गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण : बाबा-भागलपुर
धनु व मकर राशि वाले व्यक्तियों को राजनीति में विशेष लाभ मिल सकता है। खग्रास चंद्र ग्रहण मंगलवार और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में पड़ रहा है।
03:24 PM Jul 07, 2019 IST | Desk Team
16 जुलाई (मंगलवार) 2019 को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी उर्फ बाबा-भागलपुर, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ शास्त्रोंक्त मतानुसार सुगमतापूर्वक बतलाया कि:-पूर्णिमा तिथि पर रात में चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत में स्पष्टत: दिखाई देगा।
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यह अवसर इसलिए खास है, क्योंकि इसी दिन गुरु पूर्णिमा भी है. वर्ष 2018 ईo में भी गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगा था. खग्रास चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात करीब 1.31 बजे ग्रहण की शुरुआत होगी और करीब डेढ घंटे के बाद यानी की 3 बजे इस चंद्र ग्रहण का मध्य होगा तथा प्रातः काल 4.30 बजे ग्रहण का मोक्ष होगा। इस खग्रास चंद्र ग्रहण को पूरे भारत के लोग देख सकेंगे। यह चंद्र ग्रहण जुलाई के महीने का दूसरा ग्रहण होगा।
पहला 02 जुलाई (मंगलवार) 2019 को पूर्ण सूर्य ग्रहण था लेकिन यह ग्रहण भारत में देखने को नहीं मिला। चंद्र ग्रहण को धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. चंद्र ग्रहण का राशियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण के बाद स्नान जरूर करना चाहिए। इसके बाद गरीब और जरूरतमंद को दान करना चाहिए। मान्यता है कि चंद्र ग्रहण घटित होने के बाद सरोवर/ गंगा में स्नान करने से भी पाप धूल जाते हैं।
वहीं गेहूं, चावल, दाल, गुड़ चना, वस्त्र, आभूषण जैसी चीजों का दान करने से जीवन में खुँशहाली आती है। चंद्र ग्रहण की अवधि साधना का महापर्व कहलाता है। जो मंत्र वर्षों में सिद्ध नहीं हुई हो वह मंत्र भी इस अवधि में स्वत:सिद्ध हो जाती है। इस चंद्र ग्रहण से भारत पर व्यापक कुप्रभाव पड़ेगा।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस वर्ष चंद्र ग्रहण का कुप्रभाव भारतीय राजनीति पर विशेष रूप से पड़ सकता है तथा भारतीय सेना परिस्थितिजन आक्रामक हो सकते हैं। मेष, वृष, कन्या, वृश्चिक, धनु व मकर राशि वाले व्यक्तियों को राजनीति में विशेष लाभ मिल सकता है। खग्रास चंद्र ग्रहण मंगलवार और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में पड़ रहा है। इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से राजनीतिक उथल-पुथल के साथ ही प्राकृतिक आपदा की स्थति भी बन सकती है।
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