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उप राज्यपाल का प्रशासन अपनी फर्जी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने में है व्यस्त: महबूबा मुफ्ती

महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में कथित तौर पर जन असंतोष को लेकर उप राज्यपाल प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश आज ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां पर लोगों के पास न तो कोई अधिकार है और न ही उनकी शिकायतों को उठाने के लिए कोई मंच।

07:04 PM Sep 12, 2022 IST | Desk Team

महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में कथित तौर पर जन असंतोष को लेकर उप राज्यपाल प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश आज ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां पर लोगों के पास न तो कोई अधिकार है और न ही उनकी शिकायतों को उठाने के लिए कोई मंच।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में कथित तौर पर जन असंतोष को लेकर उप राज्यपाल प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश आज ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां पर लोगों के पास न तो कोई अधिकार है और न ही उनकी शिकायतों को उठाने के लिए कोई मंच।उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कश्मीरी पंडितों की पीड़ा और उनकी परेशानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।
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महबूबा ने जम्मू क्षेत्र के दूसरे दिन के दौरे के दौरान विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात के वक्त कहा, ‘‘ लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है जबकि उप राज्यपाल का प्रशासन अपनी फर्जी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने में व्यस्त है ताकि भाजपा ने जो जम्मू-कश्मीर के साथ किया है उसे उचित ठहराया जा सके।’’जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि ‘लालफीताशाही, जड़ता और जन आक्रोश’’ के कारण प्रशासन ने आम लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिया।उन्होंने कहा, ‘‘ इसका नतीजा है कि जम्मू-कश्मीर आज ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां पर नागरिकों को न तो अधिकार है और न ही अपनी शिकायतों को उठाने का कोई मंच।’’
कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान महबूबा ने कहा कि भाजपा और उसके प्रशासन ने राजनीतिक उद्देश्य के लिए समुदाय(कश्मीरी पंडित) के दर्द और परेशानियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है और उनके मुद्दों व शिकायतों की अनदेखी की।महबूबा ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पलायन के बाद गत कुछ सालों में समुदाय ने अपना सबसे बुरा समय उस शासन के तहत देखा जिसने अपने स्वयं के सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उनकी पीड़ाओं का अपराधीकरण और परेशानियों का राजनीतिकरण किया’’उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन अब भी कश्मीरी प्रवासी समुदाय में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने में बुरी तरह से विफल रहा है।
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