लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रमणि की वियतनाम यात्रा, रक्षा संबंधों में नया मोड़
भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूती देना और द्विपक्षीय सहयोग
भारतीय सेना के उप प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, वियतनाम की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान हनोई में वियतनाम पीपल्स आर्मी के 80वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए पहुंचे। यह यात्रा 19 से 21 दिसंबर तक आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूती देना और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना था। यात्रा के दूसरे दिन, 20 दिसंबर को, लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रमणि ने हनोई के राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित वियतनाम पीपल्स आर्मी के 80वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर वियतनाम की सेना की ऐतिहासिक यात्रा और वीरता को याद किया गया। समारोह में दोनों देशों के रक्षा अधिकारी और अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया, जिससे भारत और वियतनाम के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने का एक बेहतरीन अवसर प्राप्त हुआ।
यात्रा के पहले दिन, 19 दिसंबर को, लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रमणि ने वियतनाम अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी (VIDE) में भारत के पवेलियन और विभिन्न स्टॉलों का दौरा किया। इस प्रदर्शनी में भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी और नवाचारों को प्रदर्शित किया गया। उन्होंने वियतनाम में भारत की रक्षा तकनीकी विशेषज्ञता को और अधिक उजागर करने के लिए संभावनाओं पर विचार किया। यह प्रदर्शनी भारतीय रक्षा उद्योग की उन्नति और वियतनाम के साथ साझेदारी के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई।
इसके बाद उन्होंने हनोई में मिलिट्री हिस्ट्री म्यूज़ियम और लिटरेचर टेम्पल का दौरा किया, जहां उन्होंने वियतनाम की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को देखा। इस दौरान, उन्होंने वियतनाम के राजदूत संदीप आर्य से भी मुलाकात की, और द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रूप से रक्षा और सुरक्षा के मामलों पर चर्चा की। यह यात्रा भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों के लिए वियतनाम की सांस्कृतिक विविधता और इतिहास को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर थी।
यात्रा के अंतिम दिन, लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रमणि हो ची मिन्ह के समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। हो ची मिन्ह, वियतनाम के पहले राष्ट्रपति (1945-1969) थे, जिन्होंने वियतनाम को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया। उनके योगदान को याद करना दोनों देशों के बीच सामूहिक सम्मान और मित्रता का प्रतीक है।
इस यात्रा ने भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत किया और दोनों देशों के सामूहिक संकल्प को दर्शाया कि वे क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह यात्रा यह भी स्पष्ट करती है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।