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Joe Biden की जीत के बाद भारत सहित विश्व के साथ संबंधों में होने वाले बदलाव की सूची

ट्रम्प की नीतियों के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व स्वस्थ्य संगठन और विश्व व्यापार संगठन के साथ अमेरिका के सम्बन्ध बिगड़े हुए है लेकिन बाइडन के आने से इनके साथ संबंधों में सुधार की सम्भावना है।

04:10 PM Nov 08, 2020 IST | Desk Team

ट्रम्प की नीतियों के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व स्वस्थ्य संगठन और विश्व व्यापार संगठन के साथ अमेरिका के सम्बन्ध बिगड़े हुए है लेकिन बाइडन के आने से इनके साथ संबंधों में सुधार की सम्भावना है।

आखिरकार पूरी दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश कहे जाने अमेरिका को उसका राष्ट्रपति मिल ही गया, ट्रम्प v/s बाइडन के इस खेल में बाइडन ने बाजी मारी है। उनके आने से सभी नीतियों में फेरबदल के आसार तो लग ही रहे है साथ ही भारत को इससे कुछ फायदे भी हो सकते है। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन का असर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी पड़ता है क्योंकि विश्व में महाशक्ति कहा जाने वाले अमेरिका की लगभग हर जगह छोटे स्तर पर ही सही पर दखलंदाज़ी ज़रूर है।  

ट्रम्प की नीतियों के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व स्वस्थ्य संगठन और विश्व व्यापार संगठन के साथ अमेरिका के सम्बन्ध बिगड़े हुए है लेकिन बाइडन के आने से इनके साथ संबंधों में सुधार की सम्भावना है। वहीँ जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हुए पैरिस समझौते से भी अमेरिका ने अपने आप को पीछे हटा लिया था लेकिन बाइडन ने यह आश्वासन दिया था कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो पेरिस समझौते का फिर से पालन किया जाएगा और अमेरिका जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने में अपना योगदान देगा।  

बाइडन को एक फ्री प्रो ट्रेड समर्थक माना जाता है इससे कंपनियों को खासकर आईटी कंपनियों को फायदे की सम्भावना है। काफी समय से अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के कई मामले सामने आ रहे थे जिसे लेकर वहां सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी किये गए थे लेकिन अब इस तरह की घटनाएं कम होने की उम्मीद है। आतंकवाद के खिलाफ ट्रम्प का सख्त रवैया बाइडन के आने से नरम हो सकता है दूसरे शब्दों में कहें तो कट्टरता-आतंकवाद पर ट्रंप के मुकाबले आक्रामकता घट सकती है।  

बाइडन के आने के बाद भारत को होने वाले फायदे की बात करें तो भारत-अमेरिका के संबंधों में कुछ खास बदलाव नहीं आएगा। पहले ही की तरह संधिया, समझौते और युद्धाभ्यास होते रहेंगे। यदि अमेरिका का झुकाव चीन की तरफ बढ़ता है तो यह भारत के लिए मुसीबत ज़रूर बन सकता है। वहीँ कश्मीर और लद्दाख की समस्या पर तो वैसे ही भारत ने स्पष्ट कर रखा है कि ये मामले भारत के आंतरिक मामले है जिसमें भारत किसी की भी दखलंदाज़ी नहीं चाहता है।  

अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए यह बड़ी राहत हो सकती है क्योंकि बाइडेन एक करोड़ से ज्यादा अप्रवासियों को अमेरिकी नागरिकता देने वाले हैं। बाइडेन जिन 1.1 करोड़ अप्रवासी लोगों को नागरिकता देने की दिशा में रोडमैप बनाने के लिए काम करेंगे, उनमें पांच लाख भारतीय शामिल हैं। इस प्लान के मुताबिक हर साल लगभग 95,000 लोगों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान की जाएगी। 


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