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बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू, जानें क्या है इस अभियान का मकसद?

09:37 PM Jul 08, 2025 IST | Amit Kumar
बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू  जानें क्या है इस अभियान का मकसद
बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू, जानें क्या है इस अभियान का मकसद?

बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत कर दी है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर योग्य व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल हो और कोई भी नागरिक छूट न जाए. यह प्रक्रिया 24 जून से शुरू हुई है और इसमें करीब 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाता शामिल हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक मतदाता के लिए पहले से भरे गए गणना फॉर्म तैयार किए हैं, जिनमें नाम, पता और फोटो जैसी जानकारी शामिल है. ये फॉर्म बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) के माध्यम से घर-घर जाकर बांटे जा रहे हैं. अब तक करीब 7.69 करोड़ मतदाताओं को फॉर्म मिल चुके हैं, जो कुल संख्या का लगभग 97.42% है.

तीन बार जुटाई जा रही जानकारी

बीएलओ हर घर में कम से कम तीन बार जाकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी व्यक्ति छूटे नहीं. पहला दौरा पूरा हो गया है, दूसरा दौर जारी है और जल्द ही तीसरा दौरा भी होगा. इस प्रक्रिया में कई ऐसे नाम सामने आए हैं जो अब मृत, स्थानांतरित या अन्यत्र प्रवास कर चुके हैं. निर्वाचन आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश दिए हैं कि वृद्ध, बीमार, दिव्यांग और गरीब मतदाताओं को फॉर्म भरने और जमा करने में कोई कठिनाई न हो. इसके लिए वालंटियरों की सहायता भी ली जा रही है.

कब तक जमा होंगे फॉर्म?

अगर कोई मतदाता 25 जुलाई तक अपना गणना फॉर्म जमा कर देता है, तो उसका नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में शामिल कर लिया जाएगा. इसके बाद भी मतदाता 1 सितंबर तक नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए दावे और आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.

कौन बन सकता है मतदाता?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है. उस क्षेत्र का स्थायी निवासी है और किसी कानूनी कारण से अयोग्य नहीं घोषित किया गया है, वह मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने का पात्र है.

नाम हटाने का निर्णय कैसे होता है?

किसी भी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटाने का फैसला बिना जांच के नहीं लिया जाएगा. इसके लिए ईआरओ (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) को लिखित आदेश देना होगा. अगर किसी व्यक्ति की पात्रता पर संदेह है, तो उसे नोटिस देकर उसका पक्ष सुना जाएगा, फिर उचित कार्रवाई की जाएगी. अगर किसी मतदाता को ईआरओ के फैसले से असंतोष है, तो वह पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है. यदि वहां भी न्याय न मिले, तो राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास दूसरी अपील की जा सकती है.

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Amit Kumar

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