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Lohri 2020: क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार, जानें इससे जुड़ी ये रोचक कहानी

उत्तर भारत का लोहड़ी त्योहार प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह मूल रूप से पंजाब का सांस्कृति पर्व है। इस पर्व की मान्यता बहुत ज्यादा है जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में हर्षोल्लास

12:18 PM Jan 12, 2020 IST | Desk Team

उत्तर भारत का लोहड़ी त्योहार प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह मूल रूप से पंजाब का सांस्कृति पर्व है। इस पर्व की मान्यता बहुत ज्यादा है जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में हर्षोल्लास

उत्तर भारत का लोहड़ी त्योहार प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह मूल रूप से पंजाब का सांस्कृति पर्व है। इस पर्व की मान्यता बहुत ज्यादा है जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। हर साल मकर संक्रांति के एक या दो दिन पहले यह त्योहार मनाया जाता है। 
13 जनवरी को ही लोहड़ी का पर्व इस साल मनाया जा रहा है हालांकि 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। आग में तिल,गुड़,गजक,रेवड़ी और मूंगफली लोहड़ी के दिन समर्पित करते हैं। सभी लोग अपने सुखी जीवन की कामना अाग के चारों तरफ चक्कर लगाकर करते हैं। 
लोहड़ी क्यों मनाते हैं?

फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा लोहड़ी पारंपरिक तौर पर एक खास त्योहार है। पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा इस दौरान की जाती है। पूस की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंंड को कम करने के लिए यह त्योहार देश के कई जगहों पर मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाते हैं?

आग जलाने के बाद उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली लोहड़ी के दिन अर्पित की जाती है। उसके बाद सुंदरिए-मुंदरिए हो, ओ आ गई लोहड़ी वे, जैसे पारंपरिक गीत अग्नि के गोल-गोल चक्कर लगाकर गाते हैं और ढोल-नगाड़ांे में नाचते हैं।
दुल्ला भट्टी कौन था?
दुल्ला भट्टी की कहानी लोग लोहड़ी के अवसर पर सुनते हैं और धूम-धाम से नाचते हैं। बता दें कि दुल्ला भट्टी की कहानी लोहड़ी पर सुनने का एक अहम महत्व होता है। मुगल काल में दुल्ला भट्टी पंजाब में ही अकबर के समय में रहता है। ऐसा कहा जाता है कि पंजाब की लड़कियों की तब दुल्ला भट्टी ने रक्षा की थी जब अमीर सौदागरों को संदल बार की लड़कियों को बेचते थे। 
कहते हैं कि इन्हीं अमीर सौदागरों से पंजाब की लड़कियों को छुड़वा कर दुल्ला भट्टी ने हिन्दू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी। उसके बाद से नायक की उपाधि  दुल्ला भट्टी को सम्मानित कर दी और इस कहानी को हर साल लोहड़ी के पर्व पर सुनाया जाता है। 
लोहड़ी शब्द कहां से आया?

ऐसा कहा जाता है कि लोई शब्द यानी संत कबीर की पत्नी से लोहड़ी शब्द निकला है। हालांकि तिलोड़ी से उत्पन्न हुआ शब्द भी कई लोग मानते हैं। बाद में यह लोहड़ी शब्द हो गया। जबकि कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि लोह यानी चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण से निकला हुआ यह शब्द है। 
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