
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बेरोजगार होने के बाद प्रदेश में वापस आये श्रमिकों के पुनर्वास के लिये एक निश्चित योजना बनाने के निर्देश मध्य प्रदेश सरकार को दिये हैं। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को जानकारी दी कि उसने इन कामगारों के लिए क्या कदम उठाए हैं, लेकिन अदालत ने इस पर असंतोष जताया।
सरकार ने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण प्रदेश लौटे मजदूरों की पंजीकृत संख्या लगभग 7 लाख 40 हजार है, जिसमें से लगभग 45 हजार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायाधीश वी के शुक्ला की पीठ ने सरकार द्वारा पेश किये गये जवाब पर शुक्रवार को असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वह प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास तथा रोजगार की लाभकारी योजना तैयार कर स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
याचिकाकर्ता की वकील शन्नो एस खान ने कहा कि अदालत का यह निर्देश उस वक्त आया जब एक सामाजिक संगठन ने उसकी याचिका पर सरकार के जवाब देने के तरीके पर आपत्ति उठाई।
वकील ने कहा कि सरकार ने जवाब में केवल एक चार्ट पेश किया और कुछ जानकारी दी,लेकिन इसमें उन मजदूरों को उपलब्ध कराए गए रोजगार की प्रकृति के बारे में कोई विवरण नहीं था, जो मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं और संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन में वापस लौटे थे। मामले में अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।