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जम्मू-कश्मीर: ज्यादातर हिस्सों में हल्की से मध्यम बर्फबारी का सिलसिला जारी, मैदानी इलाकों में बढ़ी ठिठुरन

जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई और इसके चलते तापमान जमाव बिंदु के करीब पहुंच गया। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार रात से घाटी के ज्यादातर इलाकों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई।

01:12 PM Jan 02, 2022 IST | Desk Team

जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई और इसके चलते तापमान जमाव बिंदु के करीब पहुंच गया। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार रात से घाटी के ज्यादातर इलाकों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई।

जम्मू कश्मीर  ज्यादातर हिस्सों में हल्की से मध्यम बर्फबारी का सिलसिला जारी  मैदानी इलाकों में बढ़ी ठिठुरन
जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई और इसके चलते तापमान जमाव बिंदु के करीब पहुंच गया। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार रात से घाटी के ज्यादातर इलाकों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई, जबकि श्रीनगर में हल्की बारिश हुई। कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में न्यूनतम तापमान में सुधार हुआ।
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अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि शुक्रवार रात यहां तापमान शून्य से 2.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था। पर्यटन के लिए लोकप्रिय गुलमर्ग में तापमान शून्य से 6.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। अधिकारियों ने बताया कि पहलगाम में तापमान शून्य से 1.7 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जहां शुक्रवार रात तापमान शून्य से 6.1 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था।
घाटी के काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। वहीं दक्षिणी कश्मीर के कोकरनाग कस्बे में तापमान शून्य से 1.9 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम कार्यालय ने कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में शनिवार शाम से रविवार सुबह तक हल्की बर्फबारी होने का अनुमान व्यक्त किया था।

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मौसम कार्यालय ने बताया कि चार जनवरी से छह जनवरी के बीच मध्यम से भारी बर्फबारी या बारिश हो सकती है। इस दौरान पांच जनवरी से छह जनवरी के बीच ऐसा होने की ज्यादा संभावना है। इस दौरान कुछ स्थानों पर भारी बर्फबारी की संभावना है। फिलहाल कश्मीर घाटी 40 दिनों की भयंकर सर्दी के दौर में है जिसे ‘चिल्लई-कलां’ कहा जाता है। यह वक्त 21 दिसंबर को शुरू हुआ था।
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‘चिल्लई-कलां’ एक ऐसा काल है जब कड़ाके की सर्दी पूरे क्षेत्र को अपने गिरफ्त में ले लेती है और तापमान काफी घट जाता है। यहां डल झील समेत घाटी के जलाशय एवं जलापूर्ति लाइनों में पानी बर्फ बन जाता है। इस दौरान हिमपात की संभावना अक्सर रहती हैं तथा ज्यादातर क्षेत्रों खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में भारी से बहुत अधिक हिमपात होता है।
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