वामपंथी दलों ने एक साथ चुनाव को बताया लोकतंत्र विरोधी
एक साथ चुनाव पर वामपंथी दलों की कड़ी प्रतिक्रिया
वामपंथी दलों ने सरकार के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कदम का कड़ा विरोध किया है, जिसके लिए लोकसभा में दो विधेयक पेश किए गए हैं, और कहा कि यह संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं के अधिकारों पर सीधा हमला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में बैठक की और मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की।
वामपंथी दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, “संविधान में प्रस्तावित संशोधन संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं और उन्हें चुनने वाले लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला है। यह विधानसभाओं के पांच साल के कार्यकाल को मनमाने ढंग से कम करके लोगों की इच्छा को केंद्रीकृत करने और लोगों की इच्छा को कम करने का एक नुस्खा है।” वाम दलों ने कहा कि वे ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाएंगे। सरकार ने प्रस्ताव पर एक संविधान संशोधन विधेयक और एक अन्य विधेयक पेश किया, जिसे राज्यसभा और लोकसभा की संयुक्त समिति को भेजा गया है।
वाम दलों ने चुनाव संचालन नियम में संशोधन को वापस लेने की भी मांग की, जिसके तहत सीसीटीवी कैमरे और वीडियो फुटेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण के अधिकार को रद्द कर दिया गया है। बैठक में लोगों के मुद्दों के लिए अपने अभियान को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया और कहा गया कि संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए बैठकें आयोजित की जाएंगी।