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रावण का सच जिसे जानकर हैरान रह गए थे भगवान राम

आइए अब जानते है रावण के तीसरे कारण को जो रावण की सकारात्म छवि को दर्शाता हैं। ये तो हम सभी जानते है कि रावण घोर तपस्वी था। जिसने अपने तप से बहुत सी ऐसी विद्याएं और शाक्तियां प्राप्त की हुई थी जो रावण को सर्वशाक्तिशाली बनाती थी।

10:06 AM Oct 04, 2022 IST | Desk Team

आइए अब जानते है रावण के तीसरे कारण को जो रावण की सकारात्म छवि को दर्शाता हैं। ये तो हम सभी जानते है कि रावण घोर तपस्वी था। जिसने अपने तप से बहुत सी ऐसी विद्याएं और शाक्तियां प्राप्त की हुई थी जो रावण को सर्वशाक्तिशाली बनाती थी।

राम ने लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा था। मरते हुए रावण ने लक्ष्मण को जो ज्ञान दिया उसमे एक महत्वपूर्ण बात यह थी कि शुभ कार्य में कभी देरी नहीं करनी चाहिए ।

आइए अब जानते है रावण के तीसरे कारण को जो रावण की सकारात्म छवि को दर्शाता हैं। ये तो हम सभी जानते है कि रावण घोर तपस्वी था। जिसने अपने तप से बहुत सी ऐसी विद्याएं और शाक्तियां प्राप्त की हुई थी जो रावण को सर्वशाक्तिशाली बनाती थी।रावण ने त्रिदेवों की तपस्या की और सबसे अलग अलग वरदान मांगा।मृत्यु को दूर रखने के लिए उसने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्य़ा की अमरता का वरदान मांगा। हालांकि, ब्रह्मा जी ने अमरता वरदान नहीं दिया, लेकिन यह वरदान दिया की उसकी मृत्यु नाभी पर ही केंद्रित रहेगी।  इस बात का पता विभीषण को पता था। जिसने जाकर भगवान राम को ये बात बता दी। अगर विभीषण ये भेद भगवान राम को नहीं बताता था तो युद्द का अंत कुछ ओर ही होता।


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यदि बात की जाए रावण के परिवार की तो रावण भगवान ब्रह्मा जी के वंशजों में से ही एक है। रावण के पिता ऋषि विश्रवा एक बहुत महान ज्ञानी पंडित थे।रावण की माता कैकसी थी जो राक्षस कुल की थी इसलिए रावण ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता का संतान था।कैकसी ने अशुभ समय पर गर्भ धारण करके कुंभकरण, श्रुपनखा और रावण जैसे क्रूर राक्षसों को जन्म दिया।

रावण की मायावी शक्ति के कारण रावण ने कई देवाताओं को बंधी बनाया था।रावण  जिस सोने की लंका में रहता था, उस लंका में पहले धनराज कुबेर रहते थे। जब रावण ने विश्व विजय पर निकला तो उसने कुबेर को हराकर सोने की लंका तथा पुष्पक विमान पर अपना कब्जा कर लिया। कुबेर देवता रावण के ही सौतेले भाई हैं।

रावण को त्रिलोक विजेता कहकर संबोधित किया जाता है आखिरकार ऐसा क्यों चलिए जानते हैं। दरअसल रावण ने अपनी नीतियों के बलबूते पर अपने आसपास के मुख्य राज्य जैसे अंग द्वीप, मलय द्वीप, वराहद्वीप, शंख द्वीप, कुश द्वीप, यशदीप और आंध्रालय इन सभी राज्यों पर धावा बोलकर अपने अधीन कर लिया था।

रावण ज्योतिष विद्या और तंत्र-मंत्र का जानकार भी था। रावण ने अपने जीवन काल के दौरान बहुत सारी महान रचनाएं की  जैसे शिव तांडव स्त्रोत,अरुण संहिता,रावण संहिता , लाल किताब प्रमुख है।


दशहरा वाले दिन भारत के हर कोने पर रावण दहन किया जाता है। जिसमें लोगों की भारी भीड़ शामिल होती है, लेकिन देश में कुछ ऐसी भी जगह भी है जहां रावण का पुतला नहीं जलाया जी हां दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के कोलार में आज से नहीं बल्कि वर्षों से रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। इसके साथ जोधपुर मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी कुछ जगह ऐसी हैं, जहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।

रावण को संगीत में गहरी रुचि थी। रावण वीणा बजाना भी बखुबी आता था।और वह इतना अच्छा वीणा बजाया करता था कि स्वर्ग लोक से देवता आकर उसके वीणा वादन को सुना करते थे।

वैसे तो रावण के महल में रानीवास में हजारों रानियां रहती थी परंतु उनका सबसे पहला विवाह दिति के पुत्र मय जिनकी कन्या का नाम मंदोदरी था। रावण की छवि को एक स्त्री संभोग के रुप में जाना जाता है पर ये पूर्णत सत्य नहीं है।  रावण ने दो वर्ष सीता को अपने पास बंधक बनाकर रखा था, लेकिन उसने भूलवश भी सीता को छूआ तक नहीं था।

कहा जाता है कि इसके बाद रावण के शव को नागकुल के लोग अपनेअपने साथ लेकर चले, क्योंकि उन लोगों को विश्वास था कि रावण की मौत क्षणिक है, वह फिर जिंदा हो जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।इसके बाद उन्होंने रावण के शव को  है कि श्रीलंका में रैगला के जंगलो में एक चट्टान नुमा पहाड़ी में एक गुफा है और गुफा में रावण का शव वहां रख दिया कहा जाता है रावण का शव आज भी वहां सुरक्षित है।
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