर किसी को कुछ बताए बिना फरार हो जाता है तो उसे कम से कम 10 साल कैद की सजा होगी।

भारतीय न्याय संहिता ने रोड सेफ्टी को लेकर एक अच्छा कानून बनाया है लेकिन अफसोस इस नए कानून में वो एक नई बात जोड़ना भूल गए। यदि कोई ड्राइवर अपनी गाड़ी के बोनट पर किसी को कई किलोमीटर तक घसीट कर ले जाए या फिर कोई ड्राइवर अपनी कार के पहियों तले किसी को मीलों घसीटता रहे, फिर जब उसे यकीन हो जाए कि सामने वाला मर चुका है या मर चुकी है और फिर वो पुलिस या किसी अथॉरिटी को इन्फर्म करे तो ऐसी सूरत में उसे क्या सजा होगी। जिस देश में रोड एक्सिडेंट में हर साल पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा मौत होती हो। जिस देश में हर साढ़े तीन मिनट में एक शख्स सड़क पर मर जाता हो, हर 1 घंटे में 19 लोग पहियों के नीचे आकर दम तोड़ देते हों, हर साल लगभग एक लाख सत्तर हजार लोगों की मौत होती हो, ऐसे में इन डरावने आंकड़ों को देखते हुए ये सवाल और भी गंभीर हो जाता है। क्योंकि ऐसा ही एक हादसा मुंबई के पॉश इलाके में हुआ है।

क्या ऐसे लोगों पर सिर्फ लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला ही दर्ज होना चाहिए या फिर ऐसे लोगों पर सीधे हत्या का मामला क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। देश में 40 फीसदी लोगों की मौत गाड़ियों के पहियों तले होती है। क्या मिहिर शाह को बोनट से घिसटती महिला दिखाई नहीं दी। ऐसे लगता है कि महंगी कारों के नीचे कानून ही घिसटता रहा है।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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